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मिलावट के कारण होती है बीमारी, देखें परखें फिर खरीदें मिठाई

खोवा में अधिक चीनी का प्रयोग तो बूंदी के लड्डू में खेसारी के बेसन का इस्तेमाल किसी में रंग तो किसी में निम्न गुणवत्ता वाली सामग्री का होता है इस्तेमाल बांका : आये दिन बाजार में मिलावटी सामग्री की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है. खास कर नव वर्ष व त्योहार को लेकर मिलावटी सामान […]

खोवा में अधिक चीनी का प्रयोग तो बूंदी के लड्डू में खेसारी के बेसन का इस्तेमाल

किसी में रंग तो किसी में निम्न गुणवत्ता वाली सामग्री का होता है इस्तेमाल
बांका : आये दिन बाजार में मिलावटी सामग्री की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है. खास कर नव वर्ष व त्योहार को लेकर मिलावटी सामान बेचने वालों भी बाजार में हैं. नववर्ष में मिठाई व अन्य खाने-पीने के व्यंजन में इस तरह के मिलावट की आशंका रहती है. ऐसी में मिठाई व अन्य सामग्री को जांच कर ही खरीदना चाहिए. इतना ही नहीं मसाला, हल्दी, दलहन, तेलहन, फल सब्जी या खाद्यान्न में भी मिलावट होती है. इस मिलावटी सामान के उपयोग से कई तरह की बीमारी हो सकती है.
ऐसे होती है मिलावट : मिठाई दुकानदार ने बताया कि बूंदी की लड्डू बनाने में चना के बेसन में मैदा, चौरठ, मटर बेसन की मिलावट होती है. जबकि पनीर में आरा रोट, पेड़ा बनाने के लिए खोवा में सुज्जी, आरारोट के साथ अधिक चीनी मिलायी जाती है. खाद्यान्न कारोबारी का कहना है कि सरसों तेल में ड्रॉप्सी मिक्स किया जाता है. जिससे तेल में झांस तो बढ़ता है, लेकिन इसका असर काफी हानिकारक होता है. शुद्ध घी में वनस्पति तेल मिलाया जाता है. ये मिलावट घी धनबाद, कानपुर, ग्वालियर आदि स्थानों से मिक्स होकर आता है. किराना दुकानदारों का कहना है कि दाल को सुरक्षित करने के लिए पोलिस किया जाता है
और चावल में चमक लाने के लिए यूरिया मिलाया जाता है. व्यवसायियों ने बताया कि मिलावट सामान बेचने वाले कुछ दुकानदारों के कारण अन्य व्यवसायियों का भी कारोबार प्रभावित होता है.
सामान मिलावट
हरा परवल हरा रंग
ककोरी हरा रंग
धनिया पत्ता हरा रंग
सेब केमिकल
चना दाल खेसारी दाल
अरहर दाल स्टोन पाउडर
मूंग दाल स्टोन पाउडर
चावल यूरिया
घी वनस्पति तेल
मिर्च पाउडर लाल रंग
हल्दी चावल का आटा
धनिया पाउडर में निम्न कोटि की धनिया पाउडर
कतरनी चावल सोनम में सेंट के साथ अन्य चावल
सरसों तेल में राइस ब्रॉन या सफेद तेल
हरे रंग से रंग दी जाती है परवल समेत अन्य हरी सब्जियां
इस संबंध में अंजू देवी, सपना झा, खुशी कुमारी, कोमल भगत, रिचा कुमारी ने बताया कि करेला, परवल को जब धोया तो पानी में हरा रंग दिखने को मिले. बाजार में कई सामान ऐसा मिलता है जो एकदम ताजा लगता है, लेकिन जब घर पर इसकी सब्जी बनाने के लिए धोया तो वह पीली और कई दिनों की बासी थी. सेब को अधिक ताजा बनाये रखने के लिए मोम या कैमिकल की परत डाल दी जाती है. लकी कुमारी, लबली कुमारी, बुलबुल कुमारी शानभी कुमारी, जुली भगत ने बताया कि अरहर, मसूर व मूंग दाल को धोया जाता है तो पानी उजला रंग का हो जाता है. कई बार धोना पड़ता है. कम हल्दी देने पर भी सब्जी रंग जाती है, लेकिन सब्जी बेस्वाद हो जाती है. वहीं मिर्च पाउडर देखने में तो बहुत लाल लगता है,लेकिन उसमें तीखापन नहीं के बराबर होता है. इससे लगता है कि इसमें कोई रंग की मिलावट की गयी हो.
जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जायेगी
फूड इंस्पेक्टर मो इकबाल ने बताया कि बाजार में मिलावट सामग्री बिकने की जानकारी मिली थी. सूचना मिलते ही विगत दिसंबर माह में दर्जनों मिठाई व किराना दुकान में छापेमारी कर मिठाई, सरसों तेल, दाल आदि सामग्री को जांच के लिए भेज गया है. जांच रिपोर्ट आने के बाद दुकानदार के विरुद्ध कार्यवाही की जायेगी. साथ छापेमारी अभियान शहर में जारी रहेंगी जो भी दुकानदार मिलावटवाली खाद्य सामग्री बेच रहे है उनके विरुद्ध कठाेर कार्यवाही की जायेगी.
कहते हैं सदर अस्पताल चिकित्सक
इस संबंध में डा.अशोक कुमार सिंह ने बताया कि सिंथेटिक दूध से बनी मिठाई या खोवा के उपयोग से शरीर पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है. इसमें कॉस्टिक सोडा, यूरिया या डिटजेंट का उपयोग किया जाता है. इस तरह की सामग्री के उपयोग से लीवर व किडनी पर असर पड़ सकता है.इससे संबंधित बीमारियां हो सकती है.

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