देवकुंड (औरंगाबाद)सरकारी आंकड़ा के अनुसार बिजली को प्रत्येक गांव में पहुंचने का दावा हमेशा सुर्खियों में रहा है, लेकिन कई गांवों में सरकारी आंकड़ा छलावा साबित हो रहा है. हसपुरा प्रखंड के दर्जनों गांवों में बिजली बहाल ही नहीं, बल्कि बिजली के पोल तक नहीं लगाये गये है. गरीबों के नाम पर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाया जा रहा है. लेकिन वो पैसा अधिकारी से लेकर सरकारी कर्मचारियों तक ही सिमट कर रह जाती है. उदाहरण स्वरूप डिंडिर गांव की बात करें तो यहां सभी गलियों में बिजली की रोशनी जगमगा रही है. लेकिन महादलित मुहल्ला बिजली से वंचित है. जगदेव नगर से सटे ही बुनियादी विद्यालय पर बिजली के बल्ब जलते हैं. लेकिन जगदेव नगर के महादलित बस्ती के बच्चे आज भी ढिबरी की रोशनी में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. उस बस्ती में आज तक बच्चे को पढ़ने के लिए चबूतरा भी नहीं बनाया गया है. जबकि, सरकार द्वारा प्रत्येक महादलित बस्तियों में बच्चे को पढ़ने के लिए चबूतरा के साथ-साथ सोलर लाइट व पीने के लिए पानी की व्यवस्था भी देना था. सच्चाई जानने के लिए जब प्रभात खबर की टीम महादलित बस्तियों में रात आठ बजे पहुंची तो उस बस्ती के बच्चे एक जगह बैठ कर ढिबरी की रोशनी में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे. ऐसे गांव दर्जनों हैं जहां के बच्चे सुविधा के अभाव में पढ़ नहीं पाते है. रतनपुर गांव में भी बिजली की रोशनी है. इस तरह चुल्हन बिगहा, दरबारी बिगहा, विशुनपुरा, जमाल बिगहा, सरदवन बिगहा, गिरधारी बिगहा, निलकोठी, शंकरपुर सहित अनेक गांव है .
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दर्जनों गांवों में नहीं पहुंची बिजली
देवकुंड (औरंगाबाद)सरकारी आंकड़ा के अनुसार बिजली को प्रत्येक गांव में पहुंचने का दावा हमेशा सुर्खियों में रहा है, लेकिन कई गांवों में सरकारी आंकड़ा छलावा साबित हो रहा है. हसपुरा प्रखंड के दर्जनों गांवों में बिजली बहाल ही नहीं, बल्कि बिजली के पोल तक नहीं लगाये गये है. गरीबों के नाम पर करोड़ों रुपये पानी […]
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