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दहेज प्रथा को मिटाये बिना नहीं सुधरेगी बेटियों की स्थिति
समाज को मिटाना होगा बेटा-बेटी के बीच का अंतर औरंगाबाद शहर : मां चाहिए, बहन चाहिए, पत्नी चाहिए, फिर बेटी क्यों नहीं चाहिए. बेटियां एक नहीं दो-दो घरों का भाग्य होती हैं. इसी संदेश के साथ ‘प्रभात खबर’ का ‘बेटी बचाओ अभियान’ के तहत औरंगाबाद शहर के नारायणा मिशन स्कूल में कार्यक्रम आयोजित किया गया. […]
समाज को मिटाना होगा बेटा-बेटी के बीच का अंतर
औरंगाबाद शहर : मां चाहिए, बहन चाहिए, पत्नी चाहिए, फिर बेटी क्यों नहीं चाहिए. बेटियां एक नहीं दो-दो घरों का भाग्य होती हैं. इसी संदेश के साथ ‘प्रभात खबर’ का ‘बेटी बचाओ अभियान’ के तहत औरंगाबाद शहर के नारायणा मिशन स्कूल में कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें शिक्षाविदों और छात्र- छात्राओं ने बेटियों को बचाने के लिये बेबाक राय रखी. हर किसी ने संकल्प लिया कि ‘प्रभात खबर’ की इस मुहिम को जन-जन तक पहुंचाया जाये और जहां तक बेटियों को बचाने की कोशिश हो, वहां तक हम अपने कार्य को ईमानदारी से करें.
कार्यक्रम का उद्घाटन नगर पर्षद की उप मुख्य पार्षद उर्मिला सिंह, विद्यालय के निदेशक सतीश रंजन और प्राचार्य एके सिन्हा ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. प्रारंभ में विद्यालय की छात्राओं ने बेटियां अभिशाप नहीं, बेटिया पाप नहीं, बेटी घर की इज्जत और लक्ष्मी है, पर स्वागत गान गाकर अतिथियों को भाव विह्वल कर दिया. विद्यालय के निदेशक सतीश रंजन ने कहा कि यह कार्यक्रम उन बेटियों और महिलाओं के लिये समर्पित है, जो समाज का अभिन्न हिस्सा होते हुए भी हाशिये पर हैं. मुख्य अतिथि व उप मुख्य पार्षद उर्मिला सिंह ने दहेज प्रथा को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि जब तक यह सामाजिक बुराई खत्म नहीं होती, तब तक लड़के व लड़कियों के बीच के अंतर को नहीं मिटाया जा सकता. हमें इसके लिये लोगों को जागरूक करना होगा. प्राचार्य एके सिन्हा ने पुरुष प्रधान सामाजिक संरचना के ठेकेदारों की नकारात्मक सोच पर प्रहार करते हुए कहा कि भारतीय समाज में पुरुषों को मां चाहिए, बहन चाहिए, पत्नी चाहिए तो बेटी क्यों नहीं?
कार्यक्रम का संचालन विद्यालय के एमडी वीरेंद्र कुमार ने किया. शिक्षक राजू चौहान, शिल्पा शालिनी, संध्या पांडेय, सोहैल अहमद, अमृता कुमारी, अतुल कुमार, अरूणी मिश्रा,अभिषेक कुमार सिंह के अलावे वासुदेव कुमार, अधिवक्ता मोहन कुमार ने भी ‘बेटी बचाओ अभियान’ कार्यक्रम में अपनी-अपनी राय रखी.
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