15.9 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सिमरिया कुंभ का नहीं है कोई साक्ष्य: महंत रामसुमिरन दास

बेगूसराय : उत्तरवाहिनी पावन गंगा तीर्थ का पवित्र स्थल कल्पवास की मोक्षदायिनी परंपरा के लिए सुविख्यात है. जहां पर मिथिला, नेपाल, भूटान तथा देश के विभिन्न हिस्से से लोग कार्तिक मास में कल्पवास तथा प्रतिदिन गंगा स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं. शास्त्रोक्त परंपरा तथा सनातन मान्यता के अनुसार चार जगह ही कुंभ प्रायोजित है. […]

बेगूसराय : उत्तरवाहिनी पावन गंगा तीर्थ का पवित्र स्थल कल्पवास की मोक्षदायिनी परंपरा के लिए सुविख्यात है. जहां पर मिथिला, नेपाल, भूटान तथा देश के विभिन्न हिस्से से लोग कार्तिक मास में कल्पवास तथा प्रतिदिन गंगा स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं. शास्त्रोक्त परंपरा तथा सनातन मान्यता के अनुसार चार जगह ही कुंभ प्रायोजित है.

ये चारों स्थान हरिद्वार, उज्जैन, नासिक तथा प्रयागराज है. इसके अलावा कुंभ आयोजन का न कोई साक्ष्य व न ही कोई प्रमाण है. सिमरिया में कुंभ के नाम पर लोगों को दिग्भ्रमित किया जा रहा है. जिसकी हमलोग निंदा करते हैं. उक्त बातें शहर के सायोनारा के सभागार में आयोजित बैठक के दौरान महामंडलेश्वर महंत रामसुमिरन दास जी महाराज ने कही. उन्होंने कहा कि सिमरिया में कुंभ के बारे में अंवरमणि पत्रिका अंक 11 जनवरी-फरवरी 2011 पृष्ठ 38 पर श्लोक को उधृत किया जाता है.

जिसका न ही कोई प्रमाण है या किसी शास्त्र ग्रंथ से ही मिलता है. उन्होंने कहा कि सिमरिया का पौराणिक तथा ऐतिहासिक महत्व इसलिए है कि इस धरती पर सीता माता की विदाई के समय सखियों के साथ आयी. यहां से राम उन्हें अपने साथ ले गये.उनके चरण कमल इस धरती पर पड़े. इस कारण संपूर्ण मिथिला, नेपाल, जनकपुर धाम, भूटान से लोग कार्तिक माह में एक माह तक कल्पवास कर पुण्य के भागी बनते हैं. महंत श्री दास ने कहा कि इसके इसी सत्य को विश्व स्तर पर प्रतिष्ठापित कर इसे धार्मिक स्थल के रूप में विकसित करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार पिछले अनेक वर्षों से कल्पवास को राजकीय मेला घोषित कर रखा है. लेकिन राजकीय मेला के अनुरूप इसे न तो सुविधा व धन राशि मिल पाती है, जिससे इसका विकास हो सके. उन्होंने कहा कि सिमरिया घाट के डाक से प्राप्त करोड़ों की राशि का उपयोग सिमरिया घाट तथा जन सुविधाओं के विकास के लिए नहीं किया जाता है. उन्होंने कहा कि आस्था तथा पौराणिक परंपरा के विपरीत कुंभ लगाने की मान्यता को अखाड़ा परिषद तथा अन्य संबंधित संगठनों ने भी नकार दिया है. इस मौके पर दरभंगा दोरूख महामंडलेश्वर महंत अवध किशोर दास, वीथान हसनपुर के महंत बजरंगी दास, समस्तीपुर पंचगांवा के महंत बलराम दास, चकबा समस्तीपुर के महंत श्याम बिहारी दास, खम्हार के महंत मौनी बाबा, बीहट के महामंडलेश्वर गोपाल दास, सूजा महंत शंकर दास, नौलखा मंदिर न्यास समिति के अध्यक्ष अमरेंद्र कुमार अमर, मनकामेश्वरी धाम भरौल के सुभाष कुमार कंगन समेत अन्य लोग उपस्थित थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें