औरंगाबाद (नगर) : सदर अस्पताल की चिकित्सकीय व्यवस्था पर सवाल उठने लगा है. सदर अस्पताल में मरीजों का इलाज करने के लिए कुल 14 चिकित्सक पदस्थापित है. इनमें एक चिकित्सक डॉ राज कुमार प्रसाद मेडिकल छुट्टी पर है, जबकि अपना क्लिनिक चलाते हैं. इनके पास मलेरिया विभाग की जिम्मेवारी है.
चिकित्सक डॉ तपेश्वर प्रसाद 15 दिन से गायब है. यहां तक कि हड्डी विभाग के चिकित्सक राजेश्वर शर्मा बीमार होने के कारण छुट्टी पर हैं. जबकि, डॉ प्रेम प्रकाश, डॉ अशोक दूबे, डॉ सुनील महेंद्र कपूर, डॉ आरपी सिन्हा, डॉ आरबी चौधरी, डॉ सुनील कुमार, डॉ अनुप कुमार, डॉ सरताज अहमद, डॉ विकास कुमार को एक माह में आठ से 10 दिन ड्यूटी करने की जिम्मेवारी उपाधीक्षक द्वारा दी गयी है.
बंद है बच्चों का ओपीडी भी
अस्पताल से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जिन चिकित्सकों की पैरवी है वह छुट्टी ने रखे हैं और कुछ ड्यूटी नहीं करते. प्रतिदिन हड्डी रोग से संबंधित मरीज सदर अस्पताल पहुंचते है, जिन्हें इलाज करने की बजाय यह कहते हुए रेफर का पुरजा थमा दिया जाता है कि यहां पर कोई हड्डी का डॉक्टर नहीं है.
सदर अस्पताल में बच्चों के डॉक्टर की ड्यूटी जेनरल ओपीडी में लगा दिया गया है, जिस कारण बच्चों का इलाज बंद है. इस अस्पताल में बच्च का इलाज करने के लिए डॉ अशोक दूबे की पदस्थापना हुई थी, लेकिन इन्हें शिशु ओपीडी को बंद कर जेनरल ओपीडी में इलाज करने को कहा गया है, जबकि यह शरीर से 60 प्रतिशत विकलांग है.
कुछ चिकित्सकों का कहना है कि जब सबका मानदेय एक समान है, तो आखिर ड्यूटी एक समान क्यों नहीं लगायी जाती. आंख के चिकित्सक राजेंद्र प्रसाद को प्रतिदिन आंख के ओपीडी में इलाज करने की जिम्मेवारी दी गयी है. इसके अलावा इन्हें जेनरल ओपीडी में भी ड्यूटी दिया गया है.
यहां तक कि दो दिन रात में भी ड्यूटी करने को कहा गया है, जबकि यह अस्पताल के सबसे वरीय व बुजुर्ग है. इस संबंध में सदर के उपाधीक्षक डॉ विनय कुमार के मोबाइल पर संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि किसी के साथ पक्षपात जैसी कोई बात नहीं है. सभी चिकित्सकों की ड्यूटी सामान्य तरीके से लगायी जा रही है.