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12 लाख लोग शौचालय विहीन

लापरवाही. नक्सल प्रभावित जमुई जिला भी है बांका से आगे लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा के चुनाव में स्वच्छता मुख्य मुद‍्दा था. बिहार के मुख्यमंत्री भी चुनाव के दौरान अपने घोषणा पत्र में हर घर नल का जल व हर घर शौचालय की बात करते थे. चुनाव के बाद अब भी बांका अपने पड़ोसी जिले […]

लापरवाही. नक्सल प्रभावित जमुई जिला भी है बांका से आगे
लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा के चुनाव में स्वच्छता मुख्य मुद‍्दा था. बिहार के मुख्यमंत्री भी चुनाव के दौरान अपने घोषणा पत्र में हर घर नल का जल व हर घर शौचालय की बात करते थे. चुनाव के बाद अब भी बांका अपने पड़ोसी जिले से पीछे है. अब तक बांका में आठ लाख परिवार ही शौचालय का उपयोग कर रहे हैं. जबकि बांका की जनसंख्या 20 लाख से ज्यादा है. ऐसे में किसकी लापरवाही है यह तो विभाग ही बता सकता है लेकिन स्वच्छ भारत का सपना बांका में फेल हो रहा है.
बांका : खुले में शौच करने के लिए अब भी बांका के 12 लाख से अधिक लोग मजबूर हैं. यह अब भी सुबह सुबह खेत, नदी, नाले, मैदान आदि की ओर रुख कर रहे है. ऐसे में स्वच्छ भारत के निर्माण की परिकल्पना अभी करना बेइमानी होगी. सरकार की योजना है कि सभी लोग शौचालय का उपयोग करे लेकिन बांका अब भी काफी पीछे है. यहां की कुल आवादी 2034763 है. जिसमें पुरुष 1067140, महिलाएं 967623 है. शहरी क्षेत्र में 71313 जबकि गांवों में 1963450 लोग रहते है. ऐसे में सिर्फ 8 लाख 03 हजार 920 लोग ही शौचालय का उपयोग कर रहे है.
क्या है नियम
व्यक्तिगत पारिवारिक शौचालय: स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के अन्तर्गत व्यक्तिगत पारिवारिक शौचालय के निर्माण व उपयोग करने पर प्रोत्साहन राशि के रूप में 12000 रुपये जिसमें जिसमें केन्द्र का अंश 60 प्रतिशत व राज्य की भागीदारी 40 प्रतिशत देने का प्रावधान है. सभी बीपीएल परिवार तथा गरीबी रेखा से ऊपर वाले अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, लघु व सीमान्त किसानों, वास भूमिवाले, भूमिहीन श्रमिक, शारीरिक रूप से नि:शक्त व्यक्तियों और महिला मुखिया परिवार इसके पात्र है.
आवेदन की प्रक्रिया
शौचालय के निर्माण हेतु ग्राम पंचायत में आवेदन किया जाता है, जिसकी स्वीकृति सम्बन्धित विकास अधिकारी द्वारा दी जायेगी. लाभार्थी द्वारा स्वयं की राशि से अपने घर में निश्चित डिज़ाइन के आधार पर शौचालय का निर्माण किया जाता है. निर्मित शौचालय में जल की उपलब्धता हेतु पानी की टंकी व हाथ धोने की सुविधा होनी चाहिए. लाभार्थी व उसके परिवार के सदस्यों द्वारा शौचालय का उपयोग किया जाना चाहिए. पंचायत द्वारा निर्मित शौचालय के सत्यापन के बाद लाभार्थी के खाते में या चेक के द्वारा भुगतान किए जाने का प्रावधान है.
कहते हैं अधिकारी
लगातार अधिकारियों को इसके लिए टास्क दिया जा रहा है. लोगों को जागरूक किया जा रहा है. जैसे जैसे लोग आवेदन दे रहे है उनके घरों में शौचालय का निर्माण कराया जा रहा है. विभाग शौचायल निर्माण के लिए तत्पर है. जागरूकता अभियान तेज किया जा रहा है.
प्रदीप कुमार, डीडीसी, बांका

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