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भीखनपुर में डॉक्टर के घर 11 लाख की चोरी

भागलपुर : इशाकचक थाना क्षेत्र के भीखनपुर गुमटी नंबर तीन के अब्दुल मुजीब लेन स्थित मुंबई में रहनेवाले डाॅक्टर नसीम अख्तर के घर चोरों ने ताला तोड़ करीब 11 लाख के जेवरात व नकदी उड़ा लिये. घटना शनिवार देर रात की है जब घर के सभी सदस्य किसी पारिवारिक समारोह में भागलपुर से बाहर गये […]

भागलपुर : इशाकचक थाना क्षेत्र के भीखनपुर गुमटी नंबर तीन के अब्दुल मुजीब लेन स्थित मुंबई में रहनेवाले डाॅक्टर नसीम अख्तर के घर चोरों ने ताला तोड़ करीब 11 लाख के जेवरात व नकदी उड़ा लिये.
घटना शनिवार देर रात की है जब घर के सभी सदस्य किसी पारिवारिक समारोह में भागलपुर से बाहर गये हुए थे. घटना की जानकारी मिलते ही परिवार रविवार सुबह वापस पहुंचा और इशाकचक थाने को इसकी सूचना दी. डाॅ नसीम अख्तर के छोटे भाई वसीम अख्तर उर्फ राजू राज ने बताया कि वह उस घर में रहता है.
जबकि उनके दो भाई डाॅ नसीम अख्तर और मिनहाज अख्तर मुंबई में रहते हैं. वह पिछले 10 दिनों से भागलपुर से बाहर अपने रिश्तेदार के घर किसी समारोह में गये हुए थे. रविवार सुबह मोहल्ले के कुछ लोगों ने उन्हें फोन कर घर में चोरी होने की जानकारी दी.
इसके बाद वे लोग सुबह करीब 10 बजे वापस भागलपुर पहुंचे तो पाया कि घर के भीतर चार कमरों का ताला टूटा हुआ था. सभी कमरों के गोदरेज का सामान निकाल कर चोरों ने तीनों भाई के करीब पांच लाख रुपये के सोने-चांदी के जेवरात, करीब छह लाख रुपये नकद समेत हजारों रुपये के बरतन भी उड़ा लिये. उन्हें शक है कि इलाके के किसी व्यक्ति ने घर में घुस कर बड़ी सफाई से चोरी की, क्योंकि जिन कमरों में अलमारी थी केवल उसी के ताले तोड़े गये. वहीं अन्य सभी कमरे सुरक्षित हैं. इशाकचक इंस्पेक्टर राम एकबाल प्रसाद यादव ने बताया कि घटनास्थल की जांच की है. परिवारवालों के मुताबिक आठ से दस लाख रुपये के बीच नकद, जेवरातऔर बरतनों की चोरी हुई है. इलाके के लोगों को कुछ लोगों पर शक है जिन्हें जल्द हिरासत में लेकर पूछताछ की जायेगी.
सूख रही गंगा, मंझधार में अटका जर्मनी के सैलानियों का जहाज, बोट से पहुंचे बरारी
भागलपुर में अब विदेशी सैलानियों का आना बंद हो जायेगा. रविवार सुबह कुछ ऐसी ही घटना हुई. जर्मनी से आये सैलानियों का जहाज इंजीनियरिंग कॉलेज के पास रोकना पड़ा. गंगा में पानी इतना कम था कि जहाज को आगे बढ़ाना मुश्किल हो गया. आखिरकार जहाज के साथ लगे बोट के सहारे सैलानी बरारी घाट पहुंचे. उन्हें एसडीआरएफ की टीम ने सुरक्षा दी.
भागलपुर : एक दिन पहले विक्रमशिला घूमे सैलानी
जर्मनी के सैलानी कोलकाता से गंगा के रास्ते शनिवार को कहलगांव पहुंचे थे. वहां उन लोगों ने अंतीचक स्थित विक्रमशिला महाविहार का दर्शन किया. रात में कहलगांव में ही ठहरे. सैलानियों की टीम में 29 लोग शामिल थे. दूसरे दिन वे भागलपुर के लिए गंगा के रास्ते रवाना हुए. इंजीनियरिंग कॉलेज घाट के पास पहुंचे, तो जहाज के चालक ने सूचना दी कि अब जहाज को आगे नहीं ले जाया जा सकता. इंजीनियरिंग कॉलेज के पास उतरना मुश्किल था. इस कारण सैलानियों ने निर्णय लिया कि जहाज के साथ लाये गये छोटे बोट से बरारी घाट पहुंचेंगे. टीम के दो लोग जहाज पर ही रह गये, जबकि 27 लोग बरारी घाट पहुंचे. वहां वे मकर संक्रांति को लेकर गंगा स्नान कर रहे श्रद्धालुओं को देखा. फिर चारपहिया वाहनों से कुप्पा घाट गये और शहर के अन्य ऐतिहासिक स्थानों पर घूमे. इसके बाद वे तुरंत बोट से जहाज तक पहुंचे. उन्हें एसडीआरएफ के इंस्पेक्टर गणेशजी ओझा ने अपनी टीम के साथ जहाज तक पहुंचने में मदद की.
टीम में शामिल बुजुर्ग महिला लीजा ने बताया कि कहलगांव से बरारी की तरफ आने के दौरान उनलोगों ने काफी देर तक पहाड़ के आसपास गंगा में डाइव लगाते कई डॉल्फिन को देखा. उनके कैमरामैन ने डॉल्फिन की कई तस्वीरें लेने की कोशिश की, लेकिन ले नहीं पाये. एक तस्वीर ही ली जा सकी, जिसमें डॉल्फिन आधा दिख रहा है. इसे देख टीम के लोग उत्साहित थे. बरारी घाट पर सैलानियों ने दुकानों पर बिक रही अगरबत्तियों को पहले सूंघा. सुगंध इतनी अच्छी लगी कि कई डब्बे खरीद लिये.
भागलपुर शहर में गंगा का इकलौता बरारी घाट था. अब इस इकलौते घाट पर से भी गंगा की मुख्य धारा कट गयी है. घाट तक जमुनिया नदी की धारा पहुंचती है, जो आगे जाकर गंगा में मिल जाती है. पिछले वर्ष तक बरारी घाट पर बड़े जहाज पहुंच भी जाते थे, लेकिन अब इस घाट पर बड़े जहाजों का पहुंचना मुश्किल हो चुका है. हालांकि अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण की ओर से बरारी तक गंगा की मुख्य धारा को लाने का काम किया जा रहा है.
सड़क खराब, हवाई सेवा है नहीं, अब जलमार्ग भी बंद
बाहर से कोई भागलपुर आना चाहे, तो यातायात की हालत बहुत खराब होने के कारण वे अपनी यात्रा रद्द कर लेते हैं या फिर बनाते ही नहीं. यहां पहुंचने के लिए सड़क मार्ग की स्थिति बहुत खराब है. वर्षों से हवाई सेवा की मांग हो रही है. लेकिन शासन-प्रशासन की उपेक्षा है.
रेलमार्ग में ट्रेनें समय पर पहुंच जाये, यह सौभाग्य विरले मिल पाता है. अब जलमार्ग की स्थिति भी खराब हो गयी है. गंगा की मुख्य धारा विक्रमशिला पुल के नीचे जिधर से गुजरी है, उस तरफ से पुल और धारा के बीच की दूरी कम है. इस कारण बड़े जहाज गुजर नहीं सकते.

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