खरीक : छोटू की लाश मिलने से गौरीपुर स्थित उसके घर में कोहराम मच गया है. छोटू की मां राधा देवी और पिता मृत्युंजय चौधरी का 11 दिनों से रोते-रोते बुरा हाल है. मां तो बिल्कुल बेसुध हो चुकी है. सुध आने पर बुदबुदाते हुए एक ही आवाज निकलती है मेरा लाल कहां चला गया […]
खरीक : छोटू की लाश मिलने से गौरीपुर स्थित उसके घर में कोहराम मच गया है. छोटू की मां राधा देवी और पिता मृत्युंजय चौधरी का 11 दिनों से रोते-रोते बुरा हाल है. मां तो बिल्कुल बेसुध हो चुकी है. सुध आने पर बुदबुदाते हुए एक ही आवाज निकलती है मेरा लाल कहां चला गया मुझे छोड़ के. मां को अभी भी यकीन नहीं हो रहा है कि उसका लल्ला अब इस दुनिया में नहीं रहा. हत्या की खबर सुनते ही छोटू की मां जमीन पर ही लेटी सिसक रही है. लाश मिलने की सूचना मिलते हैं
मां और पिता अपने पुत्र की एक झलक पाने को लालायित हो गई. 13 तारीख से ही लापता लाडले की सकुशल वापसी की बाट जोह रहे छोटू की मां और पिता की आंखें पथरा गई. लाश मिलने की खबर से आस-पास के गांव में मायूसी छा गई है सब तरफ एक ही चर्चा लड़का होनहार था. परिजन बताते हैं उन लोगों को पता नही चला कि पिक्कू से उसकी दुःमनी हद पार कर गयी है. अभी भी परिजनों को यकीन नहीं हो रहा है के उस के लाडले का शव मिल गया है
माता पिता का दुलारा था छोटू : गौरीपुर के मृत्युंजय चौधरी और राधा देवी के पांच पुत्र पुत्रियों में दूसरे नंबर का छोटू माता पिता का दुलारा था. छोटू के माता पिता का कहना था कि ने अपना कष्ट सहकर बेटे को कभी कष्ट नहीं होने दिया. अपने उपलब्ध संसाधनों से वे दंपत्ति हर संभव कोशिश किया करते थे क्योंकि जो भी जरूरत है हो पूरी कर देते थे कभी गेंद लेने कभी ट्रैक सूट खरीदने जो भी जरूरत होती थी उसे उसके माता पिता पुरे करते थे. सबसे छोटा पुत्र होने के कारण मां का स्नेह उस पर ज्यादा था.
राधा देवी की ढेर सारी उम्मीदें और अरमान छोटू से जुड़ी हुई थी. छोटू की गोली मारकर हत्या की खबर सुनते हैं ही माता और पिता के पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई. छोटू की मां राधा देवी को अभी भी अब प्रतीत नहीं हो रही है कि उसका बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा वह बार-बार कहती है मेरे बेटे ने किसी का क्या बिगाड़ा था इसलिए उसे कुछ नहीं होगा. वह बहुत जल्द आ जाएगा यह कह कर वह अपना सुध बुध खो देती है और बेशुध हो जाती है बैठी है.