औरंगाबाद (ग्रामीण) : गरमी के मौसम में पेयजल संकट से जूझने वाले शहरवासियों के लिए एक अच्छी खबर है. इस बार की गरमी में शायद पेयजल संकट से छुटकारा मिल सकता है. पेयजल संकट को समाप्त करने के लिए औरंगाबाद नगर पर्षद ने मास्टर प्लान तैयार की है. कार्य का डीपीआर तैयार हो चुका है. बस राज्य सरकार से टेंडर के लिए हरी झंडी मिलने का इंतजार है.
वैसे शहरवासियों को पेयजल मुहैया कराने की तैयारी नये साल यानी वर्ष 2016 के प्रारंभ में ही नगर पर्षद ने कर ली है. सभी 33 वार्डों में पाइप लाइन के माध्यम से पानी पहुंचाया जायेगा. इसके लिए शहर के 10 इलाकों को चिह्नित किया गया है, जहां पर हीरा बोरिंग करायी जायेगी और उसी बोरिंग से घर-घर पाइप लाइन के मध्यम से पानी सप्लाइ की जायेगी. प्रत्येक बोरिंग से कम से कम दो से तीन वार्डों की आबादी को जोड़ा जायेगा. खासकर नदी वाले इलाके को प्रमुखता दी गयी है.
नगर पर्षद के मुख्य पार्षद श्वेता गुप्ता ने बताया कि शहर के राजर्षि स्कूल, बुढ़वा महादेव मंदिर, चुप शाह बाबा का मजार, रामाबांध, शाहपुर ट्रेनिंग स्कूल के समीप बोरिंग करायी जायेगी. पांच अन्य जगह भी चिह्नित किये गये है. बोरिंग के उपरांत विद्युत चलित मोटर से प्रत्येक मुहल्ले में पानी की सप्लाइ पाइप लाइन के माध्यम से करायी जायेगी. नगर पर्षद जलापूर्ति योजना के तहत इस कार्य पर लगभग 95 करोड़ रुपये खर्च करेंगी. इस कार्य का डीपीआर तैयार हो चुका है.
वर्ष 2014 में ही स्वीकृति मिल गयी थी. गौरतलब है कि शहर के बराटपुर, नावाडीह, कुरैशी मुहल्ला, टिकरी मुहल्ले, मिनी बिगहा, शाहपुर, नागा बिगहा, न्यू एरिया सहित शहर के कई मुहल्लों में गरमी के मौसम के प्रारंभ में ही पानी संकट उभर कर सामने आ जाता है.
खासकर कुरैशी मुहल्ला व बिराटपुर में पेयजल के लिए हाहाकार मच जाता है. नगर पर्षद द्वारा इन इलाकों में टैंकर के माध्यम से पानी की सप्लाइ की जाती है. वैसे पेयजल संकट वीआइपी इलाकों में भी दिखता है.
प्रत्येक वार्ड में लगेगी एक हजार लीटर की पानी टंकी
नगर पर्षद के मुख्य पार्षद श्वेता गुप्ता ने बताया कि गरमी के मौसम में उत्पन्न होनेवाले पेयजल संकट के समाधान को लेकर नगर पर्षद की कई योजना है. नये साल में योजनाओं को मूर्त रूप दिया जायेगा. प्रत्येक वार्ड में एक हजार लीटर क्षमता की पानी टंकी का निर्माण कराया जायेगा. खासकर सार्वजनिक स्थलों को चिह्नित किया गया है. प्रत्येक टंकी में नल लगाया जायेगा. ताकि उस जगह से गुजरने वाले लोग शुद्ध पेयजल ग्रहण कर सकें.