मंसूरचक (बेगूसराय) . प्रखंड क्षेत्र स्थित गणपतौल में मां रक्तदंतिका की पूजा सैकड़ों वर्षो से होती आ रही है. जिले के प्राचीनतम दुर्गा मंदिरों में से एक बड़ी दुर्गा माता के नाम से चर्चित रक्तदंतिका की पूजा का इतिहास काफी पुराना है. यहां लाल रंग की मूर्ति की पूजा का प्रचलन है. बताया जाता है कि तत्कालीन जमींदार गुरु प्रसाद लाल ने यह मंदिर बनवाया था. 1902 के सव्रे में दुर्गा महारानी के नाम से मंदिर हेतु जमीन बंदोबस्ती का प्रमाण मिला. लेकिन, मंदिर उससे भी कहीं पुराना है. बताया जाता है कि वर्ष 1880 में मंदिर के पुनर्निर्माण के क्रम में नरसिंग पासवान को सैकड़ों वर्ष पुराना काले पत्थर की नारी आकृति का सर और पीतल का बड़ा दीप मिला था. काले पत्थर की मूर्ति आज भी दर्शन के लिए उपलब्ध है. इसकी प्रतिदिन पूजा व आरती होती है. वर्ष 1948 में तत्कालीन जमींदार अंबा प्रसाद ने मंदिर को स्थानांतरित कर सड़क के किनारे मूर्ति बनवायी थी, जो सप्तमी तिथि को स्वयं खंडित हो गयी. उस वर्ष इलाके में महामारी के रू प में प्लेग फैला, जिसमें सैकड़ों मवेशियों व लोगों की जानें चली गयीं. बुजुर्ग आज भी इसे दुर्गा मां का प्रकोप मानते हैं. 70 के दशक से पूर्व इस मंदिर में बलि प्रदान किया जाता था, जो बाद में बंद हो गया. पूजा समिति के अधिकारी बताते हैं कि हिंदू व मुसलिम पूजा को लेकर शारीरिक श्रम करते थे. इसमें मुसलिम बुजुर्गो का आर्थिक सहयोग भी होता था. हिंदू औरतों की तरह मुसलिम महिलाएं भी मां के दरबार में आकर मन्नतें मांगती थीं. इसी का नतीजा था कि मां रक्तदंतिका की पूजा सांप्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल हुआ करती थी.
BREAKING NEWS
पुराना है मां रक्तदंतिका का इतिहास
मंसूरचक (बेगूसराय) . प्रखंड क्षेत्र स्थित गणपतौल में मां रक्तदंतिका की पूजा सैकड़ों वर्षो से होती आ रही है. जिले के प्राचीनतम दुर्गा मंदिरों में से एक बड़ी दुर्गा माता के नाम से चर्चित रक्तदंतिका की पूजा का इतिहास काफी पुराना है. यहां लाल रंग की मूर्ति की पूजा का प्रचलन है. बताया जाता है […]
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement