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विवि में ”सीनेट फॉर्मूला” तो काम नहीं कर गया!

भागलपुर : तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में किसी को भनक तक नहीं लगी और शाम को दो अधिकारियों की कुर्सी पर नये नाम का निर्देश जारी हो गया. एमएलसी डॉ संजीव कुमार सिंह विवि के विभिन्न निर्णय को लेकर सिंडिकेट की बैठकों में प्रमुखता से अपना विरोध तर्क के साथ दर्ज कराते रहे हैं. उन्होंने गत […]

भागलपुर : तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में किसी को भनक तक नहीं लगी और शाम को दो अधिकारियों की कुर्सी पर नये नाम का निर्देश जारी हो गया.
एमएलसी डॉ संजीव कुमार सिंह विवि के विभिन्न निर्णय को लेकर सिंडिकेट की बैठकों में प्रमुखता से अपना विरोध तर्क के साथ दर्ज कराते रहे हैं. उन्होंने गत 15 फरवरी को मारवाड़ी कॉलेज में आयोजित सीनेट की बैठक में कहा था कि पूर्व में हुई सिंडिकेट की बैठक में वार्षिक प्रतिवेदन में कई प्रकार की गड़बड़ी पायी गयी थी.
इसमें सुधार किया गया है या नहीं, इस बात की जानकारी मिले बगैर वे वार्षिक प्रतिवेदन पास करने में समर्थन नहीं देंगे. इस बात का सदस्य डॉ विलक्षण रविदास ने विरोध किया था. उन्होंने कहा था, पहले से होता आ रहा है कि बजट के साथ-साथ विवि का वार्षिक प्रतिवेदन भी पास किया जाता है. वे (डॉ सिंह) सदन को गुमराह नहीं करें और सिंडिकेट में ही उन्होंने वार्षिक प्रतिवेदन को क्यों नहीं रोक दिया.
मामले को लेकर दोनों सदस्य ने एक-दूसरे को नियम-परिनियम का पाठ तक पढ़ा दिया. विवि में तबसे इस बात की चर्चा थी कि डॉ रविदास विवि प्रशासन को भा गये हैं. दूसरी ओर प्रोक्टर डॉ योगेंद्र यह नहीं चाहते थे कि डॉ मधुसूदन झा के डीएसडब्ल्यू रहते वह प्रोक्टर पद पर रहें. इस कारण डॉ झा के डीएसडब्ल्यू बनने पर डॉ योगेंद्र ने प्रोक्टर पद से इस्तीफा दे दिया था.
इसके बाद डॉ वेद व्यास मुनि को प्रोक्टर बनाया गया. लेकिन डॉ योगेंद्र का परीक्षा संबंधी काम को देखते हुए कुलपति चाहते थे कि डॉ योगेंद्र विवि में बने रहें. आखिरकार उन्हें प्रोक्टर पद पर आग्रह करते हुए वापस बुला लिया गया. फिर जब शुक्रवार को अधिकारियों के बदलने का निर्देश जारी हुआ, तो पूरे घटनाक्रम पर छाये बादल एकाएक छंट गये.
डॉ साह बने वित्त पदाधिकारी. बीएन कॉलेज के कॉमर्स विभाग के शिक्षक डॉ डीएन साह को टीएमबीयू का वित्त पदाधिकारी नियुक्त किया गया है. रजिस्ट्रार ने इस संदर्भ में शुक्रवार को निर्देश जारी कर दिया है.
एफए के लिए राजभवन के निर्देश का इंतजार
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के एफए (वित्तीय परामर्शी) ऐनूल हक का कार्यकाल गत 17 फरवरी को ही समाप्त हो चुका है. लेकिन नये परामर्शी की नियुक्ति नहीं हो सकी है.
विवि के रजिस्ट्रार प्रो एसएन चौधरी ने बताया कि एक्ट स्टेच्यूट में लिखा है कि जब तक राजभवन से नये एफए नियुक्त कर भेज नहीं दिये जाते, तब तक पहले से काम कर रहे एफए ही पदस्थापित रहेंगे. राजभवन ने नये एफए की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला है. बहुत जल्द नये एफए आ जायेंगे.

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