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कृष्ण के प्रति गोपियों का प्रेम अतुलनीय : विष्णुचित

अदरी नदी के तट पर चल रही श्रीमद्भ्ागवत कथा कथावाचक ने सुनाये रासलीला के प्रसंग औरंगाबाद कार्यालय :अदरी नदी के पावन तट पर श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन जाने-माने कथावाचक विष्णुचित जी महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के प्रति गोपियों के प्रेम का वर्णन अतुलनीय है. कोई इन्हें साक्षात नारायण के रूप में […]

अदरी नदी के तट पर चल रही श्रीमद्भ्ागवत कथा
कथावाचक ने सुनाये रासलीला के प्रसंग
औरंगाबाद कार्यालय :अदरी नदी के पावन तट पर श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन जाने-माने कथावाचक विष्णुचित जी महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के प्रति गोपियों के प्रेम का वर्णन अतुलनीय है. कोई इन्हें साक्षात नारायण के रूप में देखती थी, कोई प्रीतम के रूप में तो कोई पुत्र के रूप में. यानी कि, अनेक रूपों में इन्हें चाहनेवाले इनके प्रति अटूट आस्था और विश्वास बना रखा था.
जब भगवान गोपियों के साथ रास रचाते थे, तो इनके रास को देख कर स्वर्ग के सभी देवी-देवताएं आनंदित हो उठते थे. रासलीला की चर्चा स्वर्ग से लेकर मृत्युलोक में फैली हुई थी. रासलीला की अद्भूत लीला भी कहा जाता है. एक बार की बात है कि रास के क्रम में कुछ गोपियाें को अहंकार हो गया.
भगवान उनके मन की भावना को भांप गये.कुछ देर के लिए वे अचानक रास से ओझल हो गये, जब गोपियाें ने हर तरफ नजर दौड़ायी, कृष्ण दिखाई नहीं दिये, तो पागल की तरह दौड़ने लगीं. कृष्ण-कृष्ण कह कर चिल्लाने लगीं, कोई पेड़ों से पूछ रहा है, कोई लताओं से पूछ रही है मेरे कृष्ण को तुमने देखा है. कोई यमुना के जल में जाकर ढूंढ रहा है, तो कोई पहाड़ों की कंदराओं में खोज रही है. यह अटूट प्रेम था भगवान कृष्ण के प्रति गोपियों का. श्रीमद् भागवत कथा में प्रमुख रूप से प्रकाश गुप्ता, व्यास नारायण सिंह, प्रेम नारायण सिंह उपस्थित थे.

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