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प्रशासन की मुस्तैदी से शांति
उचडीहा गांव में 84 डिसमिल गैर मजरुआ आम जमीन को लेकर संघर्ष होता रहा है. हालांकि, हालिया हुई घटना को लेकर 31 लोगों को नामजद व 50 अज्ञात को आरोपित बनाया गया है, लेकिन अब तक इसका कोई ठोस व स्थायी समाधान प्रशासन नहीं िनकाल पाया है. धोरैया : थाना क्षेत्र का उचडीहा गांव में […]
उचडीहा गांव में 84 डिसमिल गैर मजरुआ आम जमीन को लेकर संघर्ष होता रहा है. हालांकि, हालिया हुई घटना को लेकर 31 लोगों को नामजद व 50 अज्ञात को आरोपित बनाया गया है, लेकिन अब तक इसका कोई ठोस व स्थायी समाधान प्रशासन नहीं िनकाल पाया है.
धोरैया : थाना क्षेत्र का उचडीहा गांव में हुए विवाद के बाद पुलिस ने सक्रियता दिखाते हुए गांव में शांति तो कम कर दी, लेकिन तनाव कायम है.
प्रशासन का मानना है कि क्षेत्र के शांतिप्रिय लोग नहीं चाहते कि बार-बार इस तरह की घटना घटे. अमनपसंद लोग इसे जल्द से जल्द खत्म करना चाहते हैं, लेकिन कुछ उपद्रवी तत्व बार-बार इस तरह की घटना को अंजाम देकर समाज के माहौल को बिगाड़ने की कोशिश करते हैं. कुछ लोग तो इसके पीछे गहरी साजिश की बात भी करते हुए मामले की जांच कर रहे हैं.
जानकारी के अनुसार यह मामला जमीन विवाद के कारण वर्षोँ से सुर्खियों में रहा है. बिहार सरकार की 84 डिसमिल गैर मजरुआ आम जमीन को लेकर गांव के दो पक्षों के बीच उत्पन्न विवाद का हल अब तक नहीं हो पाया है. गांव में इस जमीन के विवाद के कारण प्रखंड से लेकर जिला प्रशासन तक की नींद उड़ी रहती है.
स्थिति इतनी भयावह हो जाती है कि डीएम व एसपी तक को गांव पहुंच मोरचा संभालना पड़ता है. गुरुवार की रात पुलिस पर एक पक्ष द्वारा पथराव किये जाने की घटना से विवाद बढ़ गया. इसके पूर्व भी वर्ष 2015 में एक पक्ष द्वारा रोड़ेबाजी की गयी थी. इस घटना में दर्जनों लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गये थे.
बीडीओ ने दर्ज कराया मामला : पत्थरबाजी की घटना के बाबत बीडीओ गुरुदेव प्रसाद गुप्ता ने थाना में आवेदन देकर कहा है कि 11 मई की रात 9:30 बजे थानाध्यक्ष द्वारा सूचना दी गयी कि उचडीहा में विधि व्यवस्था का खतरा बना हुआ है. सूचना पर जब वे पहुंचे तो बौंसी इंस्पेक्टर व थानाध्यक्ष अपने दलबल के साथ मौजूद थे. बताया गया कि एक पक्ष बात मानने को तैयार नहीं हैं. प्रशासन के प्रयास के बाद वे लोग माने और रात 10:15 बजे वापस अपने घर चले गये. उसी समय दूसरे पक्ष के लोग प्रशासन के विरोध में नाराबाजी करते हुए हरवै हथियार से लैस होकर आये तथा गाली-गलौज करते हुए रोड़ेबाजी करने लगे. इस मामले में गांव के 31 लोगों को नामजद तथा 50 अज्ञात के विरुद्ध मामला दर्ज कराया गया है.
वर्षों से क्या है विवाद: गांव के 84 डिसमिल गैर मजरुआ आम जमीन पर दो पक्षों में विवाद होता आ रहा है. वर्ष 1990 से चले आ रहे विवाद का अबतक कोई ठोस निर्णय नहीं निकल पाया है. उस समय भागलपुर के डीएम ने दोनों पक्षों के बीच शांति समिति की बैठक आहूत कर मामले के निष्पादन में रुचि ली थी. इसके लिए एक पक्ष ने दूसरे पक्ष को ढाई डिसमिल जमीन दी थी. घेराबंदी भी करवायी गयी थी. बाद में ईंट से की गयी घेराबंदी टूटने के बाद कंटीले तार से स्थल को घेरवाया गया था, जो धीरे-धीरे वह भी समाप्त हो गया.
देर रात पत्थरबाजी की हुई घटना के उपरांत पूरे गांव को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया. भारी संख्या में पहुंची पुलिस के साथ पुलिस पदाधिकारियों ने गांव के एक-एक घर की तलाशी ली. लेकिन सभी लोग घर छोड़कर फरार हो गये. घटना के बाद गांव के ही मध्य विद्यालय में पुलिस पदाधिकारी व पुलिस बलों की विशेष प्रतिनियुक्ति की गयी है. पुलिस बल विद्यालय में कैंप कर मामले पर नजर रख रहे हैं.
एसडीओ व एसडीपीओ ने लिया जायजा
शुक्रवार की दोपहर बांका एसडीओ पुनम कुमारी व एसडीपीओ शशिशंकर कुमार ने धोरैया थाना पहुंच जख्मी बीडीओ, थानाध्यक्ष व अन्य पुलिसकर्मियों से उनका कुशलक्षेम पूछा. इसके उपरांत एसडीपीओ ने पथराव मामले में गिरफ्तार मुख्य अभियुक्त विकास यादव से भी पूछताछ की. एसडीपीओ ने कहा कि प्रशासन के साथ ऐसे कृत्य को अंजाम देने वाले असमाजिक तत्वों से प्रशासन सख्ती से निबटेगा.
साथ लड़ने व साथ मरने की कसमें भी खा चुके हैं दोनों पक्ष
सबसे दिलचस्प पहलू यह भी है कि दो पक्षों के बीच विवाद के दो मुख्य सरगना साथ लड़ने व साथ मरने के भी वादे को पूरा कर अपनी जान गवां चुके हैं. मामले पर नजर रख रहे क्षेत्रीय ग्रामीणों में इस बात की चर्चा सरेआम हैं. एक पक्ष के मुखिया की मौत 18 जून 2016 को ब्रेन हेम्ब्रेज के कारण हो गयी थी. 10 दिन बाद दूसरे पक्ष के मुखिया की भी मौत सड़क दुर्घटना में हो गयी. ग्रामीणों में यह चर्चा है कि साथ लड़ने व साथ मरने के भी वादे को दोनों पहलवानों ने चरितार्थ कर दिया. अब दोनों के वंशज मैदान में ताल ठोंक रहे हैं और मामला तनावपूर्ण बना हुआ है.
धोरैया : उचडीहा में पुलिस पर पथराव मामले में गुरुवार की रात सघन धरपकड़ अभियान के दौरान पुलिस ने दर्जनों लोगों को हिरासत में ले लिया. बाद में पीआर बांड पर सभी को मुक्त कर दिया गया. थानाध्यक्ष शोएब आलम ने बताया कि अन्य सभी नाबालिग व दूसरे गांव के रहने वाले थे. घटना के बाद पंजवारा, रजौन व बाराहाट की भी पुलिस ने गांव पहुंच कर स्थिति को नियंत्रित किया. इधर पत्थरबाजी की घटना में बीडीओ के दाहिने पैर व बांये हाथ, थानाध्यक्ष के दांये हाथ के कलाई व बायें पैर, बीएमपी सिपाही वृजबंधु कुमार के मुंह तथा एएसआइ लक्ष्मण साह के पेट में गंभीर चोटें लगी. स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के उपरांत चिकित्सकों ने सभी जख्मियों की स्थिति खतरे से बाहर बतायी.
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