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शहर से गांव तक फैला है अवैध क्लिनिकों का जाल
औरंगाबाद (नगर) : जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंडों के सुदूर ग्रामीण इलाकों में अवैध निजी क्लिनिक धड़ल्ले से चल रहे हैं. भोले-भाले व गरीब परिवार के लोग अवैध क्लिनिक के जाल में फंस कर अपने जान को जोखिम में डाल रहे हैं. जिले में एक दो ऐसे क्लिनिक नही बल्कि दर्जनों है. खास कर ग्रामीण […]
औरंगाबाद (नगर) : जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंडों के सुदूर ग्रामीण इलाकों में अवैध निजी क्लिनिक धड़ल्ले से चल रहे हैं. भोले-भाले व गरीब परिवार के लोग अवैध क्लिनिक के जाल में फंस कर अपने जान को जोखिम में डाल रहे हैं. जिले में एक दो ऐसे क्लिनिक नही बल्कि दर्जनों है.
खास कर ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी संख्या अधिक है. यदि इसकी जांच पारदर्शिता से वरीय पदाधिकारियों द्वारा करा दी जाये तो दर्जनों क्लिनिक चलानेवालों को जेल की हवा खानी पड़ेगी और इसका भंडाफोड़ भी होगा. साथ ही भोले-भाले मरीजों का जान भी बच पायेगा. ग्रामीण क्षेत्रों में तो फर्जी डॉक्टरों की चांदी कट रही है. जो लोग दो-चार माह मेडिकल दुकानों पर रह कर दवा बेचने व निजी क्लिनिकों में रह कर कंपाउंडर का काम करते हैं वे लोग आज अपने गांव व आस-पास के मरीजों का इलाज करना शुरू कर देते हैं. यही नहीं उनलोगों को यह भी जानकारी नहीं होता कि किस दवा किस रोग में काम आता है. अगर उनलोगों से दवा की नाम और काम पूछा जाये तो संभव नहीं कि बता पायेंगे.
कई बार देखा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में इलाज के दौरान मरीज ठीक होने के बजाये वे और परेशानी में पड़ जाते हैं. शहर में भी इसी तरह से फर्जी चिकित्सक अपना क्लिनिक खोल हावी हैं. पूर्व में जिलाधिकारी कंवल तनुज ने सिविल सर्जन को जांच कर अवैध क्लिनिक चलानेवालों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिये थे, बावजूद अभी तक सिविल सर्जन द्वारा कार्रवाई नहीं की गयी है.
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