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अब तक 91 की जांच में 24 के दस्तावेज गड़बड़

161 में से 91 से ज्यादा उम्मीदवार के दस्तावेज की हो चुकी है जांच डॉ एम के वाधवानी को तलाश रही है एसआइटी बीएयू में अंदर ही अंदर हड़कंप सबौर : बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर में नियुक्ति घोटाले की जांच जारी है. एक ओर जहां एसआइटी सभी 161 उम्मीदवारों के दस्तावेज की जांच कर रही […]

161 में से 91 से ज्यादा उम्मीदवार के दस्तावेज की हो चुकी है जांच
डॉ एम के वाधवानी को तलाश रही है एसआइटी
बीएयू में अंदर ही अंदर हड़कंप
सबौर : बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर में नियुक्ति घोटाले की जांच जारी है. एक ओर जहां एसआइटी सभी 161 उम्मीदवारों के दस्तावेज की जांच कर रही है, वहीं डॉ एम के वाधवानी की तलाश में भी लगी है. सूत्रों की मानें तो नियुक्ति घोटाले में 161 सहायक प्राध्यापकों सह कनीय वैज्ञानिकों के दस्तावेज की जांच एसआइटी कर रही है. इसमें एसआइटी ने 31 लोगों के दस्तावेज की जांच कर उनको स्वयं उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया था. इसमें 18 उम्मीदवारों की नियुक्ति संदेह के घेरे में पायी गयी है.
इधर फिर बचे 130 उम्मीदवारों के दस्तावेज में लगभग 60 की जांच हो चुकी है. इसमें छह उम्मीदवारों के दस्तावेज में गड़बड़ी पायी गयी है. जब सभी के दस्तावेज की जांच हो जायेगी तब अनियमितता पाये गये दस्तावेज के उम्मीदवार को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जायेगा. उसके बाद नियमानुसार कार्रवाई होगी.
नियुक्ति कमेटी के कई सदस्यों पर भी गिर सकती है गाज. बताया जा रहा है कि नियुक्ति को लेकर बनी कई कमेटियों में शामिल कई जिम्मेदार लोगों के खिलाफ भी जांच चल रही है. बहुत जल्द सब कुछ सामने दिखेगा. फिलहाल एसआइटी डॉ एमके वाधवानी की तलाश कर रही है ताकि वे अपना पक्ष रख सकें. इसके अलावा भी विवि के कई अधिकारी भी संदेह के घेरे में हो सकते हैं. इस कारण बीएयू में बाहर से तो सबकुछ सामान्य दिख रहा है, लेकिन अंदर ही अंदर दहशत का माहौल है.
कुलपति के सामने कई चुनौती. सूत्रों की मानें तो कुलपति डॉ अजय कुमार सिंह ने जब विश्वविद्यालय की बागडोर संभाली तो विरासत में उनको नियुक्ति घोटाला मिला. नियुक्ति घोटाले में उनकी कोई भूमिका नहीं है, लेकिन विश्वविद्यालय का मुखिया होने के नाते सारे सवालों को उनको ही झेलना होता है. जिस पर जांच हो रही है वह नाराज होते रहते हैं. दूसरी ओर सरकारी नियमों के सवाल उठते रहते हैं कि अब तक उनके स्तर पर क्या कार्रवाई हुई. ऐसे में कुलपति के सामने सबसे बड़ी चुनौती है विश्वविद्यालय को विकास के पथ पर अनवरत ले जाना और इसमें उनको ऐसे लोगों का सहयोग लेना पड़ता है, जो आरोप के घेरे में हैं.
क्यों नहीं पूरा हो रहा बीएयू का प्रशासनिक भवन
सबौर. दीक्षांत समारोह से लेकर किसान मेला तक मंच साझा करनेवाले कई नेता और कृषि ज्ञान के पुरोधाओं ने अधूरा पड़े बीएयू के नवनिर्मित भवन को पूरा कराने की बात सरकार से उठाई. विश्वविद्यालय के वरीय या फिर स्वयं कुलपति के पास भी भवन कब पूरा होगा इसका जवाब देना संभव नहीं है. इस संबंध में बिहार सरकार के कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने बताया कि सरकार की पूरी मनसा है कि इस अधूरे भवन को पूरा किया जाये, लेकिन फिलहाल इस भवन पर विजिलेंस आदि की जांच चल रही है. जांच जब तक पूरी नहीं हो जाती, तब तक भवन बनाना सरकार के लिए संभव नहीं है.
जांच पूरी होते ही अनियमितता में जो संलिप्त होंगे उन पर कार्रवाई होगी और भवन का काम प्रारंभ कर दिया जायेगा. मंत्री ने बताया कि मामले में निर्माण एजेंसी से लेकर विश्वविद्यालय तक जांच के घेरे में है. बहुत जल्द रिपोर्ट आने की उम्मीद है.

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