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महंगाई की मार. खाद, बीज, सिंचाई में छूट रहा पसीना
बांका : जिस किसान की दिन रात की मेहनत के बदौलत आम लोगों को निवाला मिलता है, उस किसान की स्थिति काफी खराब है. यह जिला किसानों का है. यहां का मुख्य व्यवसाय खेती है. खेती पर अपनी जिंदगी चलाने वाले इस जिले के किसानों की स्थिति काफी खराब है. लेकिन सरकार किसानों की दैनिक […]
बांका : जिस किसान की दिन रात की मेहनत के बदौलत आम लोगों को निवाला मिलता है, उस किसान की स्थिति काफी खराब है. यह जिला किसानों का है. यहां का मुख्य व्यवसाय खेती है. खेती पर अपनी जिंदगी चलाने वाले इस जिले के किसानों की स्थिति काफी खराब है. लेकिन सरकार किसानों की दैनिक मजदूरी के बराबर भी उनका उपाय नहीं कर पाती.कृषि के क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है़ बावजूद इसके किसानों की माली हालत इतनी है कि वो किसी तरह से अपना व अपने परिवार को भरण पोषण कर रहे है़
बढ़ते महंगाई में किसानों को फसल उगाने में जितनी लागत लगती है, वो लागत मूल्य वापस होना कठिन हो जाता है़ अगर किसी कारणवश फसल नष्ट हो जाता है. आखिर करें भी क्या अपनी जमीन घर परिवार को छोड़कर कहां जायें.
महंगाई से परेशान : खेत में फसल उगाने के लिए किसानों को बीज, खाद, कीटनाशक दवाई खरीदने में काफी खर्च होते हैं, लेकिन बाद में फसल सही तरह से नहीं उगने पर उनका सारा खर्च बरबाद हो जाता है. सिंचाई के लिए डीजल मशीन किराये पर लेते हैं जिसे फसल की कटाई तक एक तिहाई हिस्सा देना पड़ता है. जिससे किसान कभी भी आगे नहीं बढ़ पाते है़ं
क्या कहते हैं किसान : किसान सुधीर कापरी गांव लकड़ीकोला ने बताया कि कुछ वर्ष चावल का कीमत अगर 18-20 रुपया प्रति किलो था तो डीएपी खाद का कीमत 8 से 10 रुपया प्रति किलो था, लेकिन आज अगर चावल 20 रुपया प्रति किलो है तो डीएपी खाद 25-30 रुपया प्रति किलो है़ इस पर सरकार कोई ध्यान नहीं दे रहे है़ं जिससे हमलोगों की जिंदगी एक मजदूर से भी बदतर हो रही है़ वहीं बलारपुर के राम प्रसाद साह ने बताया कि किसी भी फसल को लगाने और उसकी कटाई तक का खर्च अगर जोड़ते है तो लागत मूल्य वापस नहीं हो पाती है़
वहीं बलारपुर कपिलदेव मंडल ने बताया कि किसानों के बीच सबसे बड़ी समस्या सिंचाई है़ कुछ वर्ष पूर्व खेत तक आसानी से नदी का पानी डांढ़ के माध्यम से आ जाता था, लेकिन अब खेत तक पानी नहीं पहुंच पाता है़ डांढ़ का अस्तित्व खत्म हो गया है़ इसलिए मजबूरन किसानों को किराये के डीजल मशीन से खेत की सिंचाई करनी पड़ती है़
वहीं बलारपुर के नंदकिशोर मंडल का कहना है कि अगर सरकार इस महंगाई पर अंकुश नहीं लगायेंगे तो हम किसानों का जीना मुश्किल हो जायेगा़ वहीं गोड़ा के किसान बिंदु यादव, दुधी झरना के राजीव कुमार कहना है कि किसानों की इतनी समस्या होने के बाद भी सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे है और ना ही इस पर संबंधित पदाधिकारी कोई पहल कर रहे है़ ऐसे में किसानों की समस्या का निदान कैसे होगा ?
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