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संभावना़ औरंगाबाद प्रखंड की 15 पंचायत में नौ अनारक्षित व छह आरक्षित सीट

संभावना़ औरंगाबाद प्रखंड की 15 पंचायत में नौ अनारक्षित व छह आरक्षित सीट कई के फिर मुखिया बनने के टूटे सपने 13 जनवरी तक पंचायत सीटों का प्रकाशन करने की तैयारी ग्राफिक्स लगा देंगेऔरंगाबाद (ग्रामीण).पंचायत चुनाव की सरगरमी अब तेज हो गयी है. संभावित प्रत्याशियों द्वारा अपने चेहरे को जनता के समक्ष प्रस्तुत करने का […]

संभावना़ औरंगाबाद प्रखंड की 15 पंचायत में नौ अनारक्षित व छह आरक्षित सीट कई के फिर मुखिया बनने के टूटे सपने 13 जनवरी तक पंचायत सीटों का प्रकाशन करने की तैयारी ग्राफिक्स लगा देंगेऔरंगाबाद (ग्रामीण).पंचायत चुनाव की सरगरमी अब तेज हो गयी है. संभावित प्रत्याशियों द्वारा अपने चेहरे को जनता के समक्ष प्रस्तुत करने का खेल भी शुरू हो चुका है. बहुत जल्द पंचायतों की सीटों का प्रकाशन भी कर दिया जायेगा. पंचायतों को आरक्षित व अनारक्षित करने का काम भी लगभग पूरा हो चुका है. हालांकि, अभी जिला प्रशासन जल्दीबाजी में नहीं दिख रही है. औरंगाबाद प्रखंड की सभी 15 पंचायतों को आरक्षित व अनारक्षित करने का काम भी लगभग पूर्ण हो गया है. सूत्रों से जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार 15 पंचायतों में नौ पंचायतों के मुखिया सीट को अनारक्षित व छह पंचायतों के मुखिया सीट को आरक्षित करने का काम चल रहा है और यह तय भी हो चुका है. विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पड़रावा, खैराबिंद, इब्राहिमपुर, पोखराहा, परसडीह, मंझार, नौगढ़, बेला और जम्होर पंचायत को या तो अनारक्षित किया गया है या अनारक्षित को ही पुन: बहाल किया गया है. जबकि करमा भगवान, ओरा व खैरा मिर्जा पंचायत अनुसूचित जाति के हिस्से में गयी है. पोइवा, फेसर व कुरहमा पंचायत पिछड़ा वर्ग को गया है. वैसे इब्राहिमपुर, पोइवा, ओरा, खैराबिंद सहित कई अन्य पंचायत पिछले पंचायत चुनाव में अनारक्षित थे. यह भी जानकारी मिली है कि मुखिया के साथ सरपंच का सीट भी मुखिया के तर्ज पर ही बहाल होगा. 13 जनवरी तक संभावना है कि पंचायत सीटों का प्रकाशन कर दिया जायेगा. हालांकि जिला प्रशासन के वरीय पदाधिकारी पंचायतों के अनारक्षित व आरक्षित होने से संबंधित कुछ भी कहने से परहेज कर रहे हैं.कई मुखिया तलाश रहे हैं दूसरे पंचायतों में भविष्य : औरंगाबाद प्रखंड में अनारक्षित पंचायतों के कई मुखिया इस बार पुन: मुखिया नहीं बन सकेंगे. इनके पंचायतों को अनुसूचित जाति व अतिपिछड़ा जाति के लिए सीट बहाल होने के बाद मुखियागिरी पर संकट का बादल छा गया है. अब अधिकांश मुखिया इस बार या तो चुनाव नहीं लड़ेंगे या किसी दूसरे पंचायत में भविष्य तलाशेंगे. जिला पर्षद की सीट अगर अनारक्षित रहता है तो जेनरल कोटि के मुखिया उसमें अपना भविष्य बना सकते हैं. काफी इंतजार के बाद मौका : औरंगाबाद प्रखंड की अधिकांश सीटों पर पुराने मुखिया का दबदबा रहा है. पहले खुद बने,फिर उनकी पत्नी या फिर कोई सगा-संबंधी. इस बार सीटों के फेर बदल में मुखियागिरी लगभग समाप्त सी हो गयी है. सबसे अधिक खुशी अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा व अति पिछड़ा वर्ग के लोगों की है, जिन्हें वर्षों के इंतजार के बाद पंचायत चुनाव में भाग्य अजमाने का मौका मिलेगा. ऐसा नहीं कि अनारक्षित सीट पर वे भाग्य नहीं अजमाते थे, लेकिन जब पूरी तरह सीट आरक्षित हो गयी तो इनके बीच विकल्प की लड़ाई शुरू हो गयी. हालांकि आरक्षित सीटों को अनारक्षित होने पर जेनरल कोटि के लोग भी काफी खुश हैं. जोश-खरोस के साथ पंचायत चुनाव में अपनी किस्मत आजमायेंगे. चुनाव की तैयारी में जुटे : सदर प्रखंड की ओरा, पोइवा, खैरा मिर्जा पंचायत को आरक्षित होने की संभावना मात्र से ही आरक्षित कोटि के उम्मीदवार चुनाव की तैयारी में अभी से ही लग गये हैं. आम लोगों के बीच चेहरा दिखाने का सिलसिला भी प्रारंभ हो गया है. बहुजन समाज पार्टी के जिलाध्यक्ष दिनेश कुमार राम भी ऐसे प्रत्याशियों में शामिल है. ओरा पंचायत को आरक्षित होने की संभावना के बाद दिनेश ने चुनावी तैयारी में कूद पड़े. उन्होंने बताया कि अभी से ही जनता का प्यार व आशीर्वाद मिलना शुरू हो गया है. वैसे कई लोग भी अपने-आप को उम्मीदवार मानकर अपनी चुनावी तैयारी शुरू कर दी है.

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