भागलपुर: लोक सभा चुनाव में भाजपा को मिली जबरदस्त सफलता से भाजपा कार्यकर्ता फूले नहीं समा रहे हैं, लेकिन भागलपुर में स्थिति थोड़ी उलट है. स्थानीय स्तर यहां संगठन को बड़े चेहरे की कमी खटकेगी. संगठन में दबी जुबान से ही सही इस पर चर्चा शुरू हो गयी है कि अब पार्टी का खेवनहार कौन होगा. स्थानीय विधायक व पार्टी के वरिष्ठ नेता अश्विनी चौबे बक्सर से सांसद निर्वाचित हो गये हैं तो शाहनवाज हुसैन चुनाव हार चुके हैं. जिले की कुल सात विधानसभा सीटों में से 3 पर भाजपा का कब्जा है. अगले साल विधानसभा चुनाव भी होना है.
भाजपा के जिला व मंडल संगठनों में इस बात की चर्चा शुरू हो गयी है कि अब पार्टी का खेवनहार कौन होगा. वैसे तो भाजपा नेता दल में किसी तरह गुटबाजी से इनकार करते रहे हैं, लेकिन सच तो यह है कि यहां पार्टी तीन खेमे में बंटी थी.
एक अश्विनी चौबे के प्रति समर्पित था तो दूसरा यहां के निवर्तमान सांसद शाहनवाज हुसैन के प्रति, कुछ भाजपा नेताओं की निष्ठा भागलपुर निवासी और गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे के प्रति है. अब स्थिति उलट है. भागलपुर के पूर्व विधायक विजय कुमार मित्र के निधन के बाद खाली हुई जगह को उस समय अश्विनी चौबे ने भर दिया था. 1995 से वे लगातार भागलपुर के विधायक हैं. जिला संगठन में उन्होंने पूरा दबदबा बना लिया.
बीच में ढाई साल के लिए सुशील मोदी भी यहां के सांसद बने. उनके उप मुख्यमंत्री बनने के बाद उप चुनाव में सैयद शाहनवाज हुसैन सांसद बने. 2009 में वे फिर विजयी हुए. स्थानीय संगठन में उनकी भी जबरदस्त पकड़ थी. कहा जा सकता है कि जिला व मंडल संगठन चौबे और शाहनवाज के इर्द गिर्द घूमता रहा. अब जब श्री चौबे बक्सर में व्यस्त हो जायेंगे और श्री दुबे गोड्डा में जबकि श्री हुसैन चुनाव हार चुके हैं, ऐसे में यहां संगठन पर किसकी छतरी होगी. जिलाध्यक्ष नभय कुमार चौधरी कहते हैं कि संगठन कार्यकर्ताओं से चलता है. मैं जिलाध्यक्ष हूं, संगठन चला रहा हूं और आगे भी चलाउंगा. श्री चौबे के इस्तीफे के बाद भागलपुर विधानसभा सीट के लिए होनेवाले चुनाव को लेकर कई लोगों की नजर इस सीट पर टिकी है.
जब चुनाव होगा तो टिकट के लिए घमसान मचने की पूरी संभावना है. उम्मीदवार के सवाल पर श्री चौधरी कहते हैं कि वंशवाद नहीं चलेगा. दल का कार्यकर्ता ही उम्मीदवार होगा. वैसे दल में नेताओं की कमी नहीं है. हरिवंशमणि सिंह, नरेशचंदर मिश्र सरीखे कई लोग पार्टी के पुराने नेता हैं, लेकिन उम्र व स्वास्थ्य आड़े आ रहा है. सूत्रों का कहना है कि पूर्व जिलाध्यक्ष विजय सिंह प्रमुख को पुन: सक्रिय करने की चर्चा शुरू हो गयी है. इनके कार्यकाल में संगठन यहां काफी सक्रिय था तथा प्रदेश कार्यसमिति की सफल बैठक हुई थी. उस समय भी केंद्र में भाजपा की सरकार थी. इधर बुधवार को पटना में चुनाव परिणाम पर समीक्षा होनी है. इसमें भाग लेने के लिए जिलाध्यक्ष गये हुए हैं. संभावना जतायी जा रही है कि इस बैठक में संगठन पर भी चर्चा होगी.