समस्या. जांच के नाम पर होती है खानापूर्ति
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आंगनबाड़ी केंद्रों पर लूट की खुली छूट
समस्या. जांच के नाम पर होती है खानापूर्ति बरौनी (नगर) : बरौनी प्रखंड क्षेत्र के तमाम आंगनबाड़ी केंद्रों का हाल-बेहाल है. आंगनबाड़ी केंद्रों पर सुविधाओं की लंबी फेहरिस्त है. किंतु समाज के कुपोषित और कमजोर लोगों का कोटा अधिकारियों की मिलीभगत से लूटा जा रहा है. जिसके कारण इसकी दशा सुधरने के बजाय दिन-प्रतिदिन बिगड़ती […]
बरौनी (नगर) : बरौनी प्रखंड क्षेत्र के तमाम आंगनबाड़ी केंद्रों का हाल-बेहाल है. आंगनबाड़ी केंद्रों पर सुविधाओं की लंबी फेहरिस्त है. किंतु समाज के कुपोषित और कमजोर लोगों का कोटा अधिकारियों की मिलीभगत से लूटा जा रहा है. जिसके कारण इसकी दशा सुधरने के बजाय दिन-प्रतिदिन बिगड़ती ही जा रही है. जमीन के अभाव में अधिकांश आंगनबाडी केंद्र भवनहीन हैं. छोटे-छोटे बच्चे टाटों, दालान में फर्श पर बैठ कर कैसी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. यह किसी से छिपी नहीं है.
प्रखंड क्षेत्र में है 266 आंगनबाड़ी केंद्र : बरौनी प्रखंड के 17 पंचायतों में आंगनबाड़ी के 267 केंद्र हैं. जिसमें 238 आंगनबाड़ी केंद्र और 28 मिनी आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं. मानक के अनुसार प्रत्येक केंद्र पर 40 बच्चों को नामांकित कर सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जा रही तमाम सुविधाएं दी जानी है.मौसमी फल दिये जाने का बैनर-पोस्टर बच्चों को लुभाता जरूर है, लेकिन कब मिलेगा ये पता नहीं. मेनू के अनुसार खाना दिवास्वप्न बना है. लगातार आंगनबाड़ी केंद्रों से मिल रही शिकायतों पर दर्जनों केंद्रों का निरीक्षण किया गया. निरीक्षण के दौरान केंद्रों से जुड़े बच्चों के अभिभावक व टीएचआर पानेवाली महिलाओं ने जिस सच से अवगत कराया. वह सांगठनिक रूप से लूट की छूट और लचर व्यवस्था की पोल खोलता है.
निरीक्षण में मिली कई गड़बड़ी: आंगनबाड़ी केंद्रों के निरीक्षण के दौरान काफी गड़बड़ी पायी गयी. अधिकांश केंद्रों पर निर्धारित संख्या के बजाय काफी कम छात्रों की उपस्थिति हो रही है.कई आंगनबाड़ी केंद्र तो कभी खुलते ही नहीं.
कागजी आंकड़े झूठ का पुलिंदा के सिवाय और कुछ नहीं है. सब कुछ जानते हुए भी विभागीय अधिकारी अंजान बने हैं
कागजी फाइल दुरुस्त कर की जा रही गड़बड़ी पर पर्दा डाला जा रहा है.
हर छह महीना में कराना होता है सामाजिक अंकेक्षण : राज्य सरकार के आइसीडीएस निदेशालय के निर्देशानुसार हर छह महीना में सामाजिक अंकेक्षण कराना जरूरी होता है. सामाजिक अंकेक्षण से केंद्र के क्रियाकलाप, केंद्र पर दी जानेवाली सभी छह तरह की सुविधाओं से जुड़ी अन्य मूलभूत जानकारी पोषक क्षेत्र के लाभुकों को दी जानी चाहिए. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सभी पंचायतों में सामाजिक अंकेक्षण का कार्य पूरा नहीं हो पाया है.
जांच कर होगी कार्रवाई
सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर विशेष रूप से नजर रखी जा रही है. किसी भी तरह की गड़बड़ी की शिकायत मिलेगी, तो संबंधित केंद्रों की जांच कर विधि सम्मत कार्रवाई की जायेगी.
प्रीति कुमारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी
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