परेशानी. भूमिका बनाने में ही मेयर व डिप्टी मेयर के 30 दिन बीत गये
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माह पार, जहां की तहां नगर सरकार
परेशानी. भूमिका बनाने में ही मेयर व डिप्टी मेयर के 30 दिन बीत गये भागलपुर : मेयर व डिप्टी मेयर चुने जाने के 30 दिन बीत गये, लेकिन शहर की मूलभूत समस्या जस की तस है. शहर का कोढ़ कही जाने वाली समस्या का भी निदान नहीं हो सका. खुद मेयर व डिप्टी मेयर अपने […]
भागलपुर : मेयर व डिप्टी मेयर चुने जाने के 30 दिन बीत गये, लेकिन शहर की मूलभूत समस्या जस की तस है. शहर का कोढ़ कही जाने वाली समस्या का भी निदान नहीं हो सका. खुद मेयर व डिप्टी मेयर अपने वार्ड की समस्या का निदान नहीं करा पाये हैं. नयी नगर सरकार से विकास की जिस रोशनी के अरमान आमजन के दिलों में जगे थे, वे टूटते हुए दिख रहे हैं. बारिश होने पर शहर में जिस तरह लोग घुटने भर गंदे पानी में सड़क पार किया करते थे, नयी सरकार बनने के बाद इसमें कोई तब्दीली नहीं आयी है.
निरीक्षण करते रहे मेयर व डिप्टी मेयर
जिन समस्याओं से पूरा शहर अवगत है, उसका निरीक्षण करने में मेयर सीमा साहा व डिप्टी मेयर राजेश वर्मा लगे रहे. निरीक्षण के बाद दिये गये निर्देश भी हवा-हवाई होती रही. शहर का फेंका जाने वाला कूड़ा-कचरा के लिए कोई उपयुक्त जगह नहीं ढूंढ़ा जा सका. कभी अलीगंज मार्ग पर कूड़ा फेंका जाता, तो कभी चंपानाला पुल के समीप. इससे राहगीरों की परेशानी बढ़ गयी है. अब बरसात शुरू हो गया है, तो शहर में जलजमाव की समस्या भयावह हो गयी है.
लोहापट्टी बाजार बन जाता है तालाब
लोहापट्टी बाजार में थोड़ी बारिश होने के बाद भी कीचड़ व जलजमाव की समस्या आम है. जोरदार बारिश के बाद यह क्षेत्र तालाब बन जाता है. दुकान में पानी घुस जाता है. बारिश के बाद तीन-चार दिन तक ग्राहकों को पैदल चलना मुश्किल हो जाता है. यहां के कारोबारियों की उम्मीद भी इस मौसम में पूरी होते नहीं दिख रही है.
जैन मंदिर में नाला निर्माण
डेढ़ साल से वार्ड 12 अंतर्गत कबीरपुर जैन मंदिर के सामने जलजमाव की समस्या का कोई समाधान नहीं निकल सका. अभी भी इस मामले में मंत्री को ज्ञापन सौंपने और आश्वासन देने का ही काम चल रहा है. एक साल पहले नगर विकास मंत्री ने स्थायी समाधान की घोषणा की थी. इस पर भी अब तक अमल नहीं हो सका. नगर निगम चुनाव के समय यहां के लोगों की अपेक्षा नये पार्षद व नगर सरकार से थी.
भोलानाथ पुल में राहगीर परेशान
चुनाव के बाद नये जनप्रतिनिधि चुनने के बाद पहला निरीक्षण भोलानाथ पुल का ही होता है. पिछली नगर सरकार में भी भोलानाथ पुल की समस्या समाधान का ढिंढोरा पीटा जाते रहा. कभी पंपसेट से पानी निकालने की व्यवस्था करना, कभी ओवर ब्रिज निर्माण की बात करना. सभी चीजें धरातल पर अधिक दिन तक नहीं टिकी. एक बार फिर भंवरा की सफाई कराने के बाद भोलानाथ पुल की समस्या समाधान की बात हो रही है. निरीक्षण, घोषणा व आश्वासन का खेल जारी है, लेकिन स्थायी समाधान नहीं हो सका.
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