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डीबीए परिसर में कह रही थी पुलिस पकड़ो अधिवक्ताओं को और मारो

भागलपुर: जिला विधिज्ञ संघ परिसर में मंगलवार को तीन बजे का नजारा कुछ अलग ही नजर आ रहा था. वर्क सस्पेंड होने के कारण वकीलों व मुव्वकिलों की चहल-पहल परिसर में कम थी. फिर भी कुछ वकील अपना काम कर रहे थे. तभी सैकड़ों की तादाद में पुलिस वाले आ धमके. बोल रहे थे, उस […]

भागलपुर: जिला विधिज्ञ संघ परिसर में मंगलवार को तीन बजे का नजारा कुछ अलग ही नजर आ रहा था. वर्क सस्पेंड होने के कारण वकीलों व मुव्वकिलों की चहल-पहल परिसर में कम थी. फिर भी कुछ वकील अपना काम कर रहे थे. तभी सैकड़ों की तादाद में पुलिस वाले आ धमके. बोल रहे थे, उस झड़प वाले वकील को पकड़ो. आतंकित करनेवाले अंदाज में आये पुलिस वालों की जैसे ही एक वकील ने फोटो करने की कोशिश की, उसके ऊपर डंडा बरसा दिया. एक वकील ने इतना कहा, क्यों गाली दे रहे हो.

उस पर पुलिस कर्मी ने पीटते-पीटते डंडा तोड़ दिया. घंटा भर तक चले पुलिसिया तांडव के दौरान यही शोर सुनाई दे रहा था, पकड़ो वकीलों को और मारो. हमें(पुलिस को) सबक सिखायेंगे. आज हम सबक सिखायेंगे. देखते हैं कौन सा थाना उनकी प्राथमिकी दर्ज करता है. हमें गाली देते हैं. हद तो तब हो गयी, जब पुलिस वालों ने महिला अधिवक्ता से अभद्र व्यवहार कर दिया. हंगामा करने के दौरान किसी का कैमरा तक नहीं चलने दिया. पुलिस के आतंक से एक बुजुर्ग वकील को कुर्सियों के बीच थड़थड़ाहट आ गयी. परिसर के अंदर कुर्सियां, टेबल तोड़ दिये और आखिरी में जाते वक्त सभी टूटी चीजों को समेटते हुए निकल गये. जिससे घटना को लेकर कोई सबूत नहीं रहे.

हाथ जोड़ कर अपील है, अधिवक्ता हत्याकांड में आंदोलन छोड़ दीजिए. एसएसपी मनोज कुमार ने विधिज्ञ संघ महासचिव से कहा कि हाथ जोड़कर अपील है, आपलोग (वकील) अधिवक्ता मो मजहरुल हक की हत्याकांड को लेकर आंदोलन का रास्ता त्याग दीजिए. वह स्वयं घटना को लेकर आहत हैं. पूजा को लेकर विधि व्यवस्था को वरीयता देने के बजाय कांड के अनुसंधान में पुलिस लगी है. वह कांड का खुलासा करने के करीब हैं. कई से पूछताछ हुई है और एक व्यक्ति की गिरफ्तारी भी कर ली है. वे पूरे मामले पर पटाक्षेप जल्द करनेवाले हैं. अधिवक्ता हत्याकांड में अगर वकीलों के पास कोई भी सूचना है, तो वह पुलिस से शेयर करें.
यह था चर्चित बड़ई कांड
वर्ष 1997 में भागलपुर व्यवहार न्यायालय कांड देश के न्यायपालिका के इतिहास की पहली घटना थी जब पुलिसकर्मियों ने न्यायालय में घुसकर तत्कालीन सप्तम एडीजे डीएन बरई की बेरहमी से पिटाई कर दी थी. उनका बीच बचाव करने आगे आने पर वकीलों को भी खदेड़-खदेड़ कर पीटा गया था.

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