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छात्रों ने कहा : हम तो खुद डरे हुए हैं बाहरवाले हमारी बात नहीं मान रहे

सदर एसडीओ ने की पत्रकार वार्ता, ट्रेन ड्राइवर के मारपीट की होगी जांच भागलपुर : सदर एसडीओ सुहर्ष भगत ने छात्रों से वार्ता के बाद रेलवे स्टेशन पर पत्रकारों से बातचीत की. उन्होंने कहा कि रेलवे के वरीय पदाधिकारियों से छात्रों की मांग को लेकर बातचीत हुई है. उन्होंने आश्वासन दिया है कि मामले को […]

सदर एसडीओ ने की पत्रकार वार्ता, ट्रेन ड्राइवर के मारपीट की होगी जांच

भागलपुर : सदर एसडीओ सुहर्ष भगत ने छात्रों से वार्ता के बाद रेलवे स्टेशन पर पत्रकारों से बातचीत की. उन्होंने कहा कि रेलवे के वरीय पदाधिकारियों से छात्रों की मांग को लेकर बातचीत हुई है. उन्होंने आश्वासन दिया है कि मामले को केंद्र तक पहुंचा देंगे. रेलवे की वेकेंसी निकलेगी. हंगामा के खिलाफ कार्रवाई करने संबंधी सवाल पर सदर एसडीओ ने कहा कि छात्रों के प्रति किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं होगी. छात्र गर्म हो जाते हैं. कुछ असामाजिक तत्वों ने ट्रेन के ड्राइवर को पीटा था.
इसकी जांच करवायेंगे और आवश्यक कार्रवाई करेंगे. काफी देर के बाद मामले पर नियंत्रण के सवाल पर सदर एसडीओ ने कहा कि संवेदनशील मामले में पुलिस-प्रशासन मुस्तैद थे. कोई भी जल्दीबाजी करना ठीक नहीं था. टिकट रिफंड को लेकर भी व्यवस्था की गयी थी.
नहीं बता पाये एक भी प्रश्न का उत्तर
भागलपुर रेलवे स्टेशन पर हंगामे के बीच शाम को एसडीओ सुहर्ष भगत व अन्य अधिकारियों ने छात्रों को बुलाया. समझाने के बाद छात्रों से एसडीओ ने कई प्रश्न किये. सबसे पहले उन्होेंने पूछा कि यह हंगामा क्यों. अगर कुछ घटना घटा, तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा. आप अधिकारी हैं कि मैं. कृपया ट्रेन को जाने दे. छात्रों के न-नुकुर करने के बाद उन्होंने कई प्रश्न पूछे. पूछा कि रेलवे में अधिकारियों के लिये कौन-कौन से पद हैं. किस पद के लिये क्या वेतनमान हैं और क्या उम्र है. लगभग पांच से ज्यादा उन्होंने प्रश्न किये, लेकिन एक भी प्रश्न का उतर छात्रों से नहीं मिला. इस पर अधिकारियों ने कहा कि जब एक भी प्रश्न का उत्तर नहीं दिया, तो फिर इतना हंगामा क्यों.
हालांकि छात्रों ने कहा कि जब सरकार बहाली नहीं कर रही तो क्या करें. यह बतायें. हम कहां जायें. हमारा रोजगार का क्या होगा. हजारों छात्र भागलपुर में रह कर तैयारी कर रहे हैं.
छात्रों ने भीड़ को समझाया, नहीं मानेंगे तो 15 जनवरी को दही-चूड़ा के साथ रेलवे का चक्का जाम करेंगे
सदर एसडीओ से वार्ता करके निकलने के बाद पांच छात्रों ने भीड़ को संबोधित करते हुए कहा, हम सभी का पूरा पता प्रशासन ने ले लिया है. आप लोग हंगामा करेंगे तो हम पांच की जिंदगी खत्म हो जायेगी. कृपया निवेदन है कि यह आश्वासन मिला है कि एक माह के अंदर समाधान हो जायेगा. अगर एक माह के दौरान रेलवे द्वारा नौकरी की वेकेंसी नहीं निकली तो 15 जनवरी को दही चूड़ा के साथ रेलवे का चक्का जाम करेंगे.
वनांचल के नेम प्लेट को भी उखाड़ दिया छात्रों ने
वनांचल एक्सप्रेस को रोक रहे छात्रों के झुंड में घुस आये उपद्रवियों ने दो बाेगियों से नेम प्लेट को भी उखाड़ दिया. इस सब को देख रही रेल व जिला पुलिस भी मूक दर्शक बनी रही. 10 दिसंबर से चल रही थी तैयारी : रेल चक्का जाम की तैयारी पहले से ही चल रही थी. 10 दिसंबर को टीएनबी कॉलेज स्टेडियम में बैठक कर छात्रों ने आंदोलन की रूपरेखा तय की थी. इसके बाद 14 दिसंबर को छात्रों ने तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के बहुद्देशीय प्रशाल से मशाल जुलूस निकाला. लोगों का कहना था कि उस दौरान समस्या के समाधान की पहल होती तो इस परेशानी से बचा जा सकता था.
रेल मंत्री को लिखा गया है पत्र : विधायक
विधायक अजीत शर्मा ने कहा कि छात्रों की मांग जायज है. रेल मंत्रालय से बात हुई है. इसको लेकर रेल मंत्री को पत्र लिखा गया है. छात्रों के लिए कुछ न कुछ होगा, आश्वासन दिया गया है.
वनांचल में दहशत के दो घंटे
मां, मुझे माफ करना मैं नहीं आ पायी
रांची में मां की तबीयत खराब होने की सूचना के बाद अचानक रांची जाने की जरूरत पड़ गयी. आनन-फानन में एक परिचित की ऊंची पैरवी के बल वनांचल के थर्ड एसी का टिकट कटायी. सीट भी कन्फर्म हो गया. मां के प्रति चिंता और शहर के ट्रैफिक के दर्द से वाकिफ होने के कारण समय से काफी पहले घर से निकली. निर्धारित समय पर स्टेशन भी पहुंच गयी, पर स्टेशन के बदले-बदले से माहौल से दंग थी.
हर ट्रैक पर कोई न कोई ट्रेन खड़ी थी. पुलिसवाले भी भारी संख्या में तैनात थे. सोचा अब ट्रेनों का फेरा बढ़ गया होगा और पुलिसकर्मी भी सुरक्षा में तैनात हैं. पर यह भ्रम टूट गया.
इससे पहले कि वनांचल के संबंध में पूछती युवकों का एक बड़ा जत्था जिंदाबाद-मुर्दाबाद का नारा लगाता हुआ वहां से गुजरने लगा. तभी प्लेटफॉर्म संख्या एक पर वनांचल के आने की घोषणा हुई. इसके साथ ही हर ओर से भीड़ प्लेटफॉर्म नंबर एक की ओर लपकी. ठीक 06.10 बजे ट्रेन के आने के साथ ही सबके साथ मैं भी एसी बोगी की ओर लपकी. भीड़ के बीच किसी तरह अपने सीट तक पहुंचने की कोशिश करने लगी, भीड़ के कारण एसी बोगी भी जेनरल दिख रही थी. इसी बीच हाथ में तिरंगा लिये युवकों की भीड़ ट्रेन की ओर लपकी और डंडे से डिब्बों को पीटने लगे. कोई ड्राइवर की ओर लपका तो कोई गार्ड की ओर.
धड़ाधड़ खिड़कियां बंद होने लगी. हर ओर सब चीखने लगे. बच्चे रोने लगे. मेरी भी हालत खराब थी. किसी तरह अपने सीट तक पहुंची, तो पाया कि उस पर पहले से छह लोग बैठे थे. आग्रह कर टिकने की जगह ली, फिर पता चला कि नौकरी की मांग पर विद्यार्थियों के एक दल ने स्टेशन पर कब्जा कर लिया है. किसी ट्रेन को नहीं जाने दे रहे. कई ट्रेनों के यात्री वनांचल में ही घुस गये थे. साहेबगंज और तीनपहाड़ तक की सड़क के जर्जर होने के कारण वहां के सैकड़ों यात्री भी घुस गये थे. ट्रेन में लोगों की भीड़, बाहर हंगामा के बीच मां के तबीयत की चिंता से परेशान में इस इंतजार में रही कि कब 07.05 हो और ट्रेन रवाना हो.
कम से कम बैठ कर तो यात्रा कर ही लेती. इसी दौरान 06.30 बजे फिर एक बार लड़कों का हुजूम उधर से गुजरा और ट्रेन के डिब्बे पर लात मारता हुआ नारेबाजी करता हुआ आगे बढ़ गया. जैसे-जैसे समय बढ़ता जा रहा था दहशत बढ़ती जा रही थी. 06.40 बजे भारी संख्या में पुलिस कर्मी स्टेशन में घुसे, लगा अब सब ठीक होगा, इसी बीच तिरंगे तले एक नया जत्था पहुंचा और पूछताछ काउंटर के गेट पर लात मारता हुआ आगे बढ़ने लगा. इसी के साथ स्टेशन पर भगदड़ मच गयी.
औरत-मर्द और बच्चे जिसे जिधर रास्ता मिला भाग निकले. ट्रेन में बैठी महिलाएं और बच्चे एक बार फिर रोने लगे. इसी हंगामे के बीच 07.20 बजे अचानक रेलवे स्टेशन पर घोषणा होने लगी कि जब तक मामले का निदान नहीं होता वनांचल रवाना नहीं होगी. घोषणा के साथ सीटी बजाते लड़कों के हाथों में लहराते तिरंगे को देख एक हूक सी उठी. एक ओर मां की चिंता और दूसरी ओर हंगामा करते लड़कों और विवश रेल प्रशासन के बीच मन में विचार आया कि अगर इस हंगामा से सब ठीक हो जाता तो मैं भी हंगामा करती कि मेरी मां की जान बचानी है, ट्रेन को जाने दो. पर जानती हूं ऐसा नहीं होगा. यह भीड़तंत्र है, लोकतंत्र नहीं. मां मुझे माफ करना, मैं नहीं आज नहीं आ सकती. अब तुम दुआ और दूसरे के दया के भरोसे जीवित रहो.
(एक महिला यात्री की व्यथा)
आबे त फंसी गेलियै, पहिले जानतिहै त अय रस्ता से कहियो नय ऐितहै
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भागलपुर : प्लेटफॉर्म एक पर वनांचल, तो तीसरे पर साहेबगंज-दानापुर इंटरसिटी एक्सप्रेस, चौथे पर मालदा-जमालपुर इंटरसिटी वहीं, पांचवें प्लेटफॉर्म पर मुजफ्फरपुर इंटरसिटी (जनसेवा एक्सप्रेस) व पश्चिमी केबिन पर जमालपुर डीएमयू को छात्र रवाना होने नहीं दे रहे थे. कोई डॉक्टर के यहां से बच्चे का इलाज कर घर लौटने के लिए ट्रेन में सवार थे, तो कोई अपनों की शादी में शामिल होने के लिए निकले थे. कुछ मां ऐसी थी, जिनके बच्चे ट्रेन में भूख से बिलख रहे थे और वह विवश नजर आ रही थी.
एनाउंसमेंट सुन कर परेशान हो गया
पीरपैंती के छात्र मनीष कुमार ने बताया कि वह कॉलेज आया था. उन्होंने बताया कि घर जाने के लिए दोपहर तीन बजे ही स्टेशन पर है. मगर, कोई ट्रेन नहीं मिली. चार घंटे के इंतजार पर वनांचल एक्सप्रेस मिली. लेकिन नहीं खुलने का एनाउंसमेंट सुन परेशान हो गया. उन्होंने बताया कि मांग जायज है मगर, आंदोलन ऐसा भी नहीं होना चाहिए. मिरजाचौकी के छात्र सत्यम कुमार ने बताया कि अब लगता है कि रात प्लेटफॉर्म पर ही गुजरना मजबूरी बन जायेगी.
आधे पैसे खाने में ही खर्च हो गये
पक्कीसराय के उपेंद्र चौधरी ने बताया कि पटना जाना जरूरी है मगर, तीन घंटे से ट्रेन में बैठे हैं. जितना पैसा लेकर घर से निकले हैं, उसमें से आधा यही खाने-पीने पर खर्च हो गया. पूर्णिया की शिरोमणि देवी ने बतायी कि कौन सा मुहूर्त में घर से निकले थे कि यहां आकर फंस गये हैं. नवगछिया के कैलाश यादव ने बताया कि इतना जानते तो घर से ही नहीं निकलते. रेलवे को छात्रों की मांग मान लेनी चाहिए थी.
बीमार बच्चे की बिगड़ती गयी स्थिति
लखनपुर की कमरून ने बताया कि बच्चे का इलाज के लिए भागलपुर आयी थी. चार घंटे से ट्रेन में बैठी है. रेलवे के कोई भी अधिकारी यह नहीं बता रहा है कि ट्रेन जायेगी भी या नहीं. मुसीबत हो गयी है. बच्चे की तबीयत बिगड़ती जा रही है. मुंगेर के आशीष ने बताया कि वह भी इलाज के लिए भागलपुर आया था. सुल्तानगंज की अंजली कुमारी ने बतायी कि परीक्षा देने भागलपुर आयी थी. साथ में कोई नहीं है.
बूढ़ानाथ से ट्रेन में पहुंचा खाना
मिरजाचौकी के नूतन कुमार ने बताया कि बरौनी जाना बेहद जरूरी है. इसलिए दोपहर 12 बजे से ट्रेन में बैठी है. मगर, अब लगता है कि वह बरौनी नहीं जा सकेगी. बूढ़ानाथ की नेहा देवी मायूस थी. उनके गोद में बच्चा था.
उन्होंने बताया कि वह मुजफ्फरपुर जा रही है. शहर में घर है, तो एक बार घर से खाना आ गया. लेकिन, अब वह ट्रेन में परेशान हो गयी है.
परेशानी में लौटना पड़ा वापस
अमित ने बताया कि जामलपुर से डीएमयू से लौट रहे थे. आउटर पर जब ट्रेन पहुंची, तो अचानक सैकड़ों की संख्या में लोग ट्रेन की ओर दौड़े चले आ रहे थे. कुछ समझ में नहीं आ रहा था. रजनी देवी ने बतायी कि गोद में बच्ची थी. फिर भी जान-प्राण लगा कर भागी. इस दौरान गिरने से बची. मुकेश ने बताया कि बाद में समझ आया कि उग्र लोग छात्र थे. अन्यथा, ऐसा लगा था कि भागलपुर में मारकाट शुरू हो गया है और अब जान बचाना मुश्किल है.

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