सरकारी महकमे का मानना है कि नगर परिषद और पीएचइडी के चापाकलों से भी पानी की आपूर्ति की जा रही है. इससे जो कमी है वो पूरी हो जा रही है. आम लोगों का मानना है कि एक तो अधिकांश चापाकल खराब पड़ा हुआ है और दूजे विभाग के दोषपूर्ण पानी के वितरण के कारण शहर के आधे भाग में पर्याप्त पानी आपूर्ति नहीं हो रही है. इससे दूसरे हिस्से में जल संकट बना रहता है. इस संकट से निजात दिलाने की पहल नहीं की जा रही है.
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गरमी की दस्तक के साथ ही पेयजल संकट शुरू
बांका: शहर की आबादी को इस वर्ष भी गरमी में जल संकट का सामना करना पड़ सकता है. गरमी के दश्तक के साथ ही यह समस्या शुरू हो चुकी है. ऐसी नौबत शहर की आबादी के अनुपात में सरकारी महकमें द्वारा जलापूर्ति की व्यवस्था नहीं होने के कारण हो रहा है. वर्तमान का जो आंकड़ा […]
बांका: शहर की आबादी को इस वर्ष भी गरमी में जल संकट का सामना करना पड़ सकता है. गरमी के दश्तक के साथ ही यह समस्या शुरू हो चुकी है. ऐसी नौबत शहर की आबादी के अनुपात में सरकारी महकमें द्वारा जलापूर्ति की व्यवस्था नहीं होने के कारण हो रहा है. वर्तमान का जो आंकड़ा है उसके मुताबिक शहर की आबादी के अनुरूप नगर पंचायत बांका को 25 लाख लीटर प्रतिदिन पानी की आवश्यकता है लेकिन पीएचइडी द्वारा प्रतिदिन मात्र 15 लाख लीटर पानी की आपूर्ति की जा रही है.
कई इलाके में जल संकट
शहरी क्षेत्र को निर्बाध पानी आपूर्ति के लिए दस साल पहले करोड़ों की लागत से पूरे शहरी क्षेत्र में पाइप लाइन बिछाने के साथ साथ पानी की टंकी और पेयजल व्यवस्था की योजना थी. पाइप लाइन बिछाने की बात तो दूर आजाद चौंक से आगे जिलाधिकारी आवास की ओर पानी पहुंचना भी बंद हो गया है.
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