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पीएम की घोषणा से फिर जगी उम्मीद

बरौनी खाद कारखाना : पांच हजार करोड़ से पुनर्जीवित करेगी केंद्र सरकार केंद्र सरकार द्वारा बरौनी खाद कारखाने को पांच हजार करोड़ की लागत से चालू करने की घोषणा एवं गैस पाइप लाइन के शिलान्यास के बाद लोगों में खुशी है. अगर समय सीमा के अंदर फर्टिलाइजर को चालू करने हेतु पाइप लाइन बिछा दी […]

बरौनी खाद कारखाना : पांच हजार करोड़ से पुनर्जीवित करेगी केंद्र सरकार
केंद्र सरकार द्वारा बरौनी खाद कारखाने को पांच हजार करोड़ की लागत से चालू करने की घोषणा एवं गैस पाइप लाइन के शिलान्यास के बाद लोगों में खुशी है. अगर समय सीमा के अंदर फर्टिलाइजर को चालू करने हेतु पाइप लाइन बिछा दी गयी और बरौनी फर्टिलाइजर के कारखाना परिसर को व्यवस्थित कर दिया गया, तो बेगूसराय ही नहीं, पूरे बिहार व आसपास के किसानों को यूरिया खाद के लिए भटकना नहीं पड़ेगा.
बेगूसराय : सूबे का इकलौता मृतप्राय बरौनी फर्टिलाइजर एक बार फिर यूरिया खाद कारखाने के रू प में गुलजार होगा. 31 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में बरौनी और गोरखपुर खाद कारखाने चालू करने की स्वीकृति प्रदान की गयी एवं 25 जुलाई को बरौनी फर्टिलाइजर को चालू करने हेतु हल्दिया-जगदीशपुर पाइप लाइन का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा करने से बेगूसराय एवं आसपास के जिलों में खुशी की लहर देखी जा रही है.
बताया जाता है कि केंद्र सरकार बंद खाद कारखाने को पांच हजार करोड़ की लागत से पुनर्जीवित करेगी. अगर एक बार फिर फर्टिलाइजर से खाद का निकलना शुरू हो गया, तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं कि बेगूसराय ही नहीं राज्य के कई जिलों के लोगों की तकदीर व तसवीर आनेवाले समय में बदल जायेगी.
गैस पाइप लाइन का शिलान्यास करने से खुशी की लहर : बरौनी में एचपीसीएल के बंद उर्वरक संयंत्र को पुनर्जीवित करने की भारत सरकार की पहल से जिले में खुशी की लहर छा गयी. ज्ञात हो कि पांच सितंबर, 2002 को केंद्र सरकार के द्वारा बरौनी खाद कारखाने को बंद करने के निर्णय की भर्त्सना की गयी थी. इसका सबसे अधिक प्रभाव किसानों पर पड़ा.
पुन: कारखाना चालू होने की खबर से उनके चेहरे खिल उठे हैं. ज्ञात हो कि बरौनी खाद कारखाने के निर्माण की स्वीकृति जनवरी, 1967 में मिलने के बाद शुरुआत में प्राक्कलित राशि 48 करोड़ की थी, जो निर्माण कार्य पूरा होते-होते 92 करोड़ की हो गयी. इसमें लगभग 24 करोड़ विदेशी मुद्रा विनिवेश किया गया था. इसका शिलान्यास पूर्व राज्यपाल नित्यानंद कानूनगो द्वारा मई, 1970 में किया गया था. 350 एकड़ में फैले बरौनी खाद कारखाने से एक नवंबर, 1976 से 1.84 लाख मीटरिक टन उत्पादन प्रतिवर्ष शुरू हुआ.
इससे 280 एकड़ में फैली उर्वरक नगर उपनगरी गुलजार हो रही थी.वर्ष 1999 जिले के लिए साबित हुआ अशुभ : जनवरी 1999 का माह बरौनी व बेगूसराय के लिए अशुभ साबित हुआ, जब कारखाने ने दम तोड़ते हुए औसतन 40 प्रतिशत कैपिसिटी की क्षमतवाले प्लांट से वर्ष 1994 में तीन लाख, 30 हजार एमटीए से घट कर एक लाख, 84 हजार एमटीए होने के बाद वर्ष 1999 से प्लांट ने उत्पादन करना बंद कर दिया.
चोरी कर बेची जा रहीं मशीनें : कारखाना बंद होने के बाद अपराधियों व चोरों की नजर लग गयी. कारखाने के अंदर की कीमती मशीनें चोरी कर ली गयीं. कारखाने के अंदर लाखों की लकड़ियां अवैध रू प से बेच दी गयीं.
आठ वर्षो के बाद एक बार फिर जगी थी आस : बरौनी खाद कारखाने के लगभग 8 वर्षो की बंदी के बाद बिहार के तीन वरीय नेताओं नीतीश कुमार, लालू प्रसाद, रामविलास पासवान ने एक साथ, 12 नवंबर, 2008 को बरौनी उर्वरक नगरी के मैदान में कारखाने के पुनर्जीवित करने को लेकर शिलान्यास कर बेगूसराय की जनता को निराश किया था.
खाद कारखाना पर लगभग 4500 करोड़ का है बकाया : 31 मार्च, 2006 तक बरौनी खाद कारखाने पर बिहार राज्य बिजली बोर्ड का 88.63 करोड़, आरसीएफ से ऋण तथा उस पर ब्याज 3752 करोड़ रुपये इसके अलावा 300 करोड़ रुपये यानि 2006 तक बरौनी खाद कारखाने के ऊपर 4500 करोड़ का बकाया बनता है.
भूतबंगला जैसा दिखता है उर्वरक नगर : वर्ष 2001 में बरौनी खाद कारखाने की बंदी के साथ खाद कारखाने के आवासीय परिसर उर्वरकनगर से कामगार चले गये. कर्मचारियों एवं अधिकारियों को वीआरएस के तहत छुट्टी दे दी गयी. आलम यह है कि खाली क्वार्टरों से चोर किवाड़, खिड़की आदि उखाड़ कर ले कर भाग रहे हैं.
कारखाना शुरू होते ही बदल
गयी थी क्षेत्र की रौनक
बरौनी खाद कारखाना शुरू होते ही क्षेत्र की रौनक बदल गयी थी. बरौनी यूनिट के अमोनिया प्लांट की क्षमता 600 मीटरिक टन प्रतिदिन कोयले पर आधारित एसजीपी, यूरिया प्लांट की एक हजार टन प्रतिदिन, 4/60 टीपीएच 20 मेगावाट का टरबो जेनेरेटर, 2.5 मेगावाट का जीटीजी, 1420 एम तीन/घंटा वाटर ट्रीटमेंट, 5000 एमटी अमोनिया स्टोरेज, 6 बैगिंग मशीन, 3 रेलवे और एक ट्रक बैंगिग प्लेटफॉर्म से सुसज्जित कारखाना अपने उत्पादन की राह पर चल पड़ा.

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