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घटना के बाद स्वत: बंद हो गया कोठी बाजार

इमामगंज : कोठी थानाध्यक्ष मोहम्मद क्यामुद्वीन अंसारी की हत्या की खबर सुनते ही कोठी बाजार के दुकानदारों ने अपनी–अपनी दुकानें बंद कर ली व घटना की जानकारी लेने में व्यस्त नजर आये. थानाध्यक्ष के कई शुभचिंतकों को विश्वास नहीं हो रहा था कि ऐसी कोई घटना हुई है. खुद को भरोसा दिलाने के लिए घटनास्थल […]

इमामगंज : कोठी थानाध्यक्ष मोहम्मद क्यामुद्वीन अंसारी की हत्या की खबर सुनते ही कोठी बाजार के दुकानदारों ने अपनी–अपनी दुकानें बंद कर ली व घटना की जानकारी लेने में व्यस्त नजर आये. थानाध्यक्ष के कई शुभचिंतकों को विश्वास नहीं हो रहा था कि ऐसी कोई घटना हुई है. खुद को भरोसा दिलाने के लिए घटनास्थल पर जाकर प्रत्यक्ष देखा. इसके बाद भी विश्वास करना मुश्किल हो रहा था. थानाध्यक्ष के शव की स्थिति देख ऐसा लग रहा था, मानों वह जमीन पर लेटे हों.
पिस्टल होता तो, मुकाबला करते थानाध्यक्ष: थानाध्यक्ष मोहम्मद क्यामुद्दीन अंसारी के पास अगर उनकी सर्विस पिस्टल होती तो अपराधी उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाते. ये बातें बात उनके शुभचिंतकों के द्वारा बाजारों में बार–बार कही जा रही थी.
पता चला है कि थानाध्यक्ष थाना परिसर में रहे या फिल्ड में. हर समय अपने साथ पिस्टल व एके-47 व एसएलआर जैसे अत्याधुनिक हथियार अवश्य रखा करते थे. लेकिन, सोमवार को उनके दिलो-दिमाग में क्या भर आया कि थाना परिसर से बिना हथियार लिए हुए ही निकल पड़े. लोगों ने बताया कि थाना से निकल कर कुछ ही दूरी पर एक चाय की दुकान से चाय पी और वहां से कोठी–मैगरा मुख्य मार्ग मे टहलने के लिए निकल पडे और जैसे ही वह चनाचक गांव के पास पहुंचे. पहले से ही घात लगा कर इंतजार करते बाइक सवार तीन अपराधियों ने चाकू और गोली मार कर हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया.
गायब हुआ थानाध्यक्ष का सरकारी मोबाइल फोन : थानाघ्यक्ष को जिस वक्त बाइक सवार अपराधियों ने हत्या किया था, उस वक्त उनके पास ही सरकारी मोबाइल फोन (9431822225) था. लेकिन, घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस पदाधिकारी वहां पहुंचे तो उनके पॉकेट में सरकारी मोबाइल फोन नहीं था. अब इससे प्रश्न उठता है कि क्या अपराधी अपने साथ मोबाइल लेते गये या आसपास फेंक दिया. घटनास्थल पर मौजूद डीआइजी सौरभ कुमार, एसएसपी गरिमा मलिक, इमामगंज डीएसपी नंदकिशोर रजक, शेरघाटी डीएसपी उपेन्द्र प्रसाद सहित अन्य पुलिस पदाधिकारी सरकारी मोबाइल फोन के बारे में वहां उपस्थित पुलिसकर्मियों से पूछते रहे. लेकिन, सरकारी मोबाइल का कुछ पता नहीं लगा. अधिकारियों ने उनके मोबाइल फोन पर संपर्क किया, लेकिन वह स्वीच्ड ऑफ मिला.
पैदल चलने में हमेशा आगे रहते थे थानाध्यक्ष : तेजी से टहलने व तेज गति से दौड़ने के कारण थानाध्यक्ष पुलिसकर्मियों के बीच हमेशा चर्चा में बने रहते थे. यही कारण था कि बीएमपी का जवान हो या सैप के जवान, दोनों से हमेशा दस कदम आगे ही रहा करते थे. उनके साथ कामकाज करनेवाले पुलिसकर्मियों के द्वारा कहा जाता था कि अधिक उम्र होने के बाद भी थानाध्यक्ष का बाडी फिटनेस युवकों की भांति बना हुआ है. थानाध्यक्ष प्रतिदिन थाना परिसर में ही सहकर्मियों के साथ घंटों बॉलीबॉल खेलते थे. उसमें भी थानाध्यक्ष का विजयी हुआ करता था.
इमामगंज- कोठी मुख्य मार्ग पर डटे रहे सीआरपीएफ के जवान
कोठी थानाध्यक्ष की हत्या होने के बाद इमामगंज-कोठी मुख्य सड़क पर जगह–जगह पर सीआरपीएफ व जिला पुलिस के जवानों के द्वारा आने–जाने वालों पर विशेष नजर रखा जा रहा था. पुलिस के वरीय अधिकारियों के निर्देश पर सीआरपीएफ के जवानों ने सड़क मार्ग से गुजर रहे लोगों से पूछताछ की. देर शाम तक जवान मुख्य सड़क पर डटे रहे.साेमवार को थाने में आधा घंटा के लिए अायी थी पत्नी कोठी थानाध्यक्ष की पत्नी अंजूम आरा पेशे से शिक्षिका हैं.
वह औरंगाबाद जिले के दाउदनगर स्थित मध्य विद्यालय में पोस्टेड हैं. थानाध्यक्ष के छोटे भाई आदिल अंसारी ने बताया कि उनकी भाभी अंजूम आरा सोमवार को गया शहर में किसी रिश्तेदार का इलाज कराने के लिए आयी थी. उनके साथ उनकी बेटी सान्या क्यूम भी थी. गया से लौटने के दौरान भाभी कोठी थाने पर भी गयी थी. करीब आधा घंटा थाना पर रहने के बाद वह वहां से औरंगाबाद के लिए निकल गयी थी. आदिल अंसारी ने बताया कि उनके भाइजान (क्यामुद्वीन अंसारी) के चार बच्चे हैं. उसमें सबसे बड़ी बेटी अलिशा क्याम, मुलव्सा क्याम, सान्या क्याम व बेटा मोहम्म्द वैज्य है. अलिशा क्याम व मुलब्सा क्यामद दोनों बहन दिल्ली में पढ़ाई करती है. वहीं बेटी सान्या क्याम व बेटा मोहम्मद वैज्य औरंगाबाद में पढाई करते हैं. आदिल ने बताया कि वह तीन भाई व एक बहन हैं. तीन भाईयों में सबसे बड़ा मोहम्मद क्यामुद्वीन अंसारी, दूसरे नंबर पर नईम अंसारी और सबसे छोटे आदिल अंसारी है. एक बहन है, जो शादी शुदा हैं.
सभी पर्व-त्योहारों में निभाते थे अहम भूमिका
कोठी थानाघ्यक्ष का स्वभाव ऐसा था कि वह सभी पर्व-त्याेहाराें में निभाते थे अहम भूमिका. थानाध्यक्ष अपने शुभचिंतकों से कहा करते थे कि अगर समाज में वैमनस्ता मिटाना है तो एक-दूसरे के पर्वों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए. ऐसा करने से एक-दूसरों के दिल में स्नेह व प्यार बढ़ेगा. घटनास्थल पर मौजूद थानाध्यक्ष के एक शुभचिंतक ने कहा कि एक अक्तूबर यानी शनिवार को बिकोपुर गांव में होनेवाले दुर्गापूजा को लेकर जलयात्रा में वह अपनी उपस्थिति देकर लोगों का हौसला बढ़ाया था. इस जलयात्रा में उपस्थित होकर समाज में एक अच्छा मैसेज देने में थानाध्यक्ष पीछे नहीं रहे. यही कारण है कि कम समय मे वे इस इलाके के लिए चहेता बन गये थे.

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