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दर्ज हो रहे क्षेत्राधिकार से बाहर के मामले

तेजी से बढ़ी है लोक शिकायत निवारण केंद्रों की लोकप्रियता जागरूकता और जानकारी का है लोगों में अभाव बांका : बिहार लोक शिकायत अधिकार अधिनियम- 2016 के तहत जिले में स्थापित लोक शिकायत निवारण केंद्र की लोकप्रियता दिनों दिन बढ़ती जा रही है. बांका में जिला एवं अनुमंडल स्तर पर दो लोक शिकायत निवारण केंद्र […]

तेजी से बढ़ी है लोक शिकायत निवारण केंद्रों की लोकप्रियता

जागरूकता और जानकारी का है लोगों में अभाव
बांका : बिहार लोक शिकायत अधिकार अधिनियम- 2016 के तहत जिले में स्थापित लोक शिकायत निवारण केंद्र की लोकप्रियता दिनों दिन बढ़ती जा रही है. बांका में जिला एवं अनुमंडल स्तर पर दो लोक शिकायत निवारण केंद्र स्थापित किये गये हैं. इन शिकायत केंद्रों पर दर्ज होने वाले मामलों की संख्या क्रमशः बढ़ती जा रही है. अब तक दोनों केंद्रों से करीब 6 दर्जन मामलों की सुनवाई भी हो चुकी है.
हालांकि इस अधिनियम और लोक शिकायत निवारण केंद्रों के अधिकार के दायरे को लेकर लोगों में अभी जानकारी का अभाव है. इन केंद्रों के पीठासीन पदाधिकारी भी स्वीकार करते हैं कि इस दिशा में जागरूकता की जरूरत है. बड़ी संख्या में इन केंद्रों में ऐसे मामले भी दर्ज कराये जा रहे हैं जिनके निष्पादन का अधिकार केंद्र के दायरे से बाहर है.
नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से करेंगे जागरूक
जागरूकता अभियान की प्रशासनिक स्तर पर तैयारी की जा रही है. लोगों को नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से लोक शिकायत निवारण केंद्र के बारे में जानकारी दी जायेगी, ताकि लोक शिकायत अधिकार अधिनियम का ज्यादा से ज्यादा लाभ वे उठा सकें. बांका के अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण केंद्र में अब तक करीब 200 मामले दर्ज किये गये हैं. इनमें दो दर्जन से ज्यादा मामलों का निष्पादन किया जा चुका है. समस्या यह है कि इस केंद्र पर और जिला स्तरीय केंद्र पर भी दर्ज होने वाले ज्यादातर मामलों की सुनवाई का अधिकार केंद्र के पास नहीं होता.
बड़ी संख्या में जमीन विवाद के मामले इन केंद्रों पर दर्ज कराये जा रहे हैं. ऐसे मामलों की संख्या 50 फीसदी से ज्यादा है. रैयती जमीन के मामले जिनकी सुनवाई कोर्ट में होनी है, ऐसे मामले भी इन केंद्रों पर लाये जा रहे हैं. दरअसल बिहार सरकार द्वारा संचालित कोई योजना, कार्यक्रम तथा ऐसे मामले जहां लाभ के रास्ते व्यवधान उत्पन्न हुआ हो, उनके मामले में लोक शिकायत निवारण केंद्रों पर परिवाद दायर किये जा सकते हैं. वह भी उन्हीं स्थितियों में जब पक्षकार पहले संबंधित विभाग का चक्कर लगा कर थक गये हों और उन्हें न्याय नहीं मिला हो.
इस अधिनियम के साथ 44 विभागों को जोड़ा गया है. इन केंद्रों पर 60 दिनों के अंदर मामलों का निष्पादन किया जाना है. इस अधिनियम के तहत सूचना के अधिकार, आरटीपीएस सेवा शर्त्त एवं न्यायालय से संबंधित मामलों की सुनवाई नहीं की जानी है.इधर इस स्थिति से निबटने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार की मुहिम छेड़ने की तैयारी जिला प्रशासन के स्तर पर की जा रही है. कला जत्था ग्रामीण और पंचायत क्षेत्रों में जाकर लोगों को नुक्कड़ नाटकों के जरिये इस अधिकार के बारे में प्रशिक्षित करेंगे. इससे पहले कला जत्था के कार्यकर्ताओं को सप्ताह भर का प्रशिक्षण बांका समाहरणालय स्थित सूचना भवन में चल रहा है.
केंद्र में जमीन विभाग से जुड़े मामले बहुतायत में दर्ज कराये जा रहे हैं इनमें रैयती जमीन के मामले भी शामिल हैं, जो यहां दर्ज नहीं किये जा सकते. लोगों में लोक शिकायत अधिकार अधिनियम के उपबंधों के बारे में जानकारी का अभाव है. उन्हें जागरूक किये जाने की जरूरत है, तभी ऐसे केंद्र का अधिकतम लाभ हुए उठा सकेंगे.
संजय कुमार लाल, पीठासीन पदाधिकारी, अनुमंडल लोक शिकायत निवारण केंद्र, बांका

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