झलकारी बाई की जयंती मनायी गईबेगूसराय (नगर). भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के जिन योद्धाओं और वीरांगनाओं ने अपनी प्राणों की आहूति देकर भारत को अंगरेजों की दासता से मुक्ति दिलायी. वह राष्ट्र आज भ्रष्टाचार के दल-दल में फंसा है. बेकारी व बेरोजगारी के कारण युवा पीढ़ी जवानी में ही बूढ़ा दिखती है. ऐसे समय में 1857 के महासंग्राम की वीरांगना झलकारी बाई को याद नहीं करना बड़ी भूल होगी. झलकारी बाई की जयंती श्रद्धापूर्वक शहीद सुखदेव सभागार, सर्वोदयनगर में मनायी गयी. अध्यक्षता शिक्षक नेता अमरेंद्र कुमार सिंह ने की. जीडी कॉलेज शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष व प्रवक्ता प्रो आनंद वर्द्धन ने कहा कि झलकारी बाई झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की तरह रण क्षेत्र में अगली पंक्ति में हुआ करती थीं. कांग्रेस नेता मुरलीधर मुरारी ने कहा कि वे अदम्य साहस की प्रतीक थीं. डॉ चंद्रशेखर चौरसिया ने कहा कि उनके वीर रस के लोकगीत भारत के कोने-कोने में गूंजते रहेंगे. अमरेंद्र कुमार सिंह, प्रदेश सचिव, भारत चीन मैत्री संघ ने कहा कि 22 नवंबर, 1830 को उनका जन्म झांसी के भोजला में हुआ था और 4 अप्रैल, 1857 को उन्होंने वीरगति प्राप्त की. इस मौके पर डॉ शैलेंद्र कुमार सिंह, लोकेश नाथ भारद्वाज, सुनीता देवी, शिक्षिका नीलिभा रानी, शिक्षिका रश्मि कुमारी ने भी उन्हें याद किया.
अदम्य साहस की प्रतीक थीं झलकारी बाई
झलकारी बाई की जयंती मनायी गईबेगूसराय (नगर). भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के जिन योद्धाओं और वीरांगनाओं ने अपनी प्राणों की आहूति देकर भारत को अंगरेजों की दासता से मुक्ति दिलायी. वह राष्ट्र आज भ्रष्टाचार के दल-दल में फंसा है. बेकारी व बेरोजगारी के कारण युवा पीढ़ी जवानी में ही बूढ़ा दिखती है. ऐसे समय में 1857 […]
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