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हर 48 घंटे पर हादसे में एक की जा रही जान

बेगूसराय : 13 नवंबर 2017 को जीरोमाइल ओपी क्षेत्र के एनएच-31 पर बथौली ढाला के पास सड़क दुर्घटना में एक ही परिवार के तीन सदस्यों की जिंदगी सदा के लिए खामोश हो गयी. यह तो महज एक बानगी है. आंकड़े बताते हैं कि हर 48 घंटे पर औसतन एक व्यक्ति की जान सड़क दुर्घटना में […]

बेगूसराय : 13 नवंबर 2017 को जीरोमाइल ओपी क्षेत्र के एनएच-31 पर बथौली ढाला के पास सड़क दुर्घटना में एक ही परिवार के तीन सदस्यों की जिंदगी सदा के लिए खामोश हो गयी. यह तो महज एक बानगी है. आंकड़े बताते हैं कि हर 48 घंटे पर औसतन एक व्यक्ति की जान सड़क दुर्घटना में जा रही है.

इससे सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि बेगूसराय की सड़कों पर आम लोगों की जिंदगी कितनी असुरक्षित है. विभागीय सूत्रों की मानें तो जनवरी 2017 से अक्तूबर माह तक करीब लगभग 94 लोगों की मौत सड़क दुर्घटना में हुई है. जबकि 200 से अधिक लोग घायल हुए हैं.

जख्म ऐसा कि भर नहीं सकेगा:ज्ञात हो कि कोई बेटा घर से यह कह कर निकला था कि मां जल्द लौट आऊंगा, कोई पति शाम में सब्जी व घर का सामान लाने का वादा करके गया, कोई भाई बहन की शादी की शॉपिंग के लिए गया, तो कोई दोस्त फिर से मिलने का वादा करके. लेकिन, ये वादे पूरे नहीं हो सके.
सड़क हादसे ने इन परिवारों को वह जख्म दिये जो किसी के भरे भी कभी नहीं भर सकते. जो मर गये उनका परिवार बेसहारा हो गया और जो जिंदा हैं. वे अपंग हो अपनी दैनिक क्रिया के लिए भी दूसरे के भरोसे हो गये.
जल्दबाजी व आपाधापी में गंवा जा रहे जान :जिले में आये दिन लापरवाह व जल्दबाजी की ड्राइविंग से किसी न किसी की मौत हो रही है. खास कर बेगूसराय-रोसड़ा स्टेट हाइवे -55, राष्ट्रीय उच्च पथ 31 एवं 28 पर मौत की गाड़ियां दौड़ रही है. हाल फिलहाल पिछले एक महीने की ही बात करें, तो कई लोगों की मौत एनएच-31 व 28 पर हादसे में हो चुकी हैं. लेकिन, जिला प्रशासन या परिवहन विभाग इन मौतों को रोकने के ठोस उपाय की जगह ओवरलोड वाहनों की धर-पकड़ तक ही सीमित हो गयी है.
वाहनों के फिटनेस की जानकारी नहीं :जिले की सड़कों पर गाड़ियों की कमी नहीं है, मगर इसमें फिट कितनी हैं. जिले में तैनात ट्रैफिक पुलिस को भी नहीं पता. शहर व जिले की सड़कों से ऑटो, बसें व ट्रक बड़ी संख्या में रोज गुजरते हैं. मगर फिटनेस जांच के नाम पर जिले में बस खानापूर्ति है. खुलेआम खटारा बसें व ऑटो चल रहे हैं. लेकिन, इन वाहनों के पास फिटनेस पेपर हैं या नहीं, यह भी पूछने की जहमत कोई नहीं उठाता. ड्राइविंग लाइसेंस, बीमा व ओवरलोडिंग के नाम पर प्रतिदिन जोर-शोर से चालान काटने वाले ‘खाकी’ को यह तक नहीं मालूम कि कितने वर्ष तक वाहन सड़क पर चलने योग्य होता है.
आंकड़े की जुबानी, हादसे की कहानी :विभागीय सूत्रों से प्राप्त आंकड़े जिले की विभिन्न सड़कों की कहानी बयां कर रही है. जानकारी के अनुसार वर्ष 2012 में 141, वर्ष 2013 में 139, वर्ष 2014 में 133, वर्ष 2015 में 123 और वर्ष 2016 में 142 लोगों की जान सड़क दुर्घटना में गयी है. सड़क हादसे के बाद मुआवजे की मांग को लेकर सड़क जाम होने की खबरें सुर्खियों में छायी रही. सड़क जाम कर प्रशासन पर दबाव बनाने के कारण मृतक के आश्रितों को मुआवजा भी मिलते चले गये.
क्या कहते हैं अधिकारी
सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम को लेकर सड़क सुरक्षा सप्ताह चला कर जागरूक किया जाता है. एनएच पर दुर्घटना का मुख्य कारण अतिक्रमण था, उससे मुक्ति दिलाने के लिए हर रोज अभियान चलाया जा रहा है. सुरक्षित यात्रा के लिए लोगों को जागरूक होने की जरूरत है.
राजीव कुमार श्रीवास्तव, डीटीओ, बेगूसराय

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