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बेसहारा परिवार की मदद में समाजसेवियों के बढ़े हाथ

देवकुंड(औरंगाबाद) : बेसहारे व भूख से पीड़ित व्यक्ति को सहारा देना व मदद करने से बड़ा कोई पुनीत कार्य नहीं है. एक बार फिर अपने कर्तव्यों को साकार करते हुए ‘प्रभात खबर’ ने एक बेसहारा व गरीब परिवार की दर्द भरी दांस्ता को सामने लाकर प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी. आज प्रभात खबर की […]

देवकुंड(औरंगाबाद) : बेसहारे व भूख से पीड़ित व्यक्ति को सहारा देना व मदद करने से बड़ा कोई पुनीत कार्य नहीं है. एक बार फिर अपने कर्तव्यों को साकार करते हुए ‘प्रभात खबर’ ने एक बेसहारा व गरीब परिवार की दर्द भरी दांस्ता को सामने लाकर प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी.

आज प्रभात खबर की साकारात्मक पहल से बेसहारा परिवार को सहायता मिली है. गौरतलब है कि गोह प्रखंड के डिहुरी गांव के उपेंद्र यादव की पत्नी चार साल पहले इस दुनिया से चल बसी थी. बेचारा उपेंद्र अपने चार छोटे नन्हे-मुन्ने बच्चों को किसी तरह मजदूरी कर अपने बच्चों का भरण पोषण कर रहा था. इसी दौरान 2014 में उपेंद्र भी पोलियो का शिकार हो गया.

उपेंद्र अब मजदूरी नहीं कर सकता है, पर किसी तरह गांव में ही भीख मांगकर अपने बच्चों को दो वक्त की रोटी जुटाता है. लेकिन जिस दिन भीख नहीं मिलता है तो खाली पेट सोना उसकी मजबूरी बन गयी थी. इसकी जानकारी प्रभात खबर को हुई तो उसकी दास्ता प्रमुखता से प्रकाशित की गयी. खबर का असर ये हुआ कि दाउदनगर निवासी व उर्मिला गैंस एजेंसी के मालिक डाॅ प्रकाश चंद्रा ने उस गरीब परिवार की मदद को लेकर हाथ बढ़ाया है.
उन्होंने पूरे परिवार को ठंढ से बचने के लिए स्वेटर, कपड़े, 50 किलो चावल, दाल, तेल, मसाला, सर्फ, साबुन से लेकर घर में खर्च होनेवाली सारी सामग्री व 1100 रुपये सहित 10 हजार रुपये का सामान दिया. डिंडिर निवासी व समाजसेवी चंद्रशेखर प्रसाद ने 50 किलो चावल, स्वेटर व कबंल बेसहारा परिवार को दिये. इन परिवारों के घर तक सहायता सामग्री पहुंचाने में डिंडिर निवासी राहुल सिन्हा, संजय पंडित व दिलीप गोस्वामी ने भी मदद की.
आगे भी करेंगे मदद
डाॅ प्रकाश चंद्रा ने उस गरीब की दास्तां से काफी आकर्षित हैं. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि प्रभात खबर की खबर से गरीब की दास्तां को जाने. ऐसे परिवार की मदद करने में सभी को आगे आने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कुछ एेसा प्रयास किया जाये जिससे वह बेसहारा परिवार आत्मनिर्भर बन सके. श्री चंद्रा ने कहा कि कोई व्यवसाय उस परिवार से कराया जाये .अगर उसमें 50 हजार रुपये खर्च होगा तो 25 हजार रुपये मैं दूंगा और बाकी पैसे के लिए मैं पहल करूंगा. उनकी सोच को मौजूद लोगों ने काफी सराहा.
मुरझाये चेहरों पर आयी मुस्कान
डाॅ प्रकाश चंद्रा व चंद्रशेखर प्रसाद द्वारा की गयी मदद की सामग्री उपेंद्र यादव के घर पहुंची तो मुरझाये चेहरों पर खुशी की मुस्कान आ गयी, जो उपेंद्र किसी से बोलता नहीं था उसने प्रभात खबर की प्रशंसा वहां के लोगों के पास करते हुए उन समाजसेवियों की भी प्रशंसा की. सामग्री मिलने के बाद उपेंद्र को उम्मीद हो गया है की मेरा परिवार अब भूखे पेट नहीं सोयेगा.
अब तक नहीं मिली सरकारी सहायता
उपेंद्र को अब तक कोई सरकारी सहायता नहीं मिली है. इसकी सूचना स्थानीय विधायक मनोज शर्मा व सीओ को भी दी गयी. लेकिन कई दिन बीत गये, पर सरकारी सुविधाओं का लाभ बेसहारा परिवार को नहीं मिला है.

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