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बंद होने के कगार पर आयुर्वेद कॉलेज

कर्मियों की नियुक्ति के अभाव में सीसीआइएम दिल्ली से गंवा दी मान्यता बेगूसराय : जिले की राजकीय अयोध्या शिवकुमारी आयुर्वेदिक महाविद्यालय सह अस्पताल बिहार राज्य पटना आयुष विभाग की मनमानी का शिकार होकर बंद होने की स्थिति में पहुंच रही है. वर्ष 1977 से 2008 तक कभी उक्त कॉलेज सह अस्पताल आयुर्वेद की पढ़ाई करने […]

कर्मियों की नियुक्ति के अभाव में सीसीआइएम दिल्ली से गंवा दी मान्यता

बेगूसराय : जिले की राजकीय अयोध्या शिवकुमारी आयुर्वेदिक महाविद्यालय सह अस्पताल बिहार राज्य पटना आयुष विभाग की मनमानी का शिकार होकर बंद होने की स्थिति में पहुंच रही है. वर्ष 1977 से 2008 तक कभी उक्त कॉलेज सह अस्पताल आयुर्वेद की पढ़ाई करने वाले छात्रों से गुलजार रहा करता था .परंतु कुछ कर्मियों की नियुक्ति के अभाव में सीसीआइएम दिल्ली से मान्यता खो बैठा. तब से सिर्फ अस्पताल संचालित है, छात्रों का नामांकन बंद है. प्रतिदिन अस्पताल में 400 मरीज स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं.
परंतु पूर्व से ही डॉक्टर, प्राध्यापक व व्याख्याता का अभाव झेल रहे अस्पताल आयुष विभाग पटना द्वारा अस्पताल में पदस्थापित स्वास्थ्यकर्मियों की राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज पटना में प्रतिनियुक्ति कर दिये जाने के कारण चिकित्सकों के अभाव में अस्पताल का संचालन भी संकट से घिरता जा रहा है. जबकि सरकार व जनप्रतिनिधियों के द्वारा इसे सभी संसाधन से युक्त कर सीसीआइएम से मान्यता प्राप्त कर पठन- पाठन का कार्य आरंभ कराने की घोषणा व कोशिशें भी जारी है.
अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर किस कारण से कर्मियों का अभाव झेल रहे बेगूसराय आयुर्वेदिक कॉलेज में पदस्थापित रीडरों व व्याख्याताओं की प्रतिनियुक्ति पटना आयुर्वेदिक महाविद्यालय में की जा रही है. जबकि अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक पटना आयुर्वेदिक महाविद्यालय में उक्त पदों की रिक्तियां भी नहीं रहती है. अंदरूनी सूत्रों की मानें तो पहुंच व पैरवी के बल पर स्वास्थ्यकर्मी अपने पंसदीदा जगहों पर प्रतिनियुक्ति करा लेते हैं जबकि उक्त पदों की वहां रिक्तियां भी नहीं रहती है.
कई मामले तो ऐसे हैं कि बेगूसराय में पदस्थापित स्वास्थ्यकर्मी पदोन्नति व प्रतिनियुक्ति के निर्देश पत्र एक साथ पटना आयुष विभाग से जारी करवाकर ऐच्छिक डयूटी हासिल कर ले रहे हैं.
: बेगूसराय में पदस्थापित चार स्वास्थ्य कर्मियों की अब तक पटना राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय में की गयी प्रतिनियुक्ति
बेगूसराय आयुर्वेदिक कॉलेज से वर्ष 2016 में पदस्थापित रोग एवं विकृति विभाग के रीडर डॉ अमरेंद्र कुमार, वर्ष 2017 में शरीर एवं रचना विभाग के रीडर डॉ शैलेंद्र कुमार व शालक्य विभाग के प्राध्यापक डॉ प्रदीप कुमार जायसवाल की प्रतिनियुक्ति पटना राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय में कर दी गयी. जिससे बेगूसराय राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय सह अस्पताल स्वास्थ्यकर्मियों के घोर अभाव से जूझने लगे. नव वर्ष 2018 में पुन: बेगूसराय में पदस्थापित द्रव्यगुण विज्ञान विभाग के उमेशचंद्र सिन्हा की पटना में प्रतिनियुक्ति कर दी गयी. जिससे जिले में डॉक्टरों के अभाव में आयुर्वेदिक इलाज पर भी ग्रहण लगता जा रहा है.
सीसीआईएम की टीम कर सकती है निरीक्षण
स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्तियों के अभाव में 2008 से मान्यता रद्द हो जाने के कारण छात्रों की नामांकन को चालू करने को लेकर फरवरी मार्च में सीसीआइएम दिल्ली की निरीक्षण टीम की आने की संभावना व्यक्त की जा रही है. ऐसे में बेगूसराय जिले में पदस्थापित स्वास्थ्यकर्मियों की पटना में प्रतिनियुक्ति होने के कारण एक बार पुन: मान्यता मिलने की संभावनाओं पर ग्रहण लग सकता है. यदि बिहार सरकार व संबंधित विभाग इसमें सार्थक पहल लेकर पटना कॉलेज में प्रतिनियुक्त स्वास्थ्य कर्मियों को प्रतिनियुक्ति को विरमत कर देती है तो जिले के अयोध्या शिवकुमारी महाविद्यालय सह अस्पताल की कर्मियों की अभाव कम हो जायेगी जिससे मान्यता मिलने की उम्मीदें बढ़ जायेगी.
क्या कहते हैं लोग
मान्यता वापस मिले इसके लिये सरकार द्वारा कर्मियों की नियुक्तियों की बात की जा रही है तो पूर्व से पदस्थापित स्वास्थ्य कर्मियों की पटना आयुर्वेदिक महाविद्यालय में प्रतिनियुक्ति कर देना आयुष विभाग पटना की गैर जिम्मेदाराना निर्णय है.
फुलेना सिंह, अध्यक्ष भारत सेवक समाज
क्या कहते हैं पदाधिकारी
महाविद्यालय की मान्यता के लिये प्रयासरत हैं,स्वास्थ्य मंत्री का भी कहना हुआ है कि बेगूसराय आयुर्वेदिक कॉलेज को सभी संसाधनों से लैस कर मान्यता के लायक बनाना है. सीसीआइएम दिल्ली की टीम का निरीक्षण फरवरी -मार्च में संभावित है.
डॉ उमाशंकर चतुर्वेदी, प्राचार्य,आयुर्वेदिक महाविद्यालय

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