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शिकायतकर्ता का फोन उठाना भी मुनासिब नहीं समझते कर्मी

केबल कटने से बंद रहता है लैंडलाइन टेलीफोन बेगूसराय (नगर) : एक समय था जब बीएसएनएल लैंड लाइन या मोबाइल का कनेक्शन लेने के लिए लोगों को कई दिनों तक मशक्कत करनी पड़ती थी. यहां तक कि लोगों को इस कनेक्शन के लिए पैरवी लगानी पड़ती थी लेकिन आज स्थिति पूरी तरह से विपरीत हो […]

केबल कटने से बंद रहता है लैंडलाइन टेलीफोन
बेगूसराय (नगर) : एक समय था जब बीएसएनएल लैंड लाइन या मोबाइल का कनेक्शन लेने के लिए लोगों को कई दिनों तक मशक्कत करनी पड़ती थी. यहां तक कि लोगों को इस कनेक्शन के लिए पैरवी लगानी पड़ती थी लेकिन आज स्थिति पूरी तरह से विपरीत हो चुकी है.
बीएसएनएल में लगातार हो रही परेशानियों से लोग इस सेवा से अपना मुंह मोड़ने लगे हैं. इसका प्रमुख कारण है कि बीएसएनएल प्रबंधन इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं कर पा रहा है. इससे बीएसएनएल में समस्या कम होने के बजाय लगातार बढ़ती ही जा रही है. अगर यही हाल रहा, तो बीएसएनएल से अधिकतर उपभोक्ता अपना नाता तोड़ लेंगे.
बीएसएनएल का मतलब भाई साहब नहीं लगेगा : बीएसएनएल के प्रति लोगों की उदासीनता इतनी बढ़ गयी है कि लोग अब सरेआम यह कहने लगे हैं कि बीएसएनएल का मतलब भाई साहब नहीं लगेगा.
बताया जाता है कि 24 घंटे में अधिकतर समय बीएसएनएल का नेटवर्क गायब ही रहता है, जिससे लोगों का लैंडलाइन हो या फिर मोबाइल हमेशा बाधित रहता है. अगर उपभोक्ता किसी दूसरी कंपनी का मोबाइल साथ में नहीं रखें, तो काम बाधित हो जायेगा. कभी-कभी तो ऐसा हो जाता है कि पूरे दिन बीएसएनएल का टावर गायब हो जाता है, जिससे लोगों समेत सरकारी एवं निजी दफ्तरों में भी लोगों की परेशानी बढ़ जाती है.
कार्यालय में शिकायत करने पर अगर कोई जवाबदेह पदाधिकारी या कर्मी मिल जाते हैं, तो उनकी समस्या को सुन भी लेते हैं लेकिन अगर कोई इस तरह के कर्मी कार्यालय में बैठक रहें, तो वो शिकायतकर्ता का फोन रिसीव करना भी मुनासिब नहीं समझते हैं. इससे उपभोक्ताओं का आक्रोश वैसे समय में बीएसएनएल के प्रति और बढ़ जाता है.
बीएसएएनल कार्यालय में नहीं है कोई नियंत्रण : बीएसएनएल के कार्यालय में पदाधिकारियों का अपने कामगारों के प्रति नहीं है कोई नियंत्रण नहीं है, जिससे लोगों का कार्य बाधित होता है. आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि बीएसएनएल कार्यालय में लैंड लाइन कनेक्शन लेने के लिए सैकड़ों आवेदन पड़े हुए हैं. आवेदनकर्ता के द्वारा राशि भी जमा कर दी गयी है लेकिन कर्मियों की उदासीनता के चलते यह काम फाइलों में ही दबा हुआ है.
बिजली व जेनेरेटर की समस्या से भी नेटवर्क में होती है परेशानी : बेगूसराय में 56 बीटीएस कार्यरत हैं, जिसमें कुछ बीटीएस बिजली तो कुछ जेनेरेटर व इनवर्टर के सहारे चलता है.
कभी-कभी बिजली की आंखमिचौनी तो कभी जेनेरेटर में खराबी तो कभी इनवर्टर की बैटरी में आयी खराबी को लेकर बीएसएनएल का नेटवर्क गायब हो जाता है. इससे उपभोक्ताओं में अफरा-तफरी का माहौल उत्पन्न हो जाता है. हालांकि बेगूसराय कार्यालय को सूचना मिलने के बाद इस समस्या को दूर करने की दिशा में पहल शुरू कर दी जाती है.
नये तकनीशियन की कमी से बीएसएनएल की समस्या से जूझते हैं लोग : बीएसएनएल में अब भी पुरानी पद्धति पर काम करनेवाले कर्मियों की संख्या अधिक है. जबकि अभी जिस तकनीक के सहारे बीएसएनएल सेवा दे रही है. उसमें जानकार विशेषज्ञों की कमी है. बीएसएनएल के ब्रॉडबैंड की जानकारी अधिकतर कर्मियों को नहीं है. इसके चलते बीएसएनएल में खराबी आने पर उसे ठीक करने में वक्त लग जाता है. अगर विभाग के द्वारा कुछ नये तकनीशियनों को बहाल कर दिया जाता, तो बीएसएनएल की समस्या बहुत हद तक दूर हो सकता था. अभी बीएसएनएल में कुल कर्मियों की संख्या लगभग एक सौ है, लेकिन तकनीकी जानकारों की कमी है.
केबल कटने की समस्या से बाधित होती है दूरभाष सेवा
आये दिन दूरभाष सेवा में आ रही खराबी का प्रमुख कारण केबल कटना भी है. बताया जाता है कि बीएसएनएल के द्वारा जमीन के नीचे से केबल बहुत पूर्व में विभिन्न क्षेत्रों के लिए ले जाया गया है.
इधर कुछ निजी कंपनियों के द्वारा राष्ट्रीय उच्च पथ के किनारे केबल बिछाने का काम धड़ल्ले से किया जा रहा है. इसके तहत जेसीबी से हो रही खुदाई के दौरान पूर्व से बिछे बीएसएनएल केबल को काट दिया जाता है, जिससे लाइन बाधित हो जाता है. केबल कटने के बाद उसे जोड़ने व पुन: चालू करने में काफी वक्त लगता है. कभी-कभी तो दूरसंचार कार्यालय में केबल उपलब्ध नहीं होने से कई दिनों तक लाइन बाधित रहता है, जिस दौरान उपभोक्ता संपर्क बाधित हो जाता है.

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