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मुक्ति निकेतन के सामाजिक अभियान के 35 वर्ष पूरे

कटोरिया : कटोरिया के मुक्ति निकेतन ने सामाजिक अभियान का एक लंबा सफर तय किया है. झोपड़ी से शुरू हुआ, महल तक पहुंचा व सिलसिला जारी है. कटोरिया व इसके कुछ समीपस्थ गांवों से बच्चों की शिक्षा का कार्यक्रम प्रारंभ हुआ. आज एक बड़े क्षेत्र के केंद्र में प्रतिभा-भास्कर विद्यालय अवस्थित है. 15-17 किलोमीटर की […]

कटोरिया : कटोरिया के मुक्ति निकेतन ने सामाजिक अभियान का एक लंबा सफर तय किया है. झोपड़ी से शुरू हुआ, महल तक पहुंचा व सिलसिला जारी है. कटोरिया व इसके कुछ समीपस्थ गांवों से बच्चों की शिक्षा का कार्यक्रम प्रारंभ हुआ. आज एक बड़े क्षेत्र के केंद्र में प्रतिभा-भास्कर विद्यालय अवस्थित है. 15-17 किलोमीटर की दूरी से बच्चे यहां आकर प्रतिदिन पढ़ते हैं.

, अंग्रेजी, संस्कृत की भाषा से पढ़ाई की शुरुआत हुई थी, आज उर्दू व कंप्यूटर साथ मिल गये. अब अनिवार्य रूप से नर्सरी से लेकर मैट्रिक तक के बच्चे पांच भाषाओं की संतुलित शिक्षा बिना किसी भेदभाव के श्रद्धा व प्रेम से पढ़ते हैं. औपचारिक शिक्षा, दूरस्थ शिक्षा व शिक्षण-प्रशिक्षण कुल को मिला कर शिक्षा की एक श्रृंखला स्थापित हुई है.
जो बांका, भागलपुर, मुंगेर, पूर्णिया, जमुई, देवघर, संताल परगना आदि के व्यापक क्षेत्र को प्रभावित करती है. स्वास्थ्य की सेवा में व्यापक क्षेत्र से सिमटते-सिमटते इस समय आंख के स्वास्थ्य पर केंद्रीत होकर लेंस प्रत्यारोपण तक का कार्य संपन्न हो रहा है.
इस क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या सिंचाई का और पीने का पानी रही है. निकटस्थ लगभग दो सौ टोलों में पानी की समस्या का समाधान करने के बाद बदलते हुए समय में खेती, किसानी, जल-जीवन-हरियाली पर केंद्रीत होकर किसानों के साथ मिल कर कदम बढ़ा रही है.
संगठन तो संस्था के मूल उद्येश्य में कल भी था और आज भी है. जहां भी जब कभी किसी के काम आने का अवसर मिला, अपनी सामर्थ्य के अनुसार कोई चूक नहीं होने दी गयी. अपनी सीमित क्षमता के अनुसार यथा सामर्थ अपने दायित्व व कर्तव्य का पानल करते हुए मुक्ति निकेतन के 35 वर्ष पूरे हुए हैं.
मुक्ति निकेतन के सचिव चिरंजीव सिंह ने बताया कि हर वर्ष की तरह त्रिदिवसीय संस्थापना दिवस समारोह 19 से 21 जनवरी को मनाने की तैयारी हुई है. इस वर्ष संस्थागत जीवन के सबसे पुराने साथियों, जीपीसी (गांधी पीस सेंटर)बिहार के सभी साथियों को आमंत्रित किया गया है.
वर्तमान में बदलती हुई सोच व मानसिकता की स्थिति में स्वयं सेवी संगठन व स्वयं सेवक हर कदम पर उपेक्षा का दंश झेलते हुए दुखी-दुखी सा रहने लगे हैं. एक विचार मंथन की जरूरत है. जिन्होंने कोई अकर्म, दुष्कर्म, कुकर्म नहीं किया और स्वेच्छा से समाज के काम में लगने का निर्णय लिया, उनका उपेक्षित व तिरस्कृत होना, समाज के लिये हितकर नहीं है.
इच्छा वाले लोग, रूचिकर व्यक्ति कैसे समाज में सरल जीवन जीते हुए संतुष्ट हों, इस विषय पर व्यापक चर्चा चलने की संभावना है. मुक्ति निकेतन के संस्थापक अनिरुद्ध प्रसाद सिंह ने कहा कि व्यक्ति के अंदर से प्रतिभा की क्षमता को खींच कर बाहर लाने की कोशिश में मुक्ति निकेतन अनवरत लगा हुआ है, लगा रहेगा.

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