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जीपीएस का कमाल, चार घंटों में ही ट्रक बरामद
तत्परता . मंगलवार की देर रात चोरी हुआ था ट्रक, तकनीक से मिली सफलता उत्तर प्रदेश के चंदौली से ट्रक के साथ चोर पकड़ाया औरंगाबाद (कार्यालय) : औरंगाबाद शहर के एक पेट्रोल पंप से चोरी हुए ट्रक को नगर थाने की पुलिस ने चार घंटे के भीतर ही चोर सहित ट्रक को बरामद कर लिया. […]
तत्परता . मंगलवार की देर रात चोरी हुआ था ट्रक, तकनीक से मिली सफलता
उत्तर प्रदेश के चंदौली से ट्रक के साथ चोर पकड़ाया
औरंगाबाद (कार्यालय) : औरंगाबाद शहर के एक पेट्रोल पंप से चोरी हुए ट्रक को नगर थाने की पुलिस ने चार घंटे के भीतर ही चोर सहित ट्रक को बरामद कर लिया. चोरी की घटना मंगलवार की रात साढ़े तीन व चार बजे के बीच हुई. ओवरब्रिज के पास पेट्रोल पंप पर खड़े ट्रक को चोर लेकर भाग निकले.
सुबह होते ही जब ट्रक मालिक उदय कुमार सिंह निवासी न्यू एरिया को जानकारी हुई कि उनका ट्रक चोरी हो गया है, तो वह अपने मोबाइल पर ट्रक के लोकेशन की जानकारी ली व इसकी सूचना नगर पुलिस को दी. ट्रक मालिक उदय कुमार सिंह स्वयं नगर थाना पहुंचे. थानाध्यक्ष सुभेंद्र कुमार सुमन को बताया कि मेरा ट्रक जेएच 095पी-3031 में जीपीएस लगा हुआ है और इस सिस्टम से हम देख रहे हैं कि ट्रक कहां पहुंचा है.
नगर थानाध्यक्ष ने भी जीपीएस से मिल रही जानकारी प्राप्त की. उस समय चोरी गये ट्रक का लोकेशन उत्तरप्रदेश में बता रहा था. नगर थानाध्यक्ष ने इसकी सूचना यूपी के चंदौली थाने की पुलिस को दी. उन्हें ट्रक नंबर बताया. चंदौली पुलिस ने चोरी गये ट्रक को चोर के साथ पकड़ लिया. पकड़ा गया ट्रक चोर का नाम मोहन लाल है, जो पंजाब के भटिधा जिले के कैंट थाने के धोबियाना बस्ती का रहने वाला है. चंदौली में ट्रक व चोर दोनों पकड़े जा चुके हैं.
नगर थानाध्यक्ष एसके सुमन ने बताया कि ट्रक चोरी की घटना के चार घंटे के भीतर ट्रक को बरामद कर चोर को गिरफ्तार किया गया है. यह सब कुछ ट्रक में लगे जीपीएस के कारण संभव हुआ है. उन्होंने यह भी बताया कि ट्रक चंदौली में बरामद हुआ है और घटना औरंगाबाद शहर का है. इसके कारण दोनों जगहों के थानों में अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की जा रही है, ताकि ट्रक चोरी करने वाले को कड़ी सजा दिलायी जा सके.
नयी तकनीक की जानकारी का अभाव
वाहनों में जीपीएस भी लगाये जाते है. पहले तो यह कम लोग जानते है और जो लोग जानते भी है उनमें से कुछ ही लोग ऐसे है जिनकी पूरी जानकारी है. अन्यथा बाकि लोग इसे चार हजारया पांच हजार रुपये का व्यर्थ की वस्तु मानते हैं. लेकिन, मैं बता रहा हूं कि यह जीपीएस क्या है और इससे क्या-क्या फायदे है.
वाहनों में जरूर लगाएं जीपीएस : एसपी
औरंगाबाद पुलिस को चोरी गये ट्रक को बरामद कर चोर को गिरफ्तार करने में मिली सफलता पुलिस के लिए ही नहीं, बल्कि आम लोगों के लिए भी प्रेरणा देने वाला वाकया है. एसपी बाबूराम ने वाहन मालिकों से अनुरोध किया है कि आप अपने वाहन में जीपीएस लगा कर न केवल वाहन को सुरक्षित रखे, बल्कि खुद चैन की निंद सोये. एसपी ने यह भी कहा कि कोई भी व्यक्त अगर चारपहिया वाहन खरीदता है, तो उसकी कीमत तीन लाख से ऊपर होती है.
इनके अलावा अधिकतर चारपहिये वाहन आठ लाख, 10 लाख या इससे अधिक कीमत की होती हैं. बसों व ट्रकों की भी कीमत 20 से 25 लाख होती है. इतने अधिक पैसे से वाहन खरीदने के बावजूद लोग चार हजार रुपये खर्च कर जीपीएस नहीं लगा पाते है. इसके कारण उनके वाहन असुरक्षित रहते हैं. चोरी हो जाती है, तो फिर पुलिस भी परेशान होती है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि वाहन मालिक रात में चैन की नींद नहीं सो पाते हैं. क्योंकि, उन्हें वाहन की चिंता सताती रहती है. वाहन को सुरक्षित रखने के लिए वाहन मालिक अपने वाहनों में जीपीएस
लगा ले और यह काम जितना जल्द कर सकते हैं, कर लें. आपका वाहन भी सुरक्षित रहेगी और पुलिस को भी परेशानी नहीं होगी.
क्या है जीपीएस
जीपीएस का पूरा नाम है ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम. यह सिस्टम सीधे सेटेलाइट से सीधा जुड़ा हुआ होता है और सेटेलाइट के माध्यम से जीपीएस लोकेशन व समय की जानकारी देती है.
इसे किसी भी वाहन के इंजन में गुप्त जगह पर लगाया जाता है. इसको लगाने के समय वाहन को किसी सूनसान जगह पर रखा जाता है या फिर वाहन के दरवाज को बंद कर गुप्त रूप से इसे लगाना पड़ता है, ताकि किसी को यह जानकारी नहीं हो कि यह जीपीएस इस वाहन में कहां लगा है. जीपीएम में एक सिम लगाया जाता है. यह सिम मोबाइल फोन में लगने वाले सिम की तरह होते हैं. लेकिन, अंतर यह है कि मोबाइल में लगे सिम से बातें होती है और इसमें लगे सिम से बातें नहीं होती, बल्कि सूचनाएं प्राप्त होती हैं.
वाहन में जीपीएस लगाने के बाद जिस कंपनी का आप जीपीएस लगा रहे हैं, वह कंपनी एक वेबसाइट आपको उपलब्ध कराता है. इस बेवसाइट से आपका मोबाइल फोन या घर का कंप्यूटर सेट या फिर लैपटॉप का नेट जुड़ जाता है और फिर यह जीपीएस आपके वाहन की सारी जानकारियां देने लगती हैं. जीपीएस कई प्रकार के होते हैं.
सबसे कम कीमत यानी कि चार हजार में यह उपलब्ध है. इससे आपको इतनी जानकारी मिलेगा कि आपकी गाड़ी कहां है, चल रही है या खड़ी है. अगर, चल रही है तो चालक कितना गति से चला रहा है. इनके अलावा यह भी कि यदि आपकी गाड़ी को कोई चोर चोरी कर ले जा रहा है, तो आप उस गाड़ी को उसी जगह रोक सकते हैं. रोकने का तरीका यह है कि कंपनी आपको कोड नंबर उपलब्ध कराती है. उस कोड नंबर पर मोबाइल फोन से या नेट से मैसेज भेजने के बाद वाहन का इंजन बंद हो जाता है. यानी कि वह वाहन वहीं खड़ा हो जाता है, जिसे पुन: चालू करने के लिए कितना भी प्रयास किया जाये, वाहन चोर को सफलता नहीं मिलती. वाहन को बंद करने के संबंध में बताना चाहता हूं कि जीपीएस को इंजन के गुप्त स्थान में जब लगाया जाता है, तो इसका एक तार इंजन में लगे पंप से जोड़ा जाता है.
मैसेज छोड़ने पर वह तार पंप के नली को बंद कर देता है, जिससे ईंधन इंजन को नहीं मिलता है और गाड़ी वहीं पर खड़ी हो जाती है. इसकी कीमत छह हजार से लेकर आठ हजार तक है. इनके अलावा आप अपने वाहन के तीन माह पूर्व की पूरी जानकारी आप प्राप्त कर सकते हैं कि हमारा वाहन इन तीन माह के भीतर किस दिन कहां था और कितनी गति से चला था. वाहन में कितने लोग बैठे थे, यानी की पूरी जानकारियां आपको जीपीएस उपलब्ध कराता है.
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