टीएमबीयू. नये सत्र से पंजीयन पत्र व परीक्षा फल के प्रारूप में लिखी होगी सारी जानकारी
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छह साल में पूरा करना होगा शोध
टीएमबीयू. नये सत्र से पंजीयन पत्र व परीक्षा फल के प्रारूप में लिखी होगी सारी जानकारी भागलपुर : तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में शोध लटकाने वाले शोधार्थी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. शोध नियम के तहत शोधार्थी को अब छह साल में ही शोध पूरा करना होगा. इसके लिए विवि में एक बार ही रजिस्ट्रेशन लिया […]
भागलपुर : तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में शोध लटकाने वाले शोधार्थी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. शोध नियम के तहत शोधार्थी को अब छह साल में ही शोध पूरा करना होगा. इसके लिए विवि में एक बार ही रजिस्ट्रेशन लिया जायेगा. नये सत्र से पंजीयन पत्र व परीक्षा फल में शोध से संबंधित रजिस्ट्रेशन अवधि आदि अंकित मिलेंगे. शोध नियम के अंतर्गत पीएचडी पंजीयन पत्र व परीक्षाफल के प्रारूप में संशोधन किया गया है.
सोमवार को कुलपति प्रो नलिनीकांत झा की अध्यक्षता में रिसर्च बोर्ड की सिंडिकेट हॉल में बैठक हुई. शोध से जुड़े नये नियमों व शोध आलेखों पर चर्चा की गयी. बोर्ड ने विभिन्न विषयों के 147 संशोधित शोध प्रस्ताव को बोर्ड से मंजूरी दी. राजनीति विज्ञान में पांच व इतिहास में दो टॉपिक में मामूली रूप से बदलाव करने के बाद बोर्ड ने मंजूरी प्रदान कर दी.
प्रस्तावित शोध पर बोर्ड द्वारा विस्तार से चर्चा की गयी.
विवि पीआरओ सह रिसर्च ओएसडी डॉ आरके श्रीवास्तव ने बताया कि शोध नियम 2009 के अंतर्गत शोध पंजीयन पत्र व परीक्षाफल के प्रारूप में आवश्यक संशोधन किये गये हैं. अब नये सत्र से पंजीयन पत्र व परीक्षाफल प्रारूप में शोध की समय अवधि आदि की जानकारी अंकित होगी. पूर्व में 2009-14 सत्र के छात्रों द्वारा किये गये शोध में पंजीयन पत्र व परीक्षाफल के प्रारूप में समय अवधि का उल्लेख नहीं किया जाता था. यूजीसी ने शोध नियम में बदलाव करते हुए निर्देश जारी किया है कि अब छह साल में ही शोधार्थी को शोध पूरा करना है. पूर्व में शोधार्थी शोध के लिए पंजीयन कराने के बाद शिथिल हो जाते थे. पंजीयन अवधि जब समाप्त होने लगता था, शोधार्थी दोबारा पंजीयन करा समय बढ़ा लेते थे.
लिहाजा शोध आठ से 10 साल में पूरा होता था. पूर्व में एक बार रजिस्ट्रेशन कराने के बाद शोधार्थी को पांच साल का समय मिल जाता था. अब यूजीसी नियम के तहत एक बार ही रजिस्ट्रेशन होगा. समय अवधि चार वर्ष व समय विस्तार दो वर्ष तक ही किया जायेगा. कुल मिला कर छह साल में शोध को पूरा करने का निर्देश दिया है. पीआरओ ने बताया कि जो शिक्षक दो वर्ष के अंदर सेवानिवृत्त होने वाले हैं, वे एक समय में सिर्फ दो शोधार्थी का शोध निर्देशन कर सकते हैं.
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