30.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सिमरिया कविताओं की उद्यान भूमि: मंगलेश

दिनकर और हमारा समाज विषय पर साहित्यकारों ने रखी अपनी बात बरौनी (नगर) : समारोह के दूसरे दिन भी राष्ट्रकवि दिनकर के गांव का हर रास्ता दिनकर स्मृति सभागार की ओर जाता रहा. दिनकर पुस्तकालय का सभागार साहित्य प्रेमियों व स्कूली छात्र-छात्राओं से भरा रहा. दिनकर की मिट्टी को नमन करने आये प्रख्यात कवि मंगलेश […]

दिनकर और हमारा समाज विषय पर साहित्यकारों ने रखी अपनी बात
बरौनी (नगर) : समारोह के दूसरे दिन भी राष्ट्रकवि दिनकर के गांव का हर रास्ता दिनकर स्मृति सभागार की ओर जाता रहा. दिनकर पुस्तकालय का सभागार साहित्य प्रेमियों व स्कूली छात्र-छात्राओं से भरा रहा. दिनकर की मिट्टी को नमन करने आये प्रख्यात कवि मंगलेश डबराल, साहित्यकार अष्टभुजा शुक्ल दिनकर के गांव में कवि और साहित्यकार के प्रति लगाव देख कर दंग रह गये. मुख्य अतिथि मंगलेश डबराल ने दिनकर और हमारा समाज विषय पर साफ शब्दों में कहा कि जिस तरह से दिनकर के प्रति सिमरिया गांव के लोगों में अपना नाता जोड़ रखा है.
अगर उसी तरह देश के कुछ और गांवों में कवियों, साहित्यकारों के प्रति लगाव होता तो आज साहित्य की यह दुर्दशा नहीं होती. सिमरिया दिनकर की जन्मभूमि ही नहीं कविता की उद्यानभूमि भी है. उन्होंने कहा कि अनेकता में एकता ही देश की जीवन शक्ति है. जिसका संदेश दिनकर ने अपनी कविताओं में दिया है.
इस अवसर पर अपनी प्रसिद्ध रचना हमारे देवता को प्रस्तुत कर लोगों को सोचने के लिए मजबूर कर दिया. अष्टभुजा शुक्ल ने कहा कि दिनकर राष्ट्रीय घोष के नायक हैं. कविता की भाषा उनकी अपनी अर्जित भाषा है. दिनकर की भाषा जन-जन की भाषा है. जिसमें देश के गरीबों, मजदूरों के संघर्ष की गाथा है. दिनकर सिर्फ सिमरिया तक सीमित नहीं है. उनकी वाणी देश का प्रतिनिधित्व करती है.
एलएनएमयू विश्वविद्यालय में हिंदी विभागाध्यक्ष चंद्रभानू प्रसाद सिंह ने कहा कि दिनकर राष्ट्रवाद के ओजस्वी गायक थे. दिनकर की कविता साधारण जनता के सुख-दु:ख का साक्षी है. यही कारण है कि दिनकर आज भी प्रासंगिक हैं. कार्यक्रम की अध्यक्षता दिनकर के सुपुत्र केदारनाथ सिंह ने की. कार्यक्रम में जनवादी लेखक संघ के राज्य सचिव विनिताभ, डॉ निरंजन कुमार, डॉ भगवान प्रसाद सिंह, शिक्षक नेता सुधाकर राय, अशांत भोला, दीनानाथ सुमित्र, रामरतन सिंह, राम अनुग्रह शर्मा सहित अन्य मौजूद थे. दिनकर स्मृति विकास समिति के सचिव मुचकुंद कुमार मोनू ने आगत अतिथियों का स्वागत किया .संचालन प्रवीण प्रियदर्शी ने किया. समारोह को सफल बनाने में संजित कुमार, राजेश कुमार, लक्ष्मणदेव कुंवर, संत कुमार, अमरदीप सुमन, दीनबंधु सहित अन्य लोगों का सराहनीय योगदान रहा.
गौरवशाली है दिनकर के गांव का पुस्तकालय:समारोह में भाग लेने आये साहित्यकारों ने दिनकर पुस्तकालय एवं अपने साहित्यिक तीर्थस्थल दिनकर के घर का भी अवलोकन किया. दिनकर के घर पर उनके पुत्र केदारनाथ सिंह ने साहित्यकारों का स्वागत करते हुए दिनकर की कई तस्वीरों और अपने गांव में दिनकर जहां बैठ कर कविता लिखा करते थे उस जगह का भ्रमण कराया.
वहीं पुस्तकालय में सुसज्जित पुस्तकों को देख साहित्यकार गद्गद हो गये. पुस्तकालय अध्यक्ष विश्वंभर सिंह ने बताया कि दिनकर के सम्मान में मनाये जानेवाले इस कार्यक्रम में वर्ष 2004 में हंस के संपादक राजेंद्र यादव, समयांतर के पंकज विष्ट,2005 में नंदकिशोर नवल, विश्वमोहन तिवारी, 2006 में स्वामी सहजानंद सरस्वती रचनावली के संपादक राघव शरण शर्मा, 2007 में प्रख्यात आलोचक मैनेजर पांडेय, प्रो अरुण कमल,अवधेश प्रधान, 2008 में अशोक वाजपेयी, केदारनाथ सिंह, प्रभाष जोशी, विश्वनाथ त्रिपाठी, दीपक त्यागी, विजेंद्र नारायण सिंह जैसे साहित्यकारों व रचनाकारों का आगमन इस पुस्तकालय एवं दिनकर के पैतृक आवास में हो चुका है.
वर्ष 2009 में हिंदी के प्रख्यात आलोचक नामवर सिंह, खगेंद्र ठाकुर, मुरली मनोहर प्रसाद सिंह, रेखा अवस्थी, 2010 में विष्णु नागर, रविभूषण,नंद किशोर नंदन, 2011 में प्रो चौथीराम यादव, कर्मेंदु शिशिर, प्रो तरुण कुमार, 2012 में प्रो मदन कश्यप, आलोक धन्वा, कृष्ण किल्पत, संजय पंकज,2013 में अब्दुल बिस्मिल्लाह,हरिवंश,2014 ह्रषिकेश सुलभ,पुरूषोत्तम अग्रवाल तथा 2015 में वीरभारत तलवार,आनंद प्रधान,अनीश अंकुर तथा वर्ष 2016 में अरुण कमल, डॉ विनय कुमार,अशोक माहेश्वरी का आगमन दिनकर की जन्मभूमि पर हो चुका है.
इसके अलावा प्रसिद्ध कवि शिवमंगल सिंह सुमन आरसी प्रसाद सिंह, नंद किशोर नवल,अरुण प्रकाश,कन्हैया लाल समेत अन्य साहित्यकारों का आगमन हो चुका है. पुस्तकालय में जहां दिनकर की समग्र रचना है, वहीं नागार्जुन, मुक्तिबोध, फणीश्वरनाथ रेणु, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, स्वामी सहजानंद सरस्वती सहित एक दर्जन साहित्यकारों की संपूर्ण रचनाएं संकलित है.
स्वागत से अभिभूत हो उठे साहित्यकार :समारोह में भाग लेने वाले साहित्यकारों ने जीरोमाइल स्थित दिनकर की आदमकद मूर्ति पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन निवेदित किया. गाजे-बाजे व मोटरसाइकिल जत्थे के साथ साहित्यकारों का स्वागत करते हुए सिमरिया लाया गया. पंचायत भवन स्थित दिनकर की प्रतिमा पर अतिथियों ने पुष्प अर्पित किया.
बाद में जुलूस की शक्ल में गांव भ्रमण करते हुए सभी अतिथियों को लाया गया.अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया. इस अवसर पर उपस्थित पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह, एसएन आजाद, प्रताप नारायण सिंह ने आगत सभी अतिथियों का स्वागत किया. वहीं बिहार अभियंत्रण प्रवेश परीक्षा के टॉपर सिमरिया पुत्र को मुख्य अतिथि मंगलेश डबराल ने सम्मानित किया.
समर शेष है..स्मारिका का हुआ विमोचन :अतिथियों ने समर शेष है के सातवें संस्करण की स्मारिका का विमोचन किया. वहीं राष्ट्रकवि दिनकर सृजनात्मक प्रतियोगिता परीक्षा 2017 के माध्यमिक स्तर के सफल प्रतिभागियों में प्रथम एवं द्वितीय स्थान पाने वाले विद्या विहार शिक्षक संस्थान के सुभाष कुमार, मो अकरम तथा तृतीय स्थान पानेवाले उच्च विद्यालय पर्रा के छात्र प्रिंस कुमार को पुरस्कृत किया.
इसके अलावा मध्य स्तर की प्रतियोगिता परीक्षा में प्रथम मध्य विद्यालय फिजलपुर के छात्र मो अफरोज, द्वितीय मध्य विद्यालय पर्रा के छात्र आशुतोष, मध्य विद्यालय जगदर के छात्र जालंधर कुमार तथा मध्य विद्यालय सिमरिया के छात्र कृष्ण कुमार गौरव को संयुक्त रूप से तृतीय स्थान पाने के लिए पुरस्कृत किया गया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें