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गिराया दो हाइवा मेटेरियल, एक-दो गड्ढे ही भरे लोगों ने कहा : है त ऊंटो के मुंहो में जीरा छकै हो
भागलपुर : प्रभात खबर में छपी खबर ‘भागलपुर की लावारिस, पर कामधेनु सड़क आमलोग दुखी, पर बाबू, ठेकेदार मस्त’ पर एनएच विभाग ने संज्ञान तो लिया, लेकिन गड्ढों में दो हाइवा से ज्यादा मेटेरियल भरने की जरूरत नहीं दिखाई. गहरे गड्ढे वाली इस सड़क को कम से कम चलने लायक बनाने के लिए इतना मेटेरियल […]
भागलपुर : प्रभात खबर में छपी खबर ‘भागलपुर की लावारिस, पर कामधेनु सड़क आमलोग दुखी, पर बाबू, ठेकेदार मस्त’ पर एनएच विभाग ने संज्ञान तो लिया, लेकिन गड्ढों में दो हाइवा से ज्यादा मेटेरियल भरने की जरूरत नहीं दिखाई. गहरे गड्ढे वाली इस सड़क को कम से कम चलने लायक बनाने के लिए इतना मेटेरियल तो पर्याप्त नहीं है. इन गड्ढों के लिए यह ऊंट के मुंह में जीरा के समान है. सड़क के गड्ढों को भरने में यह केवल लीपापोती साबित हो रही है.
ये हालात हैं, जीरोमाइल से इंजीनियरिंग कॉलेज के बीच गड्ढों पर बने एनएच 80 का.मिन्नतें कीं तो एनएच को मिला दो गाड़ी मेटेरियल: एनएच के पास ठेकेदार नहीं है. जो है भी वह जब टेंडर नहीं भरता, तो एेसे में बिना कागजी प्रक्रिया के वे गड्ढों को क्याें भरेंगे? गड्ढा भरने के लिए विभाग ने ठेकेदारों से आरजू-मिन्नत की, पर किसी ने इसपर दिलचस्पी नहीं दिखाई. फिर विभाग ने बाइपास की कार्य एजेंसी जीआर इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड का दरवाजा खटखटाया. एजेंसी गड्ढों को भरने के लिए राजी तो हुई, लेकिन एक हाइवा और जेएसीबी ही दे सका. नतीजतन, संसाधन के अभाव में दो हाइवा ही मेटेरियल गिर पाया.
इससे वहां बने छाेटे गड्ढे भी नहीं भरे जा सके. बताते चलें कि जीरोमाइल से इंजीनियरिंग कॉलेज तक सड़क केवल नाम की ही रह गयी है. लावारिस हालत में पड़ी इस सड़क पर गड्ढे के बगल में ही गड्ढे रहने से दो पहिया वाहनों को भी यहां रास्ता तलाशना पड़ रहा है. कुछ जगह तो गड्ढों में भी पानी भर चुका है, ऐसे में यहां से गुजरने वाले लोग अंदाजे से ही रास्ता तय कर पा रहे हैं. गड्ढे का आकार आठ से दस फीट तक चौड़ा है और तीन फीट तक गहरा हो चुका है.
बढ़ता जा रहा गड्ढों का आकार छोटी गाड़ियों के लिए मुसीबत
कल तक जो गड्ढे छाेटे थे, वह सोमवार को बढ़कर बड़ा आकार ले चुका है. गड्ढों की गहरायी भी बढ़ गयी है. हालत यह हो चुकी है कि, ड्राइवर छोटी गाड़ियों को महफूज चला भी रहा है तो उसके लिए चार फीट गहरे गड्ढों को पार करना चुनौती बन जाता है. गड्ढे में गाड़ियां तो उतर रही हैं, लेकिन उससे बाहर निकलने में सांसें अटक जा रहीं.कई एेसे ठिकाने हैं, जहां सवारी गाड़ियों को पैसेंजर तक उतारना पड़ रहा है.
धूल और गड्ढों से भरी सड़क का आफत भरा सफर
जीरोमाइल से इंजीनियरिंग कॉलेज तक का सफर आज की तारीख में दुश्वारियों से भरा हुआ हो चुका है. लोगों की आंखों में धूल झोंकते इस रास्ते पर गड्ढे ज्यादा और सड़क कम रह गयी है. किनारों पर बने फुटपाथ या तो ट्रक के लिए स्टैंड बन चुका है, या फिर अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुका है. आधी सड़क से गाड़ियों की आवाजाही और सड़क से उड़ने वाली धूल की वजह से राहगीरों की शामत आ जाती है.
21 को खुलेंगे स्कूल, फिर बच्चों की शामत
अभी तो स्कूल बंद है. 21 जून को खुलेगा, तो बच्चों की शामत होगी. गड्ढाें भरी सड़क से गुजरना जोखिम भरा होगा. अभिभावक अभी से चिंतित हैं. जीरोमाइल निवासी शंकर ठाकुर ने बताया कि वे रोज अपने बच्चों को माउंट असीसी स्कूल पहुंचाने व लाने जाते हैं. हर दिन उनके साथ हजारों अभिभावक व उनके बच्चे इस संकट को झेलते हैं. उन्होंने बताया कि रानी तालाब के पास गड्ढों में ऑटो पलटता देखा, रोजाना डर बना रहता है.
जवाबदेह चुप, कोई मुंह नहीं खोल रहा
तालाब बनी सड़क पर रोज वाहन खराब हो रहे हैं और लोग दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं. लेकिन जवाबदेह चुप हैं. राजनीति दल व स्वयंसेवी संस्था के लोग भी चुप हैं. इस संबंध में कोई भी मुंह खोलने को राजी नहीं.
ऐसे रहे हालात तो लगेगा ही जाम
यहां जर्जर सड़क की वजह से जाम लगता है. सोमवार को गड्ढों के कारण जाम लगा रहा. तमाम ट्रक गड्ढों में ही एक तरफ से खड़े रहे. सबसे बुरी स्थिति रानी तालाब के पास की रही. सबसे ज्यादा परेशानी ऑफिस कर्मचारियों को हुई. इस संबंध में जनप्रतिनिधियों का वादा सिर्फ वादा ही रह गया है. फिलहाल, गड्ढों के चलते तो अब जाम से छुटकारा मिलना असंभव सा दिखने लगा है.
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