* तीन वर्षो से उपेक्षित है तेघड़ा नगर पंचायत
बेगूसराय (नगर) : तेघड़ा नगर पंचायत की जनता तीन वर्षो से पंचायत व नगर के चक्कर में पड़ कर अपनी किस्मत पर आंसू बहा रही है. मंगलवार को तेघड़ा नगर पंचायत की मुख्य पार्षद नसीमा खातून व उपप्रमुख सुरेश रौशन के नेतृत्व में पार्षदों ने 13 सूत्री मांगों का ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा. जिलाधिकारी ने जनप्रतिनिधियों को आवश्यक कार्रवाई का भरोसा दिलाया
ज्ञात हो कि तेघड़ा नगर पंचायत के गठन के लगभग आठ माह गुजर गये, लेकिन आज तक नगर पंचायत की जनता को कोई लाभ नहीं मिल सका है. गत तीन वर्षो से तेघड़ा की जनता को न पंचायत का लाभ मिला और न ही नगर पंचायत का. नतीजा है कि जनप्रतिनिधियों को जनता का कोपभाजन बनना पड़ रहा है.
जिलाधिकारी को स्मारपत्र सौंपने के बाद उपमुख्य पार्षद सुरेश रौशन ने बताया कि नगर पंचायत को एक कर्मठ अधिकारी की जरूरत है, जो नगर पंचायत के कार्यो में रुचि लेकर इसके विकास का काम देख सकें. अभी जो कार्यपालक पदाधिकारी हैं , उनके जिम्मे निबंधन, भूमि सुधार उपसमाहर्ता व नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी का पद है. इस वजह से नगर पंचायत के बोर्ड या सशक्त स्थायी समिति के निर्णय के पत्र महीनों विभाग को नहीं जा पाते हैं.
तेघड़ा से बेगूसराय तक इनके आवास का चक्कर लगाते रहने पर भी पत्रों पर इनका हस्ताक्षर नहीं हो पाता है. उपमुख्य पार्षद ने बताया कि जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र, विभिन्न प्रकार की पेंशन योजनाएं, इंदिरा आवास का कोई भी काम नगर पंचायत कार्यालय से अभी तक कार्यान्वित नहीं हो पाया है.
नगर पंचायत के अंतर्गत जितनी भी जन वितरण प्रणाली की दुकानें हैं, उनमें आम जनता को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. एक वार्ड से दूसरे वार्ड के लोगों को जन वितरण प्रणाली में समान उठाने हेतु जाना पड़ता है. आंगनबाड़ी केंद्र में भ्रष्टाचार है. सही प्रकार से कुपोषित बच्चों को अनाज का वितरण नहीं होता है.
नगर पंचायत के लिखित आदेश के बाद भी कोई भी विभाग आदेशों पर कार्य करने के लिए तैयार नहीं होता है. तेघड़ा स्वास्थ्य केंद्र पर कोई समुचित व्यवस्था नहीं है. किसी तरह के मरीज के पहुंचने पर उसे बेगूसराय रेफर कर दिया जाता है. शिक्षा के मामले में स्कूलों का बुरा हाल है. शिक्षक या प्रधानाध्यापक कोई भी समय पर नहीं आते हैं. तेघड़ा में 10 सालों से जलमीनार बन कर तैयार है, लेकिन आज तक नगर पंचायत तेघड़ा को जल की आपूर्ति नहीं हुई.
बिजली विभाग का भी बुरा हाल है. तेघड़ा के बिजली विभाग के कनीय अभियंता किसी भी जनप्रतिनिधि को तरजीह नहीं देते हैं. नगर पंचायत को एजी कोड नहीं मिलने के कारण विकास की राशि लौट गयी थी. अब पटना के ऑफिसों का चक्कर लगाने के बाद कोड मिला है, तो राशि उपलब्ध नहीं है. तेघड़ा नगर पंचायत कार्यालय के दो कमरों पर पेंशनर समाज का कब्जा है. एक रूम में काम करने में काफी कठिनाई होती है.
जनप्रतिनिधियों ने जिलाधिकारी से आवश्यक पहल कर कार्रवाई की मांग की. इस मौके पर मुख्य पार्षद नसीमा खातून, उपमुख्य पार्षद सुरेश रौशन, पार्षद कृष्णनंदन सिंह, मीना देवी, सुनीता देवी, सुमन देवी, शिवशंकर पासवान, निरस चौधरी, लक्ष्मी देवी, मंजू देवी, मीना देवी, रागनी देवी, इंदू देवी समेत अन्य लोग उपस्थित थे.