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पीएचसी में दवा नहीं मिलती, बकरी बेच आये हैं इलाज कराने

भागलपुर : जिले में ग्रामीण क्षेत्र के पीएचसी का हाल बहुत खराब है. अधिकतर मरीजों को यहां से रेफर कर दिया जाता है. सुविधाएं काफी कम है. यही कारण है कि छोटा से छोटा रोग दिखाने के लिए भी ग्रामीण क्षेत्र के मरीज जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल, मायागंज आ जाते हैं. यहां मरीजों की […]

भागलपुर : जिले में ग्रामीण क्षेत्र के पीएचसी का हाल बहुत खराब है. अधिकतर मरीजों को यहां से रेफर कर दिया जाता है. सुविधाएं काफी कम है. यही कारण है कि छोटा से छोटा रोग दिखाने के लिए भी ग्रामीण क्षेत्र के मरीज जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल, मायागंज आ जाते हैं. यहां मरीजों की भीड़ बढ़ी रहती है.

बिचौलिये के चक्कर में फंस जाते हैं मरीज : कभी-कभी मायागंज अस्पताल में बिचौलिया के चक्कर में मरीज फंस जाते हैं. वे निजी क्लिनिक में मरीजों को ले जाते हैं. पैसे का अभाव होने पर फिर मरीज मायागंज अस्पताल आते हैं. इस भाग-दौड़ करने में मरीज की स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि वे मौत की कगार पर पहुंच जाते हैं.
नहीं करा पाते हैं छोटी बीमारियों का इलाज
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक छोटी बीमारी का इलाज ठीक से नहीं कर पाते हैं. चूंकि मरीजों को दवा खरीदने तक का पैसा नहीं होता. उन्हें मायागंज अस्पताल रेफर कर दिया जाता है. कई मरीज तो अपना मवेशी-बकरी बेच कर गांव से इलाज कराने के लिए शहर आते हैं.
जेएलएनएमसीएच में भरती गांव से आये मरीजों ने कहा
हाल जिले की स्वास्थ्य सेवा का-03
जिले में एक सदर अस्पताल, दो अनुमंडल अस्पताल, तीन रेफरल अस्पताल, 12 पीएचसी व 362 हेल्थ सब सेंटर
जहिरून्निशा- उम्र 75, दरियापुर, शाहकुंड
पेट में दर्द है. दवा देने के बाद भी राहत नहीं है. गुरुवार को जांच कराने कहा गया है. मायागंज अस्पताल के इमर्जेंसी में भर्ती कराया गया. शाहकुंड पीएचसी में कोई सुविधा नहीं है. जैसे ही एडमिट होने की बात होती है, तो मायागंज रेफर कर दिया जाता है. नाम का डॉक्टर बैठते हैं. दवा भी नहीं मिलती है. घर में थोड़ा-बहुत खेती है. किसी तरह परिवार का गुजारा चलता है. बेटा घर में सिलाई का काम करता है. मेरे चक्कर में काम बंद हो गया है.
रीना देवी- उम्र 40 वर्ष, जयखूंट, गोराडीह
चर्म रोग है और पेट में भी दर्द होता है. पति गुरुदेव पंडित नि:शक्त हैं. घर में मजदूरी करके गुजारा चलता है. गोराडीह पीएचसी में कोई सुविधा नहीं है. कभी-कभी डॉक्टर भी नहीं रहते हैं. यहां पर दवा मिल रही है. गोराडीह में दवा तक नहीं मिलती. जैसे ही दवा की मांग की, तो मायागंज भेज दिया. सही इलाज होता, तो अब तक ठीक हो गये होते. सही इलाज कराने के लिए बकरी बेचनी पड़ेगी.
बुच्चा देवी, 60 वर्ष, नारायणपुर
पीएचसी में ऑक्सीजन की सुविधा नहीं है. मायागंज अस्पताल में दवा मिलती है, जबकि पीएचसी में कोई दवा ही नहीं मिलती. बीपी बढ़ गया था और सुगर भी बढ़ गया. इसके बाद स्थिति बिगड़ गयी. बेटा मायागंज अस्पताल ले आया. पहले पीएचसी में दिखाते थे. वहां पर सुविधा नहीं मिलती थी. डॉक्टर रहते हैं, लेकिन कोई जांच नहीं करा पाते. इधर-उधर भटकना पड़ता है. यहां पर मरीजों की भीड़ बढ़ने पर बेड नहीं मिल पाता है.
बबीता कुमारी, बांका
सास रूक्मिणी देवी को शनिवार को उल्टी हुई थी. बांका में सदर अस्पताल ले गये. वहां पर चिकित्सक को समझ में नहीं आया. मायागंज अस्पताल लाये, तो मेडिसिन विभाग में भर्ती किया गया. चिकित्सकों ने बताया कि दिमाग का नस फट गया है. सोमवार से मरीज कुछ नहीं बोल पा रही है. स्थिति बिगड़ती जा रही है. चिकित्सक भी सुबह-सुबह आते हैं. कुछ नहीं बता रहे हैं. नर्स सहयोग नहीं करती है, केवल बोलती है कि दूसरे जगह ले जा सकते हैं.

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