बांका : लंबे इंतजार के बाद बिहार राज्य पुल निगम व एनएच की संयुक्ट राज्यस्तरीय टीम मंगलवार को क्षतिग्रस्त चांदन पुल निरीक्षण के लिए पहुंची. हालांकि, टीम के नजर में यह पुल अबूझ बनकर रह गया. उन्हें निर्णय लेने में कठिनाई हुई, पुल की मरम्मती हो सकती है या नहीं.
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क्षतिग्रस्त चांदन पुल : नक्शा अध्ययन के बाद अंतिम निर्णय
बांका : लंबे इंतजार के बाद बिहार राज्य पुल निगम व एनएच की संयुक्ट राज्यस्तरीय टीम मंगलवार को क्षतिग्रस्त चांदन पुल निरीक्षण के लिए पहुंची. हालांकि, टीम के नजर में यह पुल अबूझ बनकर रह गया. उन्हें निर्णय लेने में कठिनाई हुई, पुल की मरम्मती हो सकती है या नहीं. अलबत्ता, पुल नक्शा के अवलोकन […]
अलबत्ता, पुल नक्शा के अवलोकन के बाद ही इसपर अंतिम निर्णय लेने की बात कही गयी. टीम में मुख्य रूप से बिहार राज्य पुल निगम के उप मुख्य अभियंता हीरानंद झा, सीनियर प्रोजेक्ट डिजाइनर राम सुरेश राय, क्वालिटी कंट्रोल मैनेजर असलम महमूद, एनएच अधीक्षण अभियंता प्रदीप कुमार व एनएच 333ए के कार्यपालक अभियंता राजकुमार शामिल थे.
उप मुख्य अभियंता ने बताया कि किस डिजाइन के आधार पर पुल बनाया गया है और किस मापदंड के अनुसार इसकी ढलाई हुयी है, इन सब बिंदु पर गहन जांच की जायेगी. बुधवार को पटना पुल निगम में मौजूद 1997 में निर्मित इस पुल का ड्राइंग निकाला जायेगा, उसके अध्ययन के बाद अंतिम निर्णय लिया जायेगा कि इसकी मरम्मती हो सकती है या नया पुल बनाना पड़ेगा.
पुल निरीक्षण के बाद डीएम से मिली टीम, दी जानकारी . क्षतिग्रस्त चांदन पुल के निरीक्षण के बाद तीन सदस्यी टीम व अधीक्षण अभियंता राष्ट्रीय उच्च पथ अंचल भागलपुर व कार्यपालक अभियंता पथ प्रमंडल बांका डीएम कार्यालय वेश्म पहुंचकर डीएम कुंदन कुमार को मामले की जानकारी दी. टीम ने बताया कि चांदन पुल का निर्माण 1997 में किया गया है.
मुख्यालय पहुंचने के बाद इसका ड्राइंग का अध्ययन कर अविलंब इसके पूर्नस्थापन के लिए निर्देश दिया जायेगा. मुख्यालय के निर्देश के उपरांत अभियंता पथ प्रमंडल भागलपुर के द्वारा पुर्नस्थापन कार्य कराया जायेगा. वहीं डीएम ने टीम को पुल पर लगाये गये गाटर के 200 मीटर पहले एक और गाटर लगाने एवं रेट्रो रिफ्रक्टर स्टीकर लगाने का निर्देश दिया.
अगर पुल व बेसमेंट की ढलाई एक साथ हुई तो नहीं है मरम्मत का चांस
जांच टीम ने काफी देर तक क्षतिग्रस्त हिस्से का अध्ययन किया. परंतु कोई निर्णय तक नहीं पहुंच पायी की आखिरकार पुल की मरम्मती हो सकती है या नहीं. नक्शा अध्ययन के बाद निर्णय लेकर जल्द ही काम शुरु करने की बात कही गयी. बताया गया कि अगर पुल व बेसमेंट की ढलाई एक साथ हुयी होगी तो मरम्मती का कोई चांस नहीं है.
यानि पुल नये सीरे से बनाने की योजना बनायी जा सकती है. अगर दोनो पार्ट की अलग-अलग ढलाई हुई होगी तो पुल मरम्मत हो सकती है. चूंकी तकनीकी दृष्टिकोण से दोनो तथ्य काफी महत्वपूर्ण हैं. साथ ही लागत के नजरिये से भी इसे देखा जा रहा है.
स्लैब के नीचे से बह गया बालू, भारी वाहन की अनुमति नहीं
टीम के निरीक्षण में वही बात सामने आयी, जिसपर आमतौर पर चर्चा थी. टीम ने बताया कि पुल के राफ्ट के नीचे के बेस स्लैब के अंदर का पूरा बालू बह गया है. यह लगातार कमजोर भी हो रहा है. लिहाजा, इसपर भारी वाहन चलने की अनुमति नहीं मिल सकती है. जल्द ही इसपर निर्णय लेने के लिए विभाग गंभीर है.
चांदन पुल का निरीक्षण किया गया. करीब वर्ष 1997 में पुल का निर्माण हुआ है. इसीलिए नक्शा का पटना में अवलोकन कर ही पुल मरम्मती या निर्माण के संदर्भ में अंतिम निर्णय लिया जायेगा. एक-दो दिन के अंदर ही इसका फैसला कर दिया जायेगा. पुल पर भारी वाहन के परिचालन की अनुमति नहीं दी जा सकती है.
हीरा नंद झा, उप मुख्य अभियंता, बिहार पुल निगम
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