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सेशन ट्रायल वाले कई कोर्ट खाली प्रभार में सेशन जज का पद
भागलपुर : व्यवहार न्यायालय में सेशन ट्रायल वाले जजों की कमी हो गयी है. सेशन जज अरविंद माधव के रिटायर होने के बाद भी वर्तमान में उनका पद भी प्रभार में है. विधि विभाग की ओर से दो फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन हुआ था, लेकिन इन पर कोई ज्वाइनिंग नहीं हुई है. कुटुंब न्यायालय […]
भागलपुर : व्यवहार न्यायालय में सेशन ट्रायल वाले जजों की कमी हो गयी है. सेशन जज अरविंद माधव के रिटायर होने के बाद भी वर्तमान में उनका पद भी प्रभार में है. विधि विभाग की ओर से दो फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन हुआ था, लेकिन इन पर कोई ज्वाइनिंग नहीं हुई है. कुटुंब न्यायालय के न्यायाधीश के भी तबादले का नोटिफिकेशन जारी हो चुका है.
बता दें कि पूर्व में जजों की पर्याप्त संख्या होने से राज्य स्तर पर सजा दिलाने की दर भागलपुर में बेहतर थी. इस कारण वर्तमान साल में गंभीर मामलों के 156 केसों का सेशन ट्रायल विभिन्न कोर्ट में चल रहा है. लेकिन न्यायालय में न्यायधीशों की कमी के कारण मामलों की सुनवाई टल रही है. इससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
यह की गयी है व्यवस्था
28 फरवरी को जिला जज अरविंद माधव रिटायर हो गये. उनकी जगह पर एडीजे (प्रथम) शिवानंद मिश्रा को प्रभार दिया गया. मगर उनका भी स्थानांतरण हो गया और अब एडीजे (चार) कुमुद रंजन सिंह को प्रभार मिला है. वे उत्पाद व एससीएसटी कोर्ट के प्रभार में थे. प्रभार के बाद जिला जज, एडीजे (प्रथम) के पास रहे पोक्सो मामले का भी अतिरिक्त प्रभार हो गया है.
ये चल रहे कोर्ट : सेशन ट्रायल की सुनवाई एडीजे (टू) श्री जयप्रकाश , एडीजे (तीन) सुषमा त्रिवेदी, एडीजे (चार) कुमुद रंजन सिंह, एडीजे (पांच) दीपांकर पांडे और एडीजे (सात) विनय कुमार मिश्रा की कोर्ट में चल रही है.
सेशन ट्रायल के कोर्ट की संख्या को बढ़ाना होगा
जिला विधिज्ञ संघ के महासचिव संजय कुमार मोदी ने कहा कि सेशन ट्रायल के कोर्ट की संख्या को बढ़ाना होगा. लंबित सेशन केस को देखते हुए 10 कोर्ट होना आवश्यक है. सेशन कोर्ट में ट्रायल के अतिरिक्त जमानत अर्जी पर भी सुनवाई होती है. उन्होंने कहा कि गंभीर केस की सुनवाई के दौरान लंबी बहस होती है.
यह बोल रहा रिकार्ड
रिकॉर्ड के अनुसार वर्ष 2015 में गंभीर मामले के 749 केस, वर्ष 2016 में 822 केस, वर्ष 2017 में 1035 और फरवरी, 2018 तक 156 केस सेशन ट्रायल के रिकॉर्ड पर रखा गया है. इसके पहले के भी सैकड़ों केस की सुनवाई चल रही है. तीन साल में दर्ज कई केसों का स्पीडी ट्रायल के तहत सुनवाई पूरी की जा चुकी है.
पहले तीन फास्ट ट्रैक थे, वे हो चुके हैं बंद
वर्ष 2016 तक फास्ट ट्रैक के तीन कोर्ट में सेशन ट्रायल होता था, जो बंद हो गया था. कोर्ट पर केस का बोझ बढ़ता जा रहा है. कोर्ट में खाली जजों के पदों पर अविलंब पोस्टिंग की जरूरत है.
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