मां काली की अाराधना से गांव में लौटी शांति तसवीर-1,2,3,4,5,-मां का मंदिर एवं लोगों की प्रतिक्रिया वर्ष 1990 से हो रही है पूजा, हर वर्ष लगते है मेला, नहीं लौटता है मां के दरबार से कोई निराशबेगूसराय/नीमाचांदपुरा. ऐसे तो जिले के विभिन्न प्रखंडों के कई गांवों में मां काली की अाराधना पूरे उत्साह के साथ प्रतिवर्ष आयोजित होते हैं लेकिन बेगूसराय सदर प्रखंड के चांदपुरा गांव में मां काली की पूजा और इनकी अाराधना का विशेष महत्व है. यहां की सबसे बड़ी खासियत है कि जब से मां काली की अाराधना इस गांव में शुरू हुई है, तब से इस गांव में न सिर्फ शांति व्यवस्था स्थापित हुई बल्कि विकास की गति भी तेज हुई है.वर्ष 1990 से हो रही है मां की अाराधनावर्ष 1989 में चांदपुरा बस स्टैंड के पास प्रत्येक दिन मारपीट, गोलीबारी, हिंसक झड़प जैसी घटनाओं से गांव अशांत हो गया था. शाम होते ही चौक-चौराहों पर वीरानगी छा जाती थी. गांव की इस स्थिति को देख कर ग्रामीण प्रह्लाद सिंह गांव छोड़ कर दरभंगा चले गये. जहां उनकी भेंट एक संत से हुई. श्री सिंह ने गांव में लगातार घटित हो रही घटनाओं की जानकारी उक्त संत को दी. इसके बाद संत ने आंखें बंद कर ली और प्रह्लाद सिंह को गांव में मां काली की पूजा-अर्चना शुरू करवाने की सलाह दी. बताया जाता है कि 1990 में श्री सिंह गांव आये और संत के द्वारा बतायी गयी बातों की जानकारी ग्रामीणों को दी. संत की सलाह के अनुसार यहां कालिका पुराण पद्धति से कलश स्थापन के साथ ही मां काली की पूजा-अर्चना होती है. जानकारी के अनुसार चांदपुरा में नवरात्र की तरह कलश स्थापन के साथ नौ दिनों तक मां काली की अाराधना होती है. पंडित प्रमोद ठाकुर के मंत्रोच्चार के बीच पुजारी प्रह्लाद सिंह बनते हैं. इस वर्ष भी होगा काली मेला का आयोजन हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी यहां काली मेला का भव्य आयोजन किया गया है. मेला समिति के सदस्यों ने बताया कि 11 नवंबर को देवी जागरण, 12 एवं 13 नवंबर को भव्य मेले का आयोजन किया गया है. आनेवाले भक्तों के मनोरंजन के लिए मेला समिति की ओर से भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया है. इसके अलावे मेले में मीना बाजार, झूला, मिठाई की दुकानें समेत अन्य दुकान आकर्षण का केंद्र होता है. क्या कहते हैं ग्रामीणमां काली की पूजा-अर्चना शुरू होने के बाद गांव में आपसी सौहार्द कायम हुआ है. एकजुटता के साथ यहां के लोग विकास की गाड़ी को भी आगे बढ़ाने में सक्षम हो रहे हैं.पंकज सिंहग्रामीण, चांदपुराकाली मेला सभी वर्गों के लिए भाईचारा का प्रतीक है. यहां साक्षात मां काली विराजमान होती हैं. यही वजह है कि मां के दरबार में हजारी लगानेवाले भक्त निराश होकर यहां से नहीं लौटते हैं.नरेश राम, ग्रामीणपुरानी बातें याद आती हैं तो रूह कांप उठता है. यह सौभाग्य ही कहें कि जब से मां काली की पूजा शुरू हुई, तब से न तो शाम ढलते ही गांव में वीरानगी छाती है और न ही हिंसक झड़प होती है. मां की कृपा इसी तरह से लोगों पर बनी रहे मैं सबों के लिए यही कामना करता हूं.रत्नेश कुमार गौतमयुवा व्यवसायी, चांदपुरामां की अाराधना से पूरे क्षेत्र में हर्षोल्लास का वातावरण बना रहता है. मां की कृपा असीम है. सच्चे मन से मां की भक्ति करनेवालों पर मां का आशीर्वाद बना रहता है. इस बार भी मेले को आकर्षक बनाने की पूरी तैयारी की गयी है. रामप्रकाश पासवानमुखिया, नीमा पंचायत
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मां काली की आराधना से गांव में लौटी शांति
मां काली की अाराधना से गांव में लौटी शांति तसवीर-1,2,3,4,5,-मां का मंदिर एवं लोगों की प्रतिक्रिया वर्ष 1990 से हो रही है पूजा, हर वर्ष लगते है मेला, नहीं लौटता है मां के दरबार से कोई निराशबेगूसराय/नीमाचांदपुरा. ऐसे तो जिले के विभिन्न प्रखंडों के कई गांवों में मां काली की अाराधना पूरे उत्साह के साथ […]
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