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पीएचसी में हिमोग्लोबिन की जांच बंद

दाउदनगर (अनुमंडल) : दाउदनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पिछले तीन दिनों से हिमोग्लोबिन की जांच बंद है. इसके कारण मरीज पूरी तरह परेशान है. जानकारी के अनुसार, स्थानीय पीएचसी में औसतन 60 से 70 मरीज ऐसे आते है जिन्हें बेहतर उपचार के लिए हिमोग्लोबिन जांच की आवश्यकता होती है. इन मरीजों में अधिकांश गर्भवती महिलाएं […]

दाउदनगर (अनुमंडल) : दाउदनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पिछले तीन दिनों से हिमोग्लोबिन की जांच बंद है. इसके कारण मरीज पूरी तरह परेशान है. जानकारी के अनुसार, स्थानीय पीएचसी में औसतन 60 से 70 मरीज ऐसे आते है जिन्हें बेहतर उपचार के लिए हिमोग्लोबिन जांच की आवश्यकता होती है. इन मरीजों में अधिकांश गर्भवती महिलाएं होती हैं. जिन्हें मासिक तौर पर इसकी जांच की आवश्यकता होती है. शारीरिक रूप से कमजोर मरीजों को भी हिमोग्लोबिन जांच की आवश्यकता होती है. पीएचसी में सरकारी स्तर पर इसके जांच की नि:शुल्क व्यवस्था है.

लेकिन, पिछले तीन दिनों से स्थिति यह है कि मरीज तो पहुंच रहे हैं. लेकिन, जांच नहीं हो पा रही है. केमिकल का अभाव बताया जा रहा है. जांच कक्ष में सन्नाटा पसरा रह रहा है. मजबूरन मरीजों को निजी स्तर पर संचालित लैबों में जाकर जांच कराना पड़ रहा है. जहां उन्हें आर्थिक शोषण का शिकार होना पड़ रहा है

केमिकल का है अभाव स्थानीय पीएचसी के जांच कक्ष के लैब टेक्नीशियन के अनुसार हिमोग्लोबीन जांच के लिये उपयोग में लाये जाने हेतु केमिकल का बाजार मूल्य मात्र 150 रुपये है, जिससे एक महीने तक जांच हो सकती है. लेकिन, केमिकल के अभाव में जांच बंद हो गया है. केमिकल उपलब्ध कराने के लिए पीएचसी प्रभारी को पत्र लिखा गया है. लेकिन, फिर भी अभी तक केमिकल नहीं दिया गया है. मरीज बैरंग वापस लौट रहे है और प्राइवेट लैबों में जांच कराने को विवश है.

शुक्रवार की दोपहर तक करीब आधा दर्जन मरीज बिना जांच कराये लौट चुके थे. मनमानी राशि की होती है वसूलीसूत्रों ने बताया कि जिन हिमोग्लोबीन जांच की सरकारी स्तर पर नि:शुल्क व्यवस्था है उसकी जांच के लिए बाजार से लैलों द्वारा मनमानी राशि की वसूली की जाती है. यह राशि 60 से 100 रुपये तक की होती है. यानी यदि देखा जाये तो 60 मरीज प्रतिदिन के दर से औसतन लगभग साढ़े तीन से चार हजार रुपये प्रतिदिन मरीजों का बेवजह प्राइवेट पैथोलैबों में जा रहा है.

मात्र 150 रुपये का केमिकल खरीद नहीं होने के कारण गरीब मरीज कितनी राशि प्राइवेट संस्थानों को देने को विवश है. सूत्रों का यह भी कहना है कि विभागीय स्तर पर स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए जवाबदेह पदाधिकारियों द्वारा सार्थक कदम नहीं उठाये जाते.अन्यथा ऐसी परिस्थिति उत्पन्न नहीं होती है. रोगी कल्याण समिति द्वारा केमिकल की खरीद की जा सकती थी.प्रभारी को लिखा गया है पत्र केमिकल उपलब्ध कराने के लिए पीएचसी प्रभारी को पत्र लिखा गया है. केमिकल उपलब्ध होते ही हिमोग्लोबिन की जांच की जायेगी. प्रेम प्रकाश दिवाकर, स्वास्थ्य प्रबंधक

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