वन विभाग के अधिकारी व कर्मी जहां हाथी की गतिविधि पर पैनी नजर बनाये हुए हैं, वहीं लोगों को जंगली हाथी द्वारा मचाये जाने वाले तांडव का भय सताने लगा है.
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इलाके के लोगों में दहशत जान सांसत में. कटोरिया व बौंसी में जंगली हाथी का डेरा
वन विभाग के अधिकारी व कर्मी जहां हाथी की गतिविधि पर पैनी नजर बनाये हुए हैं, वहीं लोगों को जंगली हाथी द्वारा मचाये जाने वाले तांडव का भय सताने लगा है. कटोरिया : प्रत्येक वर्ष की भांति इस बार भी झारखंड के जंगलों से भटक कर जंगली हाथी बांका जिला क्षेत्र में प्रवेश कर चुका […]
कटोरिया : प्रत्येक वर्ष की भांति इस बार भी झारखंड के जंगलों से भटक कर जंगली हाथी बांका जिला क्षेत्र में प्रवेश कर चुका है. फिलवक्त उक्त विशालकाय हाथी कटोरिया व बौंसी वन परिक्षेत्र के बॉर्डर एरिया के गुटगुटिया जंगल के बगल के जंगल में डेरा जमाया हुआ है. वन विभाग के अधिकारी व कर्मी जंगली हाथी की गतिविधि पर पैनी नजर बनाये हुए हैं. इधर जंगली हाथी के प्रवेश करने की सूचना पर क्षेत्र के लोगों में भय व दहशत का माहौल बन गया है. कटोरिया व चांदन प्रखंड क्षेत्र के कधार, चिड़ैंयामोड़, तेतरिया, सलैया, तीनसीमानी, भोरसार, औरावरण, कालीगढ़ी, घुठिया, कलोथर, नारदो, बेरमो, कानीमोह, इनारावरण, जनकपुर, तेतरिया, बघवा, गौरीपुर आदि गांवों के लोगों भय सताने लगा है.
15 सालों से पहुंच रहा हाथी : जहां एक ओर कटोरिया व चांदन वन क्षेत्र में महुआ के जंगलों की बहुतायत होना इस इलाके के लोगों के लिए वरदान है. वहीं दूसरी ओर झारखंड के जंगलों से प्रतिवर्ष भटक कर आने वाले हाथियों का झुंड इलाके के लोगों के लिए अभिशाप बन गया है. वर्ष 2003 ई से ही प्रत्येक वर्ष महुआ फसल के मौसम में यानि मार्च-अप्रैल के महीनों में हाथियों का झुंड झारखंड के जंगलों से भटक कर बौंसी-कटोरिया के पहाड़ व जंगलों से घिरे क्षेत्र होकर प्रवेश करता है. हाथियों का दल दिन भर जल जमाव वाले स्थान के ईद-गिर्द विश्राम करता है और रात्रि में घूम-घूम कर गांवों में हमला बोल कर जान-माल की भारी क्षति पहुंचाता है. जंगली हाथी की संख्या एक से लेकर तेरह तक भी रही है. तांडव के क्रम में हाथी गेहूं, मकई, महुआ, ईख, केला, पपीता आदि की फसल को बरबाद करता ही है, ग्रामीणों द्वारा विरोध करने पर उनके घरों को भी सामूहिक रूप से ढाह देता है. सिर्फ वर्ष 2016 में हाथी इस क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सके थे.
मोहनपुर गांव में घुसा जंगली हाथी : बाराहाट. प्रखंड क्षेत्र के मोहनपुर गांव में सोमवार की सुबह जंगली हाथी के घुस से ग्रामीणों में अफरा-तफरी मच गयी. जिसने भी यह खबर सुनी सभी हाथी को देखने जमा होने लगे. इस दौरान हाथी ने गांव में कई आम के पेड़ को तोड़ डाला. ग्रामीण सुमन कुमार, सोनी सिंह ने बताया कि गांव में हाथी के घुसने की खबर से कई लोग घरों में घुस गये. युवकों ने साहस का परिचय देते हुए मशाल व अन्य हरवे हथियार के सहयोग से हाथी को गांव से खदेड़ने में सफलता पायी.
वन विभाग के अधिकारी व कर्मी जहां हाथी की गतिविधि पर पैनी नजर बनाये हुए हैं, वहीं लोगों को जंगली हाथी द्वारा मचाये जाने वाले तांडव का भय सताने लगा है.
कटोरिया : प्रत्येक वर्ष की भांति इस बार भी झारखंड के जंगलों से भटक कर जंगली हाथी बांका जिला क्षेत्र में प्रवेश कर चुका है. फिलवक्त उक्त विशालकाय हाथी कटोरिया व बौंसी वन परिक्षेत्र के बॉर्डर एरिया के गुटगुटिया जंगल के बगल के जंगल में डेरा जमाया हुआ है. वन विभाग के अधिकारी व कर्मी जंगली हाथी की गतिविधि पर पैनी नजर बनाये हुए हैं. इधर जंगली हाथी के प्रवेश करने की सूचना पर क्षेत्र के लोगों में भय व दहशत का माहौल बन गया है. कटोरिया व चांदन प्रखंड क्षेत्र के कधार, चिड़ैंयामोड़, तेतरिया, सलैया, तीनसीमानी, भोरसार, औरावरण, कालीगढ़ी, घुठिया, कलोथर, नारदो, बेरमो, कानीमोह, इनारावरण, जनकपुर, तेतरिया, बघवा, गौरीपुर आदि गांवों के लोगों भय सताने लगा है.
15 सालों से पहुंच रहा हाथी : जहां एक ओर कटोरिया व चांदन वन क्षेत्र में महुआ के जंगलों की बहुतायत होना इस इलाके के लोगों के लिए वरदान है. वहीं दूसरी ओर झारखंड के जंगलों से प्रतिवर्ष भटक कर आने वाले हाथियों का झुंड इलाके के लोगों के लिए अभिशाप बन गया है. वर्ष 2003 ई से ही प्रत्येक वर्ष महुआ फसल के मौसम में यानि मार्च-अप्रैल के महीनों में हाथियों का झुंड झारखंड के जंगलों से भटक कर बौंसी-कटोरिया के पहाड़ व जंगलों से घिरे क्षेत्र होकर प्रवेश करता है. हाथियों का दल दिन भर जल जमाव वाले स्थान के ईद-गिर्द विश्राम करता है और रात्रि में घूम-घूम कर गांवों में हमला बोल कर जान-माल की भारी क्षति पहुंचाता है. जंगली हाथी की संख्या एक से लेकर तेरह तक भी रही है. तांडव के क्रम में हाथी गेहूं, मकई, महुआ, ईख, केला, पपीता आदि की फसल को बरबाद करता ही है, ग्रामीणों द्वारा विरोध करने पर उनके घरों को भी सामूहिक रूप से ढाह देता है. सिर्फ वर्ष 2016 में हाथी इस क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सके थे.
मोहनपुर गांव में घुसा जंगली हाथी : बाराहाट. प्रखंड क्षेत्र के मोहनपुर गांव में सोमवार की सुबह जंगली हाथी के घुस से ग्रामीणों में अफरा-तफरी मच गयी. जिसने भी यह खबर सुनी सभी हाथी को देखने जमा होने लगे. इस दौरान हाथी ने गांव में कई आम के पेड़ को तोड़ डाला. ग्रामीण सुमन कुमार, सोनी सिंह ने बताया कि गांव में हाथी के घुसने की खबर से कई लोग घरों में घुस गये. युवकों ने साहस का परिचय देते हुए मशाल व अन्य हरवे हथियार के सहयोग से हाथी को गांव से खदेड़ने में सफलता पायी.
जंगली हाथियों के तांडव से मुक्ति हेतु वन विभाग द्वारा करीब छह सालों पूर्व ही तैयार किया गया ‘ऐलीफेंट मैनेजमेंट प्लान’ भी अधर में ही लटका हुआ है. इसे अब तक धरातल पर नहीं उतारा जा सका है. परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्र के लोग प्रत्येक वर्ष जंगली हाथी के तांडव झेलने को विवश हैं. ‘हाथी मैनेजमेंट प्लान’ में हाथी को रेलवे लाईन व गांवों से दूर रखने हेतु वन विभाग द्वारा वर्ष 2011 में ही पांच करोड़ की लागत वाली परियोजना व प्रस्ताव तैयार कर सरकार के पास स्वीकृति हेतु भेजी गयी थी. जिसमें तीन करोड़ की लागत से रेलवे पटरी के बगल में नाला की खुदाई, जंगली इलाकों में बड़े-बड़े पोखर की खुदाई, हाथियों के लिए चारा आदि के इंतजाम पर खर्च होना था. शेष दो करोड़ की राशि को बैंक में फिक्सड कर ब्याज की राशि को रखरखाव पर खर्च करने का प्रस्ताव है.
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