कुव्यवस्था. मरीजों की बढ़ती भीड़ के आगे ओपीडी में चिकित्सक पड़ रहे कम
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मायागंज हॉस्पिटल के डाॅक्टरों को नब्ज थामने तक की फुरसत नहीं
कुव्यवस्था. मरीजों की बढ़ती भीड़ के आगे ओपीडी में चिकित्सक पड़ रहे कम भागलपुर : जेएलएनएमसीएच (मायागंज हॉस्पिटल) की ओपीडी में दिन ब दिन बढ़ रही मरीजों की संख्या यहां के सिस्टम पर भारी पड़ रहा है. आलम यह है कि मायागंज हॉस्पिटल की ओपीडी में जांच-इलाज के बैठ रहे चिकित्सकाें को मरीजों का नब्ज […]
भागलपुर : जेएलएनएमसीएच (मायागंज हॉस्पिटल) की ओपीडी में दिन ब दिन बढ़ रही मरीजों की संख्या यहां के सिस्टम पर भारी पड़ रहा है. आलम यह है कि मायागंज हॉस्पिटल की ओपीडी में जांच-इलाज के बैठ रहे चिकित्सकाें को मरीजों का नब्ज थामने तक की फुरसत नहीं है. सिर्फ जांच व लक्षण के आधार पर मरीजों को दी जाने वाली दवाएं उनके सेहत को दुरुस्त कर रही है. पड़ताल में पाया गया कि मायागंज की ओपीडी में एक चिकित्सक के पास मरीज को जांच एवं दवा लिखने के नाम पर तीन से चार मिनट ही मिल पाता है.
सबसे ज्यादा बुरी हालत मेडिसिन, स्किन व हड्डी रोग के मरीजों की
मायागंज हॉस्पिटल के यूं तो हर ओपीडी में मरीजों की तादात बढ़ी है, लेकिन सबसे बुरा हाल तो मेडिसिन व हड्डी व स्किन रोग के ओपीडी में आनेवाले मरीजों की है. यहां पर 75 से 100 मरीज प्रति चिकित्सक है. मतलब एक चिकित्सक को एक मरीज देखने के लिए महज तीन से चार मिनट मिलते हैं. आदि तक नर्सों के जरिये जांच कराना होता है.
मेडिसिन विभाग में जहां हर रोज औसतन 375 से 400 मरीजों की ओपीडी है तो हड्डी रोग विभाग के ओपीडी में आने वाले मरीजों की औसत संख्या 285 से 300 है. इसके अलावा सर्जरी की ओपीडी में 125 से 150, स्त्री एवं प्रसूति रोग की ओपीडी में 200 से 225, कान, नाक व गला रोग की ओपीडी में 150 से 200, शिशु रोग की ओपीडी में 200 से 225, स्किन रोग की ओपीडी में औसतन 250 से 275 मरीज रोजाना है.
नामी चिकित्सकों की ओपीडी में बढ़ जाते हैं मरीज : यूं तो यहां की ओपीडी में हर रोज भीड़ उमड़ती ही है. लेकिन जिस दिन शहर के नामी चिकित्सकों की ओपीडी लगती है, उस दिन मरीजों की संख्या बढ़ जाती है.
जेआर-एसआर न हो तो मरीजों का इलाज होना हो जाये मुश्किल
यहां की ओपीडी में कहने को तो सीनियर चिकित्सक की तैनाती होती है. सूत्रों की माने तो यहां पर तैनात होने वाले सीनियर व जूनियर रेजीडेंट मरीजों के इलाज का मोर्चा न संभाले तो हर रोज कई मरीजों को बिन इलाज कराये ही वापस जाना पड़ जाये. सीनियर चिकित्सक ओपीडी टाइम के डेढ़ से दो घंटे लेट पहुुंचते हैं और एक घंटा पहले ओपीडी से निकल लेते हैं.
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