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पशुओं को बिकने से बचाया और ढकेल दिया मौत के रास्ते पर !

बड़ी संख्या में पशुओं को एनजीओ ने लावारिस छोड़ दिया था प्रशासन के सहयोग से की गयी थी छापेमारी की कार्रवाई बारुण : एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया नामक एनजीओ की लापरवाही के कारण बड़ी संख्या में मवेशियों की मौत हो गयी है. पता चला है कि अब तक पचास से अधिक पशुओं की मौत […]

बड़ी संख्या में पशुओं को एनजीओ ने लावारिस छोड़ दिया था

प्रशासन के सहयोग से की गयी थी छापेमारी की कार्रवाई
बारुण : एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया नामक एनजीओ की लापरवाही के कारण बड़ी संख्या में मवेशियों की मौत हो गयी है. पता चला है कि अब तक पचास से अधिक पशुओं की मौत हो चुकी है. मौत की वजह पशुओं को दाना-पानी नहीं मिलना बतायी जा रही है. पशु भूख व प्यास के मारे दम तोड़ रहे हैं. संबंधित मामले के प्रति अब तक किसी भी सरकारी एजेंसी द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है जबकि प्रशासन के सहयोग से ही एनजीओ कर्मियों ने मेला में छापेमारी की थी और पशुओं को जब्त किया था.
बीते दिनों बारुण पशु मेले में हुई थी छापेमारी
बीते दिनों प्रशासन के सहयोग से बारुण पशु मेला में बड़े स्तर पर छापेमारी की गयी थी. छापेमारी के दौरान एनजीओ का कहना था कि मेला में पशुओं के लिए किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है. यहां तक की बारुण पशु मेला अवैध है. एनजीओ ने छापेमारी के दौरान सैकड़ों मवेशियों को जब्त किया था. एनजीओ कर्मियों का कहना था कि जब्त किये गये पशु तस्करी के लिए लाये गये थे. बताया जाता है कि जब्ती की कार्रवाई करने के बाद कुटुंबा स्थित एक गांव के मैदान में बड़ी संख्या में पशुओं को लावारिस छोड़ दिया गय था. पशुओं के खाने-पीने के इंतजाम नहीं किये गये थे. नतीजतन मवेशी भूख व प्यास से तड़प कर मरने लगे हैं. अब तक 50 पशुओं की मौत हो चुकी है. इन पशुओं की मौत का जिम्मेदार कौन है. इस सवाल पर सभी सरकारी एजेंसी चुप्पी साधे है.
पता चला है कि जिस स्थान पर पशु छोड़े गये हैं वहां खाने- पीने व रहने की सुविधा नहीं होने पर स्थानीय प्रशासन ने रोक भी लगायी थी लेकिन छापेमारी के बाद मवेशियों को एक जगह से दूसरे जगह पर ले जाने में काफी समय लग गया और पशुओं को कुटुंबा स्थित एक गांव के खुले मैदान में छोड़ दिया गया. खबर लिखने तक मवेशी बारुण पशु मेला में से भेजे जा रहे थे. मरने वाले पशुओं की संख्या 50 से भी अधिक हो गयी है. पशुओं को निर्ममता से बारुण नेशनल हाइवे पर फेंक दिया गया है.
ग्रामीणों के अनुसार पशुओं की मौत के मामले में पूरी तरह से एनजीओ की लापरवाही है, क्योंकि यदि वे छापेमारी से पूर्व पूरी तैयारी के साथ आते तो शायद बेजुबानों की मौत नहीं होती. छापेमारी के बाद भी मवेशियों को पर्याप्त खाने,पीने व समुचित आवास की व्यवस्था नहीं की गयी,जिससे उनकी मृत्यु हो गयी. एनजीओ व प्रशासन कोई भी मवेशियों की मौत का जिम्मेदारी नहीं ले रहा है.

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