Advertisement
पुलिस-पब्लिक की दोस्ती पड़ रही भारी
सुजीत कुमार सिंह औरंगाबाद : सूबे में नक्सलियों के गढ़ और लाल गलियारे के नाम से विख्यात औरंगाबाद जिला अब काफी हद तक नक्सल समस्या से छुटकारा पाते दिख रहा है. कल तक जिन इलाकों में नक्सलियों का खौफ दिखता था, आज उस इलाके में शांति और भाईचारे का माहौल कायम होता दिख रहा है. […]
सुजीत कुमार सिंह
औरंगाबाद : सूबे में नक्सलियों के गढ़ और लाल गलियारे के नाम से विख्यात औरंगाबाद जिला अब काफी हद तक नक्सल समस्या से छुटकारा पाते दिख रहा है. कल तक जिन इलाकों में नक्सलियों का खौफ दिखता था, आज उस इलाके में शांति और भाईचारे का माहौल कायम होता दिख रहा है.
इसके पीछे एकमात्र कारण है पब्लिक से पुलिस की दोस्ती. हाल के दिनों में जिस तरह से नक्सलग्रस्त इलाकों में पुलिसिंग व्यवस्था के तहत पुलिस पदाधिकारियों ने लोगों के सुख-दुख में शामिल होने की जो हिम्मत दिखायी, वह नक्सल समस्या पर तगड़ी चोट साबित हुई है. शिविर लगा कर गरीब परिवारों को जरूरत की सामग्री तो उपलब्ध करायी ही गयी, युवाओं के बीच खेल का आयोजन कर पुलिस ने कंधे से कंधे मिला कर उनके सुख-दुख को साझा किया. यही कोशिश आज कहीं न कहीं रंग लाती दिख रही है.
वजह साफ है पुलिस का भय नक्सलियों के बीच घर गया है. अब न तो कहीं विस्फोट की आवाज सुनाई देती है न कहीं गरीब परिवारों पर जुल्म होते दिख रहा है और न कहीं पोस्टरबाजी का भय दिख रहा है. सच कहा जाये, तो पिछले दो वर्षों में जिस तरह से पुलिस ने कार्रवाई की, उससे नक्सलियों का मनोबल टूट गया है. बीते वर्ष 2016 की बात कही जाये, तो औरंगाबाद पुलिस ने अपराधियों के साथ-साथ नक्सलियों की नकेल कसने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. पूरे वर्ष में 89 नक्सली पुलिस के हत्थे चढ़े, तो एक दर्जन के करीब मुठभेड़ में मारे भी गये.
28 केन बम, 40 पीस डेटोनेटर, सात सिलिंडर बम भी नक्सलियों से बरामद किये गये. चालू वर्ष 2017 के 53 दिनों की बात करें, तो 10 नक्सली अब तक गिरफ्तार होकर जेल जा चुके हैं, चाहे वो भाकपा माओवादी संगठन के हों या टीपीसी के. इसकी शुरुआत दो जनवरी से हुई. इस दिन देव से हार्डकोर माओवादी शिवशंकर यादव को गिरफ्तार किया गया. सात जनवरी को गोह पुलिस ने हार्डकोर जनार्दन मिस्त्री को गिरफ्तार किया. एक फरवरी को बड़कागांव के बधार से लेवी पहुंचानेवाले बीरबल पासवान को रिसियप पुलिस ने गिरफ्तार किया. दो फरवरी को टीपीसी संगठन के उपेंद्र साव और ललन चौधरी को उस समय धर दबोचा गया, जब वे एक निर्माण कंपनी से 25 लाख की लेवी वसूलने पहुंचे थे. तीन फरवरी को लंगुराही के विजय भोक्ता को पकड़ा गया.
17 फरवरी को बिजली परियोजना स्थित बैंक परिसर से अभय कुमार उर्फ मंटू को पकड़ा गया. 18 फरवरी को सोलर प्लांट पर हमला करनेवाले नक्सली सरदार यादव को कासमा पुलिस ने गिरफ्तार किया. इन सबके बीच दो वैसे लोग भी पकड़े गये, जो नक्सलियों को मदद पहुंचा रहे थे. 30 जनवरी को देव पुलिस ने देव मुखिया गीता देवी के पति रामनरेश राम और एक डॉक्टर श्रवण कुमार को गिरफ्तार किया. दो वर्ष में भाकपा माओवादी नक्सली संगठन के कई शीर्ष नेता भी पकड़े जा चुके हैं.
कभी यहां था भय का माहौल, अब शांति का नजारा : मदनपुर व देव प्रखंड नक्सल समस्या से पिछले कई दशकों से जूझते रहे हैं, लेकिन अब इन क्षेत्रों में बहुत हद तक शांति स्थापित हुई है.
छुछिया, दुलारे, बरंडा, जीवा बिगहा, देवा बिगहा, कंचनपुर, पड़रिया, गंजोई, विशुनबांध, लंगुराही, पचरूखिया, बादम, सहियारी, जुड़ाही, मुरगाड़ा जैसे कई गांव हैं, जहां लोग कभी नक्सलियों के भय से कांपते थे. अब यहां शांति का माहौल है और पुलिस इन गांवों की गतिविधियों पर नजर रख रही है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement