बांका जिले से गहरे जुड़े रहे हैं साहित्यकार व रंगकर्मी किशन कालजयी
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किशन कालजयी को पं वृजलाल द्विवेदी सम्मान
बांका जिले से गहरे जुड़े रहे हैं साहित्यकार व रंगकर्मी किशन कालजयी संवेद व सब लोग साहित्यिक पत्रिका का कर रहे हैं संपादन डॉक्यूमेंट्री फिल्म, ड्रामा लेखन व निर्देशन में भी सक्रिय हैं कालजयी बांका : बांका जिले से गहरे जुड़े साहित्यकार एवं रंगकर्मी किशन कालजयी को पंडित वृजलाल द्विवेदी अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान […]
संवेद व सब लोग साहित्यिक पत्रिका का कर रहे हैं संपादन
डॉक्यूमेंट्री फिल्म, ड्रामा लेखन व निर्देशन में भी सक्रिय हैं कालजयी
बांका : बांका जिले से गहरे जुड़े साहित्यकार एवं रंगकर्मी किशन कालजयी को पंडित वृजलाल द्विवेदी अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान 2016 से नवाजा गया है. 8 फरवरी को भोपाल के गांधी भवन में आयोजित एक समारोह में उन्हें यह सम्मान दिया गया. पूर्व में यह सम्मान वीणा इंदौर के संपादक श्यामसुंदर व्यास, दस्तावेज गोरखपुर के संपादक विश्वनाथ तिवारी, कथादेश के संपादक हरिनारायण,
अक्स जयपुर के संपादक डॉ हेतु भारद्वाज, सदभावना दर्पण रायपुर के संपादक गिरीश पंकज, व्यंग्य यात्रा के संपादक डॉ प्रेम जन्मेजय एवं कला समय भोपाल के संपादक विनय उपाध्याय जैसी शख्सियतों को दिया जा चुका है. वर्ष 2016 का यह सम्मान पाने वाले किशन कालजयी एक चर्चित साहित्यकार एवं रंगकर्मी है.
मोतिया गांव के हैं निवासी : उनके बांका जिले से गहरे ताल्लुकात रहे हैं. वे बांका जिले की पूर्वी सीमा से लगे मोतिया गांव के निवासी हैं. अपने रिश्तेदारों की वजह से उनका हमेशा बांका आना जाना लगा रहता है. फिलहाल वे ‘संवेद‘ और ‘सब लोग‘ जैसी साहित्यिक विचार पत्रिकाओं का संपादन कर रहे है. वे ड्रामा पटकथा लेखन एवं निर्देशन के लिए भी चर्चित रहे है. दो नाटकों के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का भी अवार्ड मिल चुका है.
नेमीचंद्र जैन पर उन्होंने एक घंटे की दस्तावेजी फिल्म भी बनायी है. अपने साहित्यिक जीवन के आरंभिक दौर में वे अनेक पत्र- पत्रिकाओं के संपादन से भी जुड़े रहे. वर्ष 2016 के पंडित वृजलाल द्विवेदी सम्मान के लिए उनका चयन जिस निर्णायक मंडल ने किया उसमें विश्वनाथ सचदेव, रमेश नैय्यर, डा. सच्चिदानंद जोशी एवं डा. सुभद्रा राठौर शामिल थे. सम्मान प्राप्त करने के बाद श्री कालजयी ने कहा कि वे चयन समिति एवं साहित्य परिवार के आभारी हैं. उन्होंने यह सम्मान अपनी धर्मपत्नी कुमकुम एवं संवेद के लेखकों एवं पाठकों को समर्पित करते हैं. जिनकी वजह से आज उन्हें यह हासिल करने का गौरव प्राप्त हुआ.
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