औरंगाबाद (ग्रामीण) : शहर के क्लब रोड निवासी व वरीय अधिवक्ता मुखलाल सिंह के घर से सोमवार की सुबह आत्मसमर्पण करने के लिए सलाह लेने आये हत्या आरोपित विजय सिंह को बड़ेम ओपी के थानाध्यक्ष ने गिरफ्तार कर लिया और अधिवक्ता के साथ दुर्व्यवहार किया.
इस घटना के बाद जिला विधि संघ ने कड़े अंदाज में एतराज जताते हुए पुलिस के इस कार्य को बर्बरतापूर्ण कार्रवाई करार दिया है. जिला विधि संघ के अध्यक्ष रसिक बिहारी सिंह, महासचिव परशुराम सिंह ने कहा कि पुलिस के इस अमानवीय तरीके व अशोभनीय कार्य को लेकर विधि संघ के अधिवक्ताओं ने निंदा प्रस्ताव लाया. मुखलाल सिंह के पुत्र व अधिवक्ता क्षितिज रंजन ने सीजीएम कोर्ट में पुलिस के खिलाफ एक सूचना दी है.
सूचना पत्र में बताया गया है कि सुबह साढ़े छह बजे उनके पिता मुखलाल सिंह अपने मुवक्किल के तैयारी का अवलकोन कर रहे थे और बड़ेम ओपी थाना कांड संख्या 74-16 के नामजद आरोपित विजय कुमार सिंह को न्यायालय में उपस्थित कराने की कागजात बना रहे थे. इसी बीच सादे लिबास में एक व्यक्ति आया और कार्यालय में जबरन घुस कर गाली-गलौज करते हुए विजय सिंह को कब्जे में ले लिया. जब इसका विरोध किया गया तो बड़ेम ओपी का एसआइ बताते हुए विजय सिंह को जबरन पुलिस गाड़ी में कार्यालय से उठा कर ले गये. इस बीच उन्होंने दुर्व्यवहार किया और अपराधियों को सुरक्षा व संरक्षण देने का आरोप लगाया. उस एसआइ ने कड़े तेवर में अपना परिचय बड़ेम ओपी प्रभारी चंद्रमौली वर्मा के रूप में दिया.
एक जिम्मेवार अधिकारी द्वारा बिना इजाजत के घर में घुस कर तांडव मचाने से प्रतिष्ठा पर आच आयी है. अधिवक्ता पुत्र ने कहा कि ओपी प्रभारी के धमकी से भयभीत है और उन्हें लगता है कि उनके द्वारा किसी झूठे मुकदमे उन्हें या परिवार के किसी सदस्यों को फंसाया जा सकता है. इधर बड़ेम ओपी के थानाध्यक्ष चंद्रमौली वर्मा ने कहा कि विजय सिंह हत्या का आरोपित है और गिरफ्तारी के भय से फरार चल रहा था. गुप्त सूचना के आधार पर उसकी गिरफ्तारी के लिये पुलिस ने कार्रवाई की. थानाध्यक्ष ने यह भी कहा है कि अधिवक्ता के घर से नहीं बल्कि आरोपित को सड़क से गिरफ्तार किया गया है. अधिवक्ताओं का आरोप पूरी तरह गलत है.