माले ने धरना देकर सरकार पर लगाये कई आरोप
औरंगाबाद (ग्रामीण) : भाजपा से अलग होने के बाद नीतीश सरकार तानाशाही हो गयी है. बगहा पुलिस गोली कांड ने औरंगाबाद, परैया व फारबिसगंज गोली कांड की याद दिला दी है. मिड–डे मील में सरकारी घोटाले, उपेक्षा व लापरवाही ने अभी तक दर्जनों बच्चों की जान ले ली है.
लगातार स्कूल के बच्चे जहरीले भोजन खाकर बीमार हो रहे हैं और सरकार संवेदनहीन बनी हुई है. ये बातें शनिवार समाहरणालय के सामने भाकपा माले द्वारा आयोजित धरना को संबोधित करते हुए पूर्व विधायक राजाराम सिंह ने कही. पूर्व विधायक ने यह भी कहा कि प्रदेश में गरीबों के साथ अन्याय हो रहा है.
सरकार के प्रति गरीबों का विश्वास अब समाप्त हो गया है. भरोसा भी टूटता जा रहा है. सामंती ताकतों व अपराधियों का मनोबल इस कदर बढ़ गया है कि वह कहीं भी किसी तरह की घटना को आसानी से अंजाम दे रहे है और सरकार इनके पक्ष में खड़ी होती दिख रही है.
पुलिस प्रशासन बेलगाम हो गया है. गरीबों व निरीहों पर हमले किये जा रहे हैं. बलात्कार की घटना में वृद्धि हुई है. वर्षो से बसे भूमि पर सामंती ताकतों द्वारा गरीबों को उखाड़ फेंका जा रहा है.
लागू हो आयोग का फैसला
ओबरा के उप प्रमुख मुनारिक राम ने कहा कि भाकपा माले के केंद्रीय कमेटी के सदस्य व पूर्व विधायक राजाराम सिंह को बेरहमी से अन्य साथियों के साथ 2 मई, 2012 को पीटा गया, जबकि वह पुरी तरह निदरेष थे. उन्हें सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाते या ऐसा करने के लिए किसी को उकसाते भी नहीं पाया गया.
मानवाधिकार आयोग ने इस घटना का संज्ञान लेते हुए जांच किया और दो लाख रुपये का जुर्माना भरने का निर्देश सरकार को दिया, लेकिन बिहार की तानाशाही सरकार व प्रशासन मानवाधिकार आयोग के फैसले को भी लागू करने के लिए तैयार नहीं हुई.
धरना में राज्य कमेटी सदस्य कॉमरेड अनवर हुसैन, जनार्दन प्रसाद, मंटू कुशवाहा, वीरेंद्र वर्मा, संजय तेजा, मदन प्रजापति, शंकर गुप्ता, युगल किशोर प्रसाद, राम केश्वर यादव, कैलाश पासवान, सत्येंद्र वर्मा मुख्य रूप से शामिल थे. धरना समाप्ति के बाद अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन डीएम को सौंपा गया.