बरारी घाट गंगा का जल स्तर बढ़ने के साथ हर साल बढ़ जाती है मुश्किल
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बढ़ा पानी, शवदाह में परेशानी
बरारी घाट गंगा का जल स्तर बढ़ने के साथ हर साल बढ़ जाती है मुश्किल गंगा का जलस्तर बढ़ता ही जा रहा है. इससे बरारी श्मशान घाट पर शव का दाह संस्कार के लिए जगह छोटी पड़नी शुरू हो चुकी है. श्मशान घाट डूबता जा रहा है. जलस्तर बढ़ता देख लोग चिंतित हैं और परेशान […]
गंगा का जलस्तर बढ़ता ही जा रहा है. इससे बरारी श्मशान घाट पर शव का दाह संस्कार के लिए जगह छोटी पड़नी शुरू हो चुकी है. श्मशान घाट डूबता जा रहा है. जलस्तर बढ़ता देख लोग चिंतित हैं और परेशान भी. अपनों के जाने का गम साथ लेकर यहां आनेवाले यहां की दुर्गति देख कर कुछ ज्यादा ही परेशान हो जाते हैं. पानी बढ़ने के साथ हर साल यह स्थिति होती है.
भागलपुर : श्मशान घाट पर स्थिति यह है कि एक शव का दाह संस्कार करने में लोगों को आठ से 10 घंटे लग रहे हैं. गंगा के जलस्तर बढ़ने के कारण लोगों को शव जलाने की जगह नहीं मिल रही है. विद्युत शवदाह गृह वर्षों से बंद है. लोगों के पास एकमात्र विकल्प परंपरागत रूप से शवदाह करने का है. भागलपुर स्मार्ट सिटी बनने जा रहा है. लेकिन इस इस सिटी में श्मशान घाट के हालात में बदलाव की ओर प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है. जलस्तर इसी तरह बढ़ता रहा, तो कुछ दिनों में लोगों को सड़क पर ही शव जलाना पड़ेगा.
दूसरे जिले से भी आते हैं लोग, पर सुविधा कुछ नहीं
भागलपुर ही नहीं, यहां बांका और गोड्डा से भी लोग शव जलाने के लिए आते हैं. लेकिन निगम द्वारा कोई सुविधा नहीं दी गयी है. बस सुविधा के नाम से दो टीन का चदरा दिया हुआ है. शव की संख्या अधिक हो जाने पर हवा के तेज झोंके से चिता को बचाने के लिए लोगों को चदरा लेने के लिए इंतजार करना पड़ता है. शव जलाने के लिए शेड तक का निर्माण नहीं किया गया है. जगह भी मिल गयी, तो शव जलाने के समय बारिश के थमने का इंतजार करना पड़ता है.
निगम की ओर से न शेड और न ही प्लेटफॉर्म की है व्यवस्था, जगह पड़ गयी छोटी
बारिश के दौरान मुश्किल से हो पाता है दाह-संस्कार
शवदाह गृह हो सकता
है गंगा में विलीन
इस बार शवदाह गृह का बचा हिस्सा भी गंगा में विलीन हो सकता है. जलस्तर बढ़ने के कारण शवदाह गृह की दोनों चिमनी और पीछे का भाग कई साल पहले गंगा में समा गया था. अगर मिट्टी का कटाव तेज हुआ, तो किसी भी दिन यह शवदाह गृह गंगा में समा जायेगा.
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